धान की सीधी बिजाई से पानी बचाने में क्रांतिकारी कदम : डॉ. गुरदेव खुश

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से बुधवार को धान की सीधी बिजाई अपनाने में आने वाली चुनौतियों व संभावनाओं को लेकर वेबिनार करवाया गया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 04:00 AM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 05:11 AM (IST)
धान की सीधी बिजाई से पानी बचाने में क्रांतिकारी कदम : डॉ. गुरदेव खुश
धान की सीधी बिजाई से पानी बचाने में क्रांतिकारी कदम : डॉ. गुरदेव खुश

जागरण संवाददाता, लुधियाना : पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से बुधवार को धान की सीधी बिजाई अपनाने में आने वाली चुनौतियों व संभावनाओं को लेकर वेबिनार करवाया गया। राष्ट्रीय खेती उच्च शिक्षा प्रोजेक्ट से करवाए गए इस वेबिनार की अध्यक्षता पीएयू के वीसी डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों ने की। भारतीय खेती खोज परिषद के डिप्टी निदेशक जनरल डॉ. आरसी अग्रवाल बतौर मुख्य मेहतान शामिल हुए। जबकि पीएयू के पूर्व विद्यार्थी व विश्व परिषद राइस ब्रीडर वैज्ञानिक डॉ. गुरदेव सिंह खुश विशेष तौर पर वेबीनार का हिस्सा बने।

वेबीनार की शुरूआत डॉ. खुश ने की। उन्होंने कहा कि कैलिफोर्नियां में धान की सीधी बिजाई की जाती है। इस तकनीक से न सिर्फ मजदूरी का खर्चा कम होता है बल्कि झाड़ भी अधिक होता है। यह तकनीक पानी बचाने के पक्ष से क्रांतिकारी कदम साबित हो सकती है। लेकिन किसानों को यह भी ध्यान रखना होगा कि वह धान के केवल प्रमाणित बीज ही प्रयोग में लाएं। वहीं पीएयू के वीसी डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों ने कहा कि पानी की बचत के लिए पीएयू ने धान की सीधी बिजाई की सिफारिश की है।

कृषि विधेयक से पूरे देश के लिए खतरा : गेजा राम जागरण संवाददाता, जगराओं : कृषि विधेयक अकेले किसानों के लिए ही नही बल्कि समूचे देश वासियों के लिए खतरनाक है। यह कहना है सफाई कर्मचारी कमिशन पंजाब के चेयरमैन गेजा राम का।

उन्होंने बताया कि सूबे के किसान, जमींदार व मजदूर वर्ग कृषि विधेयक के लागू होने के रोष प्रदर्शन तो कर रही है लेकिन केंद्र सरकार उनको देश के बड़े कॉरपोरेट घरानों के गुलाम बनाने की तैयारी में है। केंद्र सरकार की ओर से आम लोगों के बड़े विरोध के बावजूद इन बिलों को मंजूर कर देना सीधे तौर पर आम वर्ग से धोखा है। ऐसा करके मोदी सरकार पहले ही कोरोना काल से बुझे किसान, मजदूर व जमींदार वर्ग के लिए और परेशानियां ला रही है।

उन्होंने कहा कि हमारी कांग्रेस सरकार किसानों के साथ है और खेती विधेयकों का विरोध करके रहेंगे और जरूरत पड़ी इस संघर्ष को और तेज कर इंसाफ की मांग करेंगे।

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