चिताजनक: गिरते भूजल स्तर से हर साल निगम के 40 से ज्यादा ट्यूबवेल दे रहे जवाब
लगातार गिर रहे भू जलस्तर ने नगर निगम के सामने बड़ी समस्या खड़ी होने लगी है। भूजल स्तर गिरने से नगर निगम के ट्यूबवेल एक के बाद एक जवाब देने लगे हैं। पांच साल पहले तक नगर निगम जहां 450 फीट बोर करके ट्यूबवेल लगवाता था वहीं अब 600 से 650 फीट तक बोर करवाना पड़ रहा है ताकि यह ट्यूबवेल अगले दस साल तक पानी देता रहे।
राजेश भट्ट, लुधियाना
लगातार गिर रहे भू जलस्तर ने नगर निगम के सामने बड़ी समस्या खड़ी होने लगी है। भूजल स्तर गिरने से नगर निगम के ट्यूबवेल एक के बाद एक जवाब देने लगे हैं। पांच साल पहले तक नगर निगम जहां 450 फीट बोर करके ट्यूबवेल लगवाता था वहीं अब 600 से 650 फीट तक बोर करवाना पड़ रहा है ताकि यह ट्यूबवेल अगले दस साल तक पानी देता रहे। पानी का स्तर तेजी से गिरने की वजह से पिछले कुछ सालों से हर साल 40 से 50 ट्यूबवेल खराब हो रहे हैं। इससे कई इलाकों में पीने के पानी का संकट पैदा हो रहा है। लोगों को पीने के पानी की आपूर्ति मिलते रहे इसके लिए नगर निगम को हर साल खराब हुए ट्यूबवेलों की जगह नए ट्यूबवेल लगाने पड़ रहे हैं। नए ट्यूबवेल लगाने पर निगम को हर साल आठ से दस करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। अगर भू जलस्तर की बर्बादी इसी तरह होती रही तो आने वाले सालों में जल संकट पैदा हो सकता है। नगर निगम ने दो दिन पहले ही शहर में 20 खराब ट्यूबवेलों की जगह ट्यूबवेल लगाने की प्रक्रिया शुरू की।
शहर में पीने के पानी की सप्लाई भूजल पर ही निर्भर है। इसके लिए निगम ने 850 बड़े ट्यूबवेल व 150 छोटे ट्यूबवे लगाए हैं। इसके अलावा शहर में 20 हजार के करीब सबमर्सिबल पंप लोगों ने अपने घरों और फैक्ट्रियों में लगाए हैं। इस तरह शहर में रोजाना 700 से 750 एमएलडी पानी जमीन के नीचे से निकाला जा रहा है। लुधियाना में हर साल पानी का स्तर हर साल तीन से साढ़े तीन फीट नीचे जा रहा है। 20 साल पहले लुधियाना में पानी 40 से 60 फीट पर उपलब्ध था और पीने का पानी 100 से 120 फीट पर मिल जाता था। पिछले 20 सालों में भूजल का इस्तेमाल शहरों और खेती में तेजी से बढ़ा। इसकी वजह से पानी का स्तर 120 से 140 फीट तक पहुंच गया और पीने वाला पानी का स्तर 350 से 450 फीट तक पहुंच गया। अगर इसी गति से पानी का दोहन होता रहा तो आने वाले दस सालों में पीने वाला पानी 550 से 600 फीट तक चले जाएगा। लुधियाना जिले के 12 ब्लाकों में से ज्यादातर ब्लाक डार्क जोन में जा चुके हैं। यह रहे भू जल स्तर गिरने के अहम कारण -शहरी क्षेत्रों में पानी का बेहिसाब इस्तेमाल।
-पीने के पानी के लिए रोजाना 700 से 750 एमएलडी पानी निकालना
-बरसाती पानी को जमीन के अंदर डालने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिग वेल नहीं बनाए गए
-धान की खेती में बेतहाशा पानी का इस्तेमाल होना
-भूजल बचाने के लिए प्रयास गंभीरता से नहीं किए गए अब तक किए गए प्रयास
-शहर में पीने के पानी की सप्लाई के लिए नहरी पानी लाने की योजना पर काम चल रहा है
-नए सबमर्सिबल व ट्यूबवेल लगाने पर प्रतिबंध, निगम सिर्फ पुराने खराब हुए ट्यूबवेल की जगह नए लगा सकता है
-120 वर्ग गज तक के सभी मकानों में रेन वाटर रिचार्ज वेल बनाने जरूरी किए। लेकिन इस पर निगम अफसर गंभीर नहीं हैं।
-धान की रोपाई का समय लेट किया गया ताकि बरसात से ही ज्यादा से ज्यादा पानी धान को मिल सके। नहरी प्रोजेक्ट पर चल रहा तेजी से काम
गिरते भूजल स्तर को लेकर निगम पूरी तरह से गंभीर है। पानी का स्तर गिरने से निगम को भी भारी नुकसान हो रहा है। हर साल ट्यूबवेल जवाब दे रहे हैं जिससे निगम को करोड़ों रुपये का वित्तीय नुकसान भी हो रहा है। अब नहरी पानी के प्रोजेक्ट पर तेजी से काम चल रहा है। जगह जगह रेन वाटर रिचार्ज वेल बनाए जा रहे हैं।
बलकार सिंह संधू, मेयर लुधियाना