पावरकाम का नया कारनामा : कमरे के साइज से तीन गुना ज्यादा बिछा दी मैट, आडिट में खामियां आई सामने
पावरकाम मोगा ने सब अर्बन डिवीजन के नत्थूवाला एसडीओ आफिस में नया कारनामा कर दिखाया है। कमरे का साइज 121 वर्ग फीट है लेकिन यहां पर विभाग ने 398 वर्ग फीट मैट बिछवा दी।
सत्येन ओझा.मोगा
पावरकाम मोगा ने सब अर्बन डिवीजन के नत्थूवाला एसडीओ आफिस में नया कारनामा कर दिखाया है। कमरे का साइज 121 वर्ग फीट है, लेकिन यहां पर विभाग ने 398 वर्ग फीट मैट बिछवा दी। नियमानुसार चार साल में एक बार मैट बिछ सकती है, लेकिन यहां तीन साल में चार बार मैट बिछ गई, भुगतान भी कर दिया गया। ऐसा सिर्फ नत्थूवाला एसडीओ आफिस में ही नहीं हुआ। बल्कि अजितवाल, चड़िक एसडीओ आफिस व सब डिवीजन के एक्सईएन आफिस में भी हुआ। सिंह डिजिटल फोटोस्टैट के नाम से मोगा में कोई दुकान ही नहीं है, लेकिन तीन साल में ढाई लाख रुपये का फोटोस्टैट बिल का भुगतान भी कर दिया गया, जबकि फोटोस्टैट की सुविधा एक्सईएन आफिस में मौजूद है। रेगुलर आडिट में बड़ी खामियां
पावरकाम में इस समय आडिट में प्रारंभिक खामियां सामने आने के बाद अब रेगुलर आडिट में एक के बाद एक गंभीर मामले सामने आने लगे हैं। दैनिक जागरण के हाथ घोटाले से जुड़े कई अहम दस्तावेज हाथ लगे हैं, जिनमें सब डिवीजन से जुड़े एसडीओ नत्थूवाला के आफिस का साइज 121 वर्ग फीट है, इसकी पुष्टि खुद एसडीओ भूपिदर सिंह ने की है, लेकिन सब डिवीजन आफिस ने ऐसा कारनामा कर डाला कि 121 वर्ग फीट वाले कमरे में 398 वर्ग फीट मैट बिछा दी। यही नहीं इस कमरे में 112 मीटर कपड़े के पर्दे भी लगवा दिए। 121 वर्ग फीट के कमरे में 398 वर्ग फीट मैट कैसे लग गई, लेकिन ये काम सब डिवीजन स्तर पर होता है, इसलिए एसडीओ का सीधा हस्तक्षेप नहीं होता है।
तीन साल में चार बार बिछाई मैट
विभागीय सूत्रों का कहना है कि नियमानुसार किसी भी आफिस में मैटिग या अन्य सुंदरीकरण के काम चार साल में एक बार हो सकते हैं, लेकिन नत्थूवाला में तीन साल में चार बार नई मैटिग कागजों में लगा दी गई। पहले तीन बार 202 वर्ग मीट मैट लगवाई गई, जबकि चौथी बार में मैट का साइज और बढ़ा कर 398 वर्ग फीट लगा दी, लेकिन एसडीओ दफ्तर का साइज नहीं बढ़ा। भुगतान उस फर्म को जो है ही नहीं
सूत्रों का दावा है कि इसी प्रकार सब डिवीजन आफिस में फोटोस्टैट के बिलों पर भी आपत्ति उठाई गई है। एक जनवरी 2018 से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक तीन साल के आडिट में विभाग ने फोटोस्टैट का करीब पौने तीन लाख का भुगतान किया। जांच में पता चला कि सब डिवीजन का पहले परम फोटोस्टैट के साथ करार था। दो साल से उसके साथ करार खत्म हो चुका है, लेकिन विभाग ने पौने तीन लाख में से ढाई लाख का भुगतान अकेले सिंह डिजिटल फोटोस्टैट को कर दिया, जबकि इस नाम की कोई फर्म ही नहीं है। सूत्रों का कहना है कि आडिट में इसी प्रकार की अभी तक तीन साल में करीब 50 लाख के घोटाले का प्रारंभिक अनुमान सामने आया है।