सत्संग में आने से शुद्ध होते हैं विचार: स्वामी जी

स्वामी परमानंद गिरी महाराज के आशीर्वाद से गोशाला भवन में श्रीमद् भागवत सप्ताह यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 09:40 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 09:40 PM (IST)
सत्संग में आने से शुद्ध होते हैं विचार: स्वामी जी
सत्संग में आने से शुद्ध होते हैं विचार: स्वामी जी

संसू, मानसा: श्री अखंड परमधाम सेवा समिति मानसा की ओर से स्वामी परमानंद गिरी महाराज के आशीर्वाद से गोशाला भवन में श्रीमद् भागवत सप्ताह यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।

सप्ताह के दूसरे दिन ज्योति प्रचंड करने की रस्म सतीश कुमार गोयल व उनके परिवार द्वारा अदा की गई। आरती की रस्म ईटीओ मदन लाल जिदल ने अदा की। प्रवचन करते हुए व्यास महामंडलेशवर श्री स्वामी ज्योतिरमय नंद गिरी महाराज ने कहा कि जो मनुष्य सत्संग में आते हैं, वह अच्छे कर्म के मालिक हैं। क्योंकि सत्संग मे आने से व्यक्ति के विचार शुद्ध होते हैं व प्रमात्मा से नजदीकी बढ़ती है। मुनष्य जीवन का लक्ष्य परमात्मा का सिमरन कर उसकी प्राप्ति करना है। संत इंसान के जीवन से अंधकार दूर कर ज्ञान रूप प्रकाश से इंसान का जीवन सफल बनाते हैं व मोह माया लोभ के जाल से निकाल मन को शांत करने का रास्ता दिखाते हैं। उनके साथ आई भजन मंडली ने सुंदर सुंदर भजन गाकर सभी को मंत्रमुगंध कर दिया। यहां प्रेम जोगा, महेश अतला, सतीश गोयल, पवन कुमार, विजय मूसा, सुनील गुप्ता, सुरिदर पिटा, डा. अंकुश गुप्ता, रुलदू राम नंदगढ, संजय मित्तल, अशोक मत्ती, सुनिल गुप्ता आदि मौजूद थे। मानवता के बिना दानव समान है मानव: डा. राजेंद्र मुनि जैन सभा प्रवचन हाल में संत डा. राजेंद्र मुनि ने जैन धर्म की मान्यता अनुसार इस संसार में उत्तारवाद को महत्व दिया, जिसमें जीव आत्मा संसार से ऊपर उठकर उत्तार की ओर अर्थात मोक्ष की ओर प्रयान करती है।

उन्होंने बताया कि जीव अपने पाप पुण्य रूपी कर्मानुसार चार गति चौरासी लाख योनिओं में तीनों लोको में नींचलोक मध्यलोक व उधर्व लोक में भव भर्मण करता ही रहता है। सर्वभूत अर्थात समस्त जीवों में यही संसार का चक्र चलता ही रहता है। अपने तप, जप, साधना, संयम के कारण वह समस्त कर्म क्षय करके ऊपर की ओर मोक्ष की ओर प्रयान कर जाता है, कितु मोक्ष जाने के बाद पुन: लौटकर नहीं आता, जबकि अन्य धर्मों की मान्यता अनुसार अवतारवाद अर्थात ईश्वर समय-समय पर पुन: जन्म धारण करके लोगों के दुखों का अंत करते हैं।

सभा में साहित्यकार सुरेंद्र मुनि ने मानवीय जीवन के गुणों का उल्लेख करते हुए कहा मानव में अगर मानवता के गुण नहीं नहीं आ पाए, सत्य, अहिसा, करुणा के भाव प्रगट नहीं हुए तो मानव दानव का ही दूसरा रूप है। आज मानव तो करोड़ों अरबों में नजर आते हैं पर उनकी जीवन चर्य दानवों की तरह हो रही है। सभा में महामंत्री उमेश जैन द्वारा स्वागत व सूचना प्रदान की गई।

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