ज्यादातर मरीज स्ट्रोक के लक्षणों से रहते हैं अनजान: डा. आलोक

फोर्टिस अस्पताल लुधियाना में विश्व स्ट्रोक दिवस पर जागरूकता लेक्चर का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 09:54 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 09:54 PM (IST)
ज्यादातर मरीज स्ट्रोक के लक्षणों से रहते हैं अनजान: डा. आलोक
ज्यादातर मरीज स्ट्रोक के लक्षणों से रहते हैं अनजान: डा. आलोक

जारगण संवाददाता, लुधियाना : फोर्टिस अस्पताल लुधियाना में विश्व स्ट्रोक दिवस पर जागरूकता लेक्चर का आयोजन किया गया। इसमें सीनियर न्यूरोलोजिस्ट डा. आलोक जैन ने स्ट्रोक के लक्षण और बचाव के बारे में बताया। उन्होंने स्ट्ऱोक के दैनिक जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी भी दी। डा जैन ने कहा कि ज्यादातर लोग इसके संकेत व लक्षणों से अनजान रहते हैं। धमनी या रक्त वाहिका अवरुद्ध होने या फट जाने पर स्ट्रोक होता है। ऐसी स्थिति में दिमाग में खून का प्रवाह बाधित हो जाता है। इससे ब्रेन आर्टरी (मस्तिष्क कोशिका) डेड हो जाती है।

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में स्ट्रोक की संभावना ज्यादा होती है। हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, धूम्रपान, शुगर, हाई कोलेस्ट्राल भी स्ट्रोक के खतरे को बढ़ाते हैं। इसके संकेत और लक्षणों की सही जानकारी नहीं होने के कारण अकसर इसके इलाज में देरी हो जाती है। चेहरे का एक तरफ मुडना, सुन्न हो जाना, चलना या बोलने में कठिनाई, चक्कर आना, चलने में संतुलन खोना, बिना कारण सिर में तेज दर्द होना इसके लक्षण हैं। कुछ मिनट से लेकर एक घंटे तक रहने वाले स्ट्रोक को ट्रांसिएंट इस्केमिक अटैक (टीआइए) या मिनी-स्ट्रोक कहा जाता है। अगर स्ट्रोक के चार घंटों के भीतर मरीज डाक्टर तक पहुंच जाए तो ज्यादातर केसों में इलाज संभव है। इस्केमिक स्ट्रोक वाले मरीजों को पहले चार घंटों के भीतर एक क्लाट-डिसाल्विग ड्रग (थ्रोम्बोलिसिस) के साथ इंजेक्ट किया जाए तो मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति दोबारा शुरू हो सकती है।

chat bot
आपका साथी