सोशल मीडिया पर सवाल, पहले कोरोना की वैक्सीन आएगी या जगराओं पुल बनेगा?

सरकार के उदासीन रवैये को लेकर तरह-तरह की पोस्टें डाली जा रही हैं। जो न सिर्फ सरकार की ढीली कार्यप्रणाली पर कटाक्ष करती हैं बल्कि लोगों के बीच हास्य का प्रसंग भी बन रही हैं।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Mon, 21 Sep 2020 09:52 AM (IST) Updated:Mon, 21 Sep 2020 09:52 AM (IST)
सोशल मीडिया पर सवाल, पहले कोरोना की वैक्सीन आएगी या जगराओं पुल बनेगा?
सोशल मीडिया पर सवाल, पहले कोरोना की वैक्सीन आएगी या जगराओं पुल बनेगा?

लुधियाना, [राजन कैंथ]। जगराओं पुल इन दिनों शहर का सबसे चर्चित मुद्दा बना हुआ है। एक साल में तैयार किए जाने वाले इस पुल को बनाने में चार साल से ज्यादा का समय लग गया। इसके बाद शहरवासियों के धैर्य ने जवाब देना शुरू कर दिया। शहर के नेताओं ने इस पर राजनीति करनी शुरू कर दी। किसी ने पुल की बरसी मनाई तो किसी ने पुल पर फूल बिछाकर गांधीगिरी की। शहरवासियों ने सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को उछालना शुरू कर दिया। सरकार और अधिकारियों के उदासीन रवैये को लेकर तरह-तरह की पोस्टें डाली जा रही हैं। जो न सिर्फ सरकार की ढीली कार्यप्रणाली पर कटाक्ष करती हैं, बल्कि लोगों के बीच हास्य का प्रसंग भी बन रही हैं। वायरल हो रहीं पोस्ट्स में एक सबसे मजेदार पोस्ट है, जिसमें व्यक्ति ने लिखा है कि बताइए क्या कोरोना की वैक्सीन पहले आएगी या फिर जगराओं पुल पहले बनेगा।

अफसरों पर राजनीति हो रही हावी

अफसरशाही पर राजनीति इस कदर हावी है कि चाहते हुए भी अधिकारी कुछ करने में असहाय नजर आते हैं। एक दिन पहले ही इसका ताजा उदाहरण देखने को मिला। कबीर नगर इलाके में घर के बाहर से मोटरसाइकिल सवार दो बदमाश एक व्यक्ति से सोने की चेन झपट कर फरार हो गए। मौके पर पहुंची पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज देखी तो वहां मौजूद एक पुलिस कर्मचारी ने उन दो बदमाशों में से एक को पहचान लिया। उसने अपने अधिकारी से कहा कि यह तो उसी गैंग का आदमी लग रहा है। इस पर अधिकारी ने कहा कि पकड़ तो लेंगे इस बदमाश को, लेकिन उसके बाद इसे बचाने के लिए शहर के नेता, पार्षद और कई रसूखदार लोगों के फोन आने लगेंगे। इसके बाद भी अगर इसको अदालत में पेश कर दिया गया तो हमारे देश के कानून की लचर व्यवस्था एक महीने बाद ही जमानत पर रिहा कर देगी।

रसूखदारों के दबाव में आ रही खाकी

पुलिस पर रसूखदार लोगों के दबाव में काम करने के आरोप लगते रहते हैं। हाल ही में ऐसे दो मामले आए। आमतौर पर कोई भी वारदात होने पर पुलिस तत्काल उसकी जानकारी मीडिया को देती है, लेकिन मामला किसी रसूखदार व्यक्ति या उसके परिवार से जुड़ा है, तो एकदम चुप्पी साध लेती है। चार दिन पहले साउथ सिटी इलाके में रहते एक रसूखदार परिवार की नाबालिग बेटी ने नगर निगम की 100 फीट ऊंची टंकी से कूदकर जान दे दी। पुलिस ने दिन भर इस घटना पर पर्दा डाले रखा। शाम को उच्च अधिकारियों से बात करने के बाद पुलिस ने मामला सामने रखा। फिर शुक्रवार को ही साउथ सिटी इलाके के प्रसिद्ध ज्वेलर ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। इस घटना को भी पुलिस ने दबाने का प्रयास कियाा। शाम को उच्च अधिकारियों से बात हुई, तब जाकर मीडिया को मामले के बारे में जानकारी दी गई।

नास्तिक भी अब बनने लगे आस्तिक

कोरोना काल में न पैसा काम आ रहा और न पहचान साथ दे रही। कोरोना ने लोगों को उस मुकाम पर ला खड़ा किया है, जहां नास्तिक भी भगवान के अस्तित्व में विश्वास रखने लगे हैं। आपात स्थिति में अस्पतालों में दाखिला नहीं मिल पा रहा है। ऑक्सीजन की कमी वाले मरीज समय पर उपचार न मिलने से दम तोड़ रहे हैं। पिछले सप्ताह शहर के कारोबारी की जब अस्पताल प्रांगण में उपचार न मिलने के कारण मौत हो गई, तो उसके बेटे ने सोशल मीडिया पर लाइव होकर अस्पताल की पोल खोली। हैबोवाल निवासी राजन बांसल के पास किसी चीज की कमी न थी, मगर अंतिम समय में किसी अस्पताल ने उन्हें एडमिट नहीं किया। सिफारिशों के बाद जब एक अस्पताल में बेड मिला, तब तक देर हो चुकी थी। कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया तो कुछ ही समय बाद उनकी जान चली गई।

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