व्यापार व समाजसेवा से भावना ने बनाई पहचान, परिवार से बिठाया तालमेल

ससुराल में आटोमोबाइल सेक्टर में बिजनेस की कमान संभालने के साथ समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रियता इन सबके बीच परिवार के साथ तालमेल बैठाकर एमबीए डिग्री होल्डर भावना बंसल ने खुद को साबित किया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 08:12 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 08:12 AM (IST)
व्यापार व समाजसेवा से भावना ने बनाई पहचान, परिवार से  बिठाया तालमेल
व्यापार व समाजसेवा से भावना ने बनाई पहचान, परिवार से बिठाया तालमेल

सत्येन ओझा.मोगा

ससुराल में आटोमोबाइल सेक्टर में बिजनेस की कमान संभालने के साथ समाजसेवा के क्षेत्र में सक्रियता, इन सबके बीच परिवार के साथ तालमेल

बैठाकर एमबीए डिग्री होल्डर भावना बंसल ने खुद को साबित किया है। पहले पुलिस के महिला सेल, अब बाल भलाई काउंसिल की सक्रिय सदस्य के रूप में भी अपनी सेवाएं दे रही हैं। हर दिन उनके काम की शुरूआत सुबह नौ बजे हो जाती है, शाम सात बजे तक वह व्यस्त रहती हैं बाल भलाई काउंसिल की सदस्य के रूप में कई बार उन्हें देर रात भी घटनास्थल पर जाना पड़ता है। एक तरफ महिलाओं की शिकायत है कि वे शहर की सड़कों पर दिन में भी सुरक्षित नहीं है लेकिन भावना बंसल ने अपने मजबूत इरादों से इस मिथक को तोड़ा है। ये साबित किया है कि इरादे मजबूत हों तो सुरक्षा का घेरा आपके आसपास खुद व खुद बन जाता है। इन्हीं मुद्दों पर उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश।

सवाल : शादी के समय पति डा.रजत बंसल पेशे से सरकारी चिकित्सक थे, आपने एमबीए की पढ़ाई की। अब दोनों ही आटोमोबाइल बिजनेस में हैं, कैसे संभव हुआ?

जबाव : ससुराल में जब ब्याह कर आई थीं, तब पति जीएमसीएच-16 चंडीगढ़ में चिकित्सक के रूप में सेवारत थे। शादी से पहले ही मेरे ससुर एवं पंकज मोटर्स के एमडी रहे स्व.द्वारिकानाथ बंसल ने मारूति की डीलरशिप ले ली थी। एक साल बाद परिवार के हालात इस कदर बने कि ससुर अपने कारोबार में अकेले पड़ गए। बजाज की एजेंसी पहले ही थी, मारूति की डीलरशिप मिलने के बाद कारोबार बढ़ा तो ससुर द्वारिकानाथ बंसल ने उन्हें वापस मिला लिया। तब पति डा.रजत ने सरकारी चिकित्सक के रूप में सेवा को छोड़कर घर के बिजनेस को संभाला, मैंने तो पहले से ही एमबीए कर रखी थी, लिहाजा पति के साथ मारुति की डीलरशिप के बिजनेस में बराबर हाथ बंटाना शुरू कर दिया। मारूति की डीलरशिप अब नहीं है, लेकिन बजाज की डीलरशिप के साथ ही वीजा हट के नाम पर इमिग्रेशन का बिजनेस भी बखूबी संभाल रही हूं। सवाल: बिजनेस में व्यस्तता के बावजूद बाल भलाई काउंसिल की सदस्य के रूप में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी व समाजसेवा के कामों के लिए समय कैसे निकाल पाती हैं ?

जबाव: बिजनेस की प्लानिग एक दिन पहले ही तैयार कर लेती हूं। सुबह नौ बजे से अपने दफ्तर में आकर बैठ जाती हूं, जिससे बाकी स्टाफ भी उनकी आदत को देखकर समय पर आता है। सारे दिन का प्लान सभी को समझाने के बाद जो समय बचता है वे बाल भलाई काउंसिल में आने वाले मामलों के निपटारे में लगाती हूं, हर केस को गंभीरता से सुनती हूं। कोशिश होती है घरेलू हिसा की शिकार बच्चियों को इंसाफ के साथ उन्हें सम्मान के साथ समाज में जीने के लिए जो संभव हो कर सकूं। उसके लिए मिलने वाली सरकारी सहायता दिलाने के लिए तब तक प्रयास करती हू, जब तक परिणाम सामने न आ जाए।

सवाल : हर दिन कितने घंटे तक काम करना पड़ता है?

जवाब: हर दिन सुबह नौ बजे से लेकर शाम सात बजे तक तो काम हर दिन तय होता ही है। समाजसेवा के काम अथवा घरेलू हिसा के शिकार का कोई केस देर शाम को आता है तो कई बार देर रात तक बाहर भी रहना पड़ता है।

सवाल : ये संभव कैसे संभव होता है, परिवार के बीच तालमेल कैसे बैठाती हैं?

जवाब: बिजनेस के साथ ही समाजसेवा में सक्रिय हुई तो पति डा.रजत बंसल के साथ ही ससुर द्वारिकानाथ बंसल का पूरा सहयोग मिला। रात को ही कहीं जाना पड़ा तो उन्होंने कभी मना नहीं किया। यही वजह है कि मेरे अंदर समाज के लिए कुछ करने का जज्बा था, तभी ये जिम्मेदारी निभा रही हूं। परिवार के सहयोग के बिना ये संभव नहीं होता। ससुराल में आकर कभी इस बात का अहसास नहीं हुआ कि मैं इस परिवार की बहू हूं, आज भी बेटी की तरह ही महसूस करती हूं।

सवाल : अग्रवाल समाज वूमेन विग की जिलाध्यक्ष के साथ आप कई प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ जुड़ी हुई हैं, शहर में महिला दिवस पर मिनी मैराथन जैसे कई आयोजन करवा चुकी हैं, कहां से मिलती है ये सब कुछ करने की ताकत।

जवाब : मेरा परिवार ही मेरी ताकत है। हर काम में परिवार के हरेक सदस्य का पूरा सहयोग मिलता है। बस इसी सहयोग के चलते आज सब कुछ कर पा रही हूं।

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