25 साल से कांग्रेस कैबिनेट में मोगा का कोई नेता मंत्रिमंडल में नहीं हो सका शामिल

। वर्ष 1995 तक सूबे में कांग्रेस की बेअंत सिंह सरकार में कैबिनेट रैंक पाकर परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्री बनीं डा.मालती थापर के बाद कांग्रेस का कोई दूसरा नेता जिला कांग्रेस में मंत्री पद के सूखे को खत्म नहीं कर सका है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 08:05 AM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 08:05 AM (IST)
25 साल से कांग्रेस कैबिनेट में मोगा का कोई 
नेता मंत्रिमंडल में नहीं हो सका शामिल
25 साल से कांग्रेस कैबिनेट में मोगा का कोई नेता मंत्रिमंडल में नहीं हो सका शामिल

सत्येन ओझा, मोगा

वर्ष 1995 तक सूबे में कांग्रेस की बेअंत सिंह सरकार में कैबिनेट रैंक पाकर परिवार एवं स्वास्थ्य कल्याण मंत्री बनीं डा.मालती थापर के बाद कांग्रेस का कोई दूसरा नेता जिला कांग्रेस में मंत्री पद के सूखे को खत्म नहीं कर सका है। इस बार विधायक डा.हरजोत कमल को लेकर कुछ उम्मीद जगी थी, लेकिन उनके राजनीतिक गुरु कुलजीत सिंह नागरा खुद मंत्री पद की दौड़ में शामिल थे। ऐसे में डा.हरजोत कमल को सियासत में लाने वाले नागरा उनके लिए पूरा जोर नहीं लगा सके, हालांकि सुखद बात ये है कि प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद खुद नागरा कैबिनेट में मंत्री बनने में सफल रहे।

साल 1995 तक जब मोगा को जिला बनाने की लड़ाई जोर-शोर से चल रही थी, उस समय तक सूबे की सत्ता में डा.मालती थापर कैबिनेट मंत्री रही थीं। कैबिनेट मंत्री के रूप में उन्होंने जिला बनाओ आंदोलन में पूरी सक्रियता के साथ भाग लिया। उसी साल नवंबर में मोगा को जिले का दर्जा मिल गया था। लेकिन भूतपूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के बाद बने हालातों के बीच दोबारा मोगा को जिले का दर्जा तो मिल गया। बाद में सूबे में कांग्रेस की सरकार दो बार बनी, लेकिन मंत्री पद किसी को हासिल नहीं हो सका। हालांकि साल 2017 के चुनाव में अकाली दल के गढ़ मोगा में जनता ने कांग्रेस की झोली में चार में से तीन सीटें डाली थीं, लेकिन कांग्रेस नेतृत्व ने मोगा के मतदाताओं की भावनाओं का सम्मान नहीं किया, किसी को भी मंत्री नहीं बनाया गया था।

इस बार सूबे में जब कांग्रेस के हालात बदले, सत्ता के कैप्टन को उतारकर नए कप्तान चरणजीत सिंह चन्नी के हाथों में सूबे की सत्ता की कमान सौंप दी थी, तब ये उम्मीद जगी थी कि डा.हरजोत कमल को मंत्रिमंडल में स्थान मिल सकता है, इसी कई वजह थीं। जिले के तीनों विधायकों में बाघापुराना के विधायक दर्शन सिंह बराड़ सबसे वरिष्ठ हैं, लेकिन विवादों में घिर जाने के बाद उनकी संभावना लगभग खत्म हो गई थी, लेकिन पंजाब कांग्रेस में सत्ता व नेतृत्व दोनों ही स्थानों पर जो हस्तियां काबिज हुईं, उनके सबके साथ डा.हरजोत कमल की सीधी पहुंच थी।

शायद यही वजह है कि पिछले दिनों चन्नी के मुख्यमंत्री के बनने के बाद कपूरथला जाते समय अचानक चन्नी ने डा.हरजोत कमल को चंडीगढ़ से अपने साथ लिया, उनकी गाड़ी में सूबे के नए मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी भी बैठे थे, जैसे ही तिवारी से सीएम की बात खत्म हुई,रास्ते में उन्होंने तिवारी को उतारकर अपनी गाड़ी में डा.हरजोत को बैठाया ही नहीं, उन्हें अपनी सरकारी गाड़ी की आगे की सीएम वाली सीट आफर तक खुद उस सीट पर डा.हरजोत कमल का फोटो लिया था। इतने करीबी होने के नाते अगर डा.हरजोत कमल के मंत्रिमंडल में शामिल होने की चर्चाओं जोरों पर थीं वह गलत नहीं थी, लेकिन चन्नी के केबिनेट की जो सूची शनिवार दोपहर को घोषित की गई, उससे मोगा को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है।

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