सत्ता का 'कैप्टन' बदलने से जिले की राजनीति पर खास फर्क नहीं
। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह की ओर से इस्तीफा दिए जाने से बने हालात से जिले की राजनीति में खास बदलाव आने की उम्मीद नहीं है।
सत्येन ओझा.मोगा
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह की ओर से इस्तीफा दिए जाने से बने हालात से जिले की राजनीति में खास बदलाव आने की उम्मीद नहीं है। साल 2015 में जब प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व बदला था, पार्टी की कप्तानी से कैप्टन को हटाकर प्रताप सिंह बाजवा को नया अध्यक्ष बनाया गया था, उस समय भी कैप्टन अमरिदर सिंह को मोगा में मायूसी का सामना करना पड़ा था। दो नेताओं को छोड़कर जिले की राजनीति के सभी दिग्गजों ने कैप्टन से दूरी बना ली थी, अकेले ही उन्होंने मोगा ओरबिट कांड के पीड़ितों का हालचाल पूछने मथुरादास सिविल अस्पताल जाना पड़ा था। सिर्फ धर्मकोट के कांग्रेस विधायक सुखजीत सिंह काका लोहगढ़ को जरूर झटका लगा है।
जिस समय कैप्टन अमरिदर सिंह व कांग्रेस के अध्यक्ष बने नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तनातनी शुरू हुई थी,तब काका नवजोत सिंह सिद्धू के साथ थे, लेकिन बाद वे पाला बदलकर कैप्टन अमरिदर सिंह के साथ चले गए थे। जिले में चार में से कांग्रेस के तीन विधायक हैं
जिले की चार विधानसभा सीटों में से तीन पर कांग्रेस का कब्जा है, इनमें से शहर विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक डा.हरजोत कमल की शुरू से ही प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से नजदीकी रही है। उनके सहयोग के लिए जो चार कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं, उनमें से दो कार्यकारी अध्यक्ष के साथ ही डा.हरजोत कमल की नजदीकी है। बाघापुराना से विधायक दर्शन सिंह बराड़ विवादों में घिरने के बाद भी सिद्धू, कैप्टन विवाद के दौरान खुलकर नवजोत सिंह सिद्धू के साथ दिखे थे। करीब डेढ़ साल पहले उनकी एक डेरे के बाबा के साथ वीडियो वायरल हुई थी, उसमें भी दर्शन सिंह बराड़ कैप्टन अमरिदर सिंह को कोसते हुए सुने जा रहे थे, वे बाबा से फरियाद रहा थे कि कैप्टन उनकी सुनता नहीं है। शुरू से ही दर्शन बराड़ के कैप्टन अमरिदर सिंह के साथ संबंध अच्छे नहीं रहे थे, नवजोत सिंह सिद्धू के साथ उनकी नजदीकी जगजाहिर रही है। खुद सिद्धू भी विवाद के दौरान उन्हें बापू संबोधन कहकर पुकारते हुए दिख रहे हैं। कैप्टन से 2015 में भी किया था किनारा
साल 2015 में मोगा विधानसभा सीट के उप चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी विजय साथी की हार के बाद विजय साथी ने शहर में कैप्टन अमरिदर सिंह का धन्यवाद करने के लिए जलसा रखा था, उन्हीं दिनों में अप्रैल महीने में मोगा में ओरबिट बस कांड हुआ था। उस समय कैप्टन अमरिदर सिंह पूर्व विधायक विजय कुमार साथी के जलसे में शामिल होने पहुंचे थे, उस जलसे में साथी के अलावा पंजाब बुद्धिजीवी सेल के सीनियर वाइस चेयरमैन रवि पंडित ही पहुंचे थे, दिग्गज कांग्रेस नेताओं ने जलसे से किनारा कर कैप्टन से मुंह मोड़कर प्रताप सिंह बाजवा में अपनी आस्था जताई थी। जलसे से लौटकर कैप्टन अमरिदर सिंह सिविल अस्पताल में ओरबिट बस कांड की घायल को देखने सिविल अस्पताल पहुंचे, उस समय कांग्रेस के नेता अस्पताल के बाहर धरना दे रहे थे, जैसे ही पता चला कि कैप्टन वहां पहुंच रहे हैं, सभी कांग्रेसियों ने धरना वहां से हटाकर जोगिदर सिंह चौक पर लगा दिया था ताकि कैप्टन का उनसे आमना-सामना न हो सके। वर्तमान परिस्थितियों में भी कैप्टन के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद जिले की राजनीति पर कोई खास फर्क पड़ेगा, इसकी संभावना कम ही है।