डेढ़ साल पहले मंडी में पैदा हुआ खतरा टला या नई साजिश रची!
मोगा डेढ़ साल पहले जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स के साथ ही वीआइपी की सुरक्षा की बात कहकर मार्केट कमेटी ने डीसी की मदद से नई दाना मंडी में गेट के निकट लगने वाली सब्जी मंडी से जीरा रोड साइड पर 177 सब्जी विक्रेताओं की अस्थायी दुकानों को शिफ्ट करा दिया था।
सत्येन ओझा, मोगा
डेढ़ साल पहले जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स के साथ ही वीआइपी की सुरक्षा की बात कहकर मार्केट कमेटी ने डीसी की मदद से नई दाना मंडी में गेट के निकट लगने वाली सब्जी मंडी से जीरा रोड साइड पर 177 सब्जी विक्रेताओं की अस्थायी दुकानों को शिफ्ट करा दिया था। अब मंडी बोर्ड के सचिव ने चेयरमैन मंडीकरण बोर्ड को पत्र लिखकर दुकानें फिर से गेट के पास शिफ्ट करने की मंजूरी मांगी है। मार्केट कमेटी ने इस तथ्य को भी छिपाया कि आखिर जिन सुरक्षा मानकों को लेकर दुकानें डेढ़ साल पहले शिफ्ट हुई थीं क्या अब वह खतरा टल गया है। यही नहीं डीसी को भी मंजूरी मांगने से पहले सूचित नहीं किया गया। चर्चा है सब्जी मंडी की वर्तमान जगह के पीछे दीवार खड़ी करने के नाम पर ब्लैक मनी इकट्ठा करने की साजिश रची गई है।
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यह है मामला
नई दाना मंडी के जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स के बराबर गेट के अंदर प्रवेश करते ही पहले 177 रिटेल सब्जी विक्रेताओं की दुकानें लगती थीं। स्वतंत्रता दिवस समारोह व गणतंत्र दिवस समारोह जैसे कार्यक्रम ही नहीं बल्कि वीआइपी के कार्यक्रम जब नई दाना मंडी में शुरू हुए तो सब्जियों की इन दुकानों को वीआइपी की सुरक्षा को देखते हुए खतरा माना गया था। किसी भी वीआइपी मूवमेंट के समय दुकानें बंद करानी पड़ती थीं। यही नहीं सब्जी की दुकानों से जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स की दीवार लगती है, उसी के बराबर खजाना कार्यालय है। मंडी का यह मुख्य गेट है। धान व गेहूं के सीजन में गेट पर सब्जी मंडी लगने से किसानों को भी काफी मुश्किल होती थी। इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए डीसी की मदद से डेढ़ साल पहले ये दुकानें मंडी के जीरा रोड की तरफ खाली स्थान पर शिफ्ट कर दी गई थी। जिससे मंडी में जाम की समस्या भी खत्म हो गई थी और किसानों को भी राहत मिल गई थी।
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यह है नई योजना
सचिव मार्केट कमेटी वजीर सिंह के हस्ताक्षर वाले पत्र में मंडीकरण बोर्ड के चेयरमैन को 25 अक्टूबर को लिखकर सब्जी की दुकानें दोबारा पुराने स्थान पर शिफ्ट करने की मंजूरी मांगी है। इसमें इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि जिस सुरक्षा की बात कहकर पहले दुकानें शिफ्ट की गई थीं क्या अब वो खतरा टल गया है। दुकानों को शिफ्ट करने के पीछे तैयार की गई साजिश की परतें खुलने पर अब अधिकारी मामले को अपने ढंग से तैयार कर रहे हैं। सचिव वजीर सिंह का कहना है कि दो दिन से उन्हें उच्च रक्तचाप है। इसलिए कार्यालय नहीं जा रहे हैं। पत्र तो उन्होंने लिखा है लेकिन कार्यालय में आकर ही कुछ बताएंगे।
असल में इस मामले में को लेकर मंडी सचिव व जिला मंडी अधिकारी के बीच जमकर ठन गई है, उनमें तीन दिन पहले झगड़ा भी हुआ था।
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सुंदरीकरण के तहत लाया प्रस्ताव : डीएमओ
जिला मंडी अधिकारी (डीएमओ) मनदीप सिंह का कहना है कि मंडी के सुंदरीकरण की योजना के तहत यह प्रस्ताव लाया गया है। दुकानदारों को स्टाल बनाकर देंगे। कचरा प्रबंधन का प्रबंध किया जाएगा। इस समय जहां दुकानें हैं, वहां दुकानदारों ने निर्माण कर लिए हैं। जिन्हें ध्वस्त किया जाएगा। दुकानों के पीछे नहर किनारे की टूटी दीवार को ऊंचा बनाएंगे। दुकानदार बिजली की भी चोरी करते हैं।
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यह है जमीनी हकीकत
नहर किनारे की दीवार झुग्गी बस्ती के निवासी 10-12 साल पहले ही ध्वस्त कर चुके हैं। दुकानें डेढ़ साल पहले शिफ्ट हुई थीं। पक्के निर्माण झुग्गी बस्ती में बने हैं। दुकानों की तरफ नहीं। मार्केट कमेटी के मुलाजिम मंडी के मीटर से झुग्गी बस्ती के लोगों को अवैध रूप से बिजली के तार डालकर उनसे वसूली करते हैं।
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यह है चर्चा
मंडी के दुकानदारों को मौखिक रूप से कहा गया है कि प्रति दुकानदार एक लाख रुपये दें, उन्हें गेट के निकट ही स्टाल बनाकर देंगे। जिसकी रसीद नहीं दी जाएगी। 200 रुपये प्रतिदिन मंडी फीस वसूली की रसीद उन्हें दी जाएगी। हालांकि डीएमओ मनदीप सिंह एक लाख रुपये वसूली की बात से इन्कार कर रहे हैं।