पुराने ट्रैक की वजह से हाई स्पीड ट्रेनों की रफ्तार हुई कम, बदलने में लगेंगे तीन साल Ludhiana News
पुराने ट्रैक की वजह से हाई स्पीड ट्रेनों की रफ्तार पर काफी असर पड़ रहा है। सौ साल पुराने रेलवे ट्रैक को बदलने में अभी तीन साल और लग सकते हैं।
लुधियाना, जेएनएन। वंदे भारत समेत सेमी हाईस्पीड ट्रेनों के परिचालन में रेल की कमजोर व्यवस्था आड़े आ रही है। दरअसल इस ट्रेन के आगाज से पहले रेलवे की तरफ से कहा गया कि इसे 140 किलोमीटर की रफ्तार से चलाया जाएगा। पर रेल ट्रैक की हालत ऐसी है कि इसे सेमी हाई स्पीड ट्रेनों शताब्दी एक्सप्रेस, स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस और सुपरफास्ट ट्रेनों की स्पीड यानि कि करीब 110 किलोमीटर की रफ्तार से ही चलाया जा रहा है।
अब ऐसे में किसी स्टेशन पर क्रॉसिंग के दौरान इन सुपरफास्ट ट्रेनों को रोककर वंदे भारत ट्रेन को निकाला जा रहा है। इन सब बाधाओं का कारण स्टाफ की कमी, पुराने उपकरण, ट्रेन की रफ्तार के अनुसार इंफ्रास्ट्रक्टर अपडेट न होना है। इसी कारण वंदे भारत के साथ सेमी हाईस्पीड ट्रेनों के परिचालन तय समय से नहीं हो पा रहा है। व्यवस्था की कमजोरी के चलते नई कई सेमी हाईस्पीड ट्रेन का परिचालन फिलहाल ठंडे बस्ते में पड़ा है।
सेमी हाईस्पीड ट्रेनों के परिचालन में रेल व्यवस्था कमजोर होने के बारे में फिरोजपुर रेल मंडल के डीआरएम राजेश अग्रवाल का कहना है कि व्यवस्था और उपकरणों में सुधार जारी है। जल्द ही सभी खामियां दूर हो जाएगी।
कम स्टॉपेज और अन्य ट्रेनों को रोक किया जा रहा पास
रेल अधिकारी बताते हैं कि पुरानी पटरी पर सेमी हाईस्पीड ट्रेनों का परिचालन करना कठिन काम है। जब उनसे पूछा गया कि वंदे भारत और अन्य सेमी हाईस्पीड ट्रेनों का परिचालन भी एक जैसी करीब 110 किलोमीटर की रफ्तार से किया जा रहा है तो उनका कहना है कि रेल ट्रैक सालों पुराना है। बस बीच-बीच में मरम्मत ही की जाती है या पटरी का कुछ हिस्सा बदला जाता है। इसके कम स्टॉपेज होने और अन्य ट्रेनों को रोक कर इस वंदे भारत एक्सप्रेस को पास करने के कारण ही यह ट्रेन निर्धारित समय से पहुंच जा रही है। अधिकारी ने बताया कि अभी रेल ट्रैक को बदलने व इंफ्रास्ट्रक्चर को बदलने में करीब तीन साल लगेंगे।
जर्जर उपकरणों पर रेल मुलाजिमों का पहरा
सेमी हाईस्पीड ट्रेनों के परिचालन के समय रेल मुलाजिमों का जर्जर उपकरणों पर पहरा होता है। ट्रैक चेंजर, सिग्नल, प्लेटफार्म पर डिस्प्ले बोर्ड आदि उपकरण पुराने हैं। इनको बदलना जरूरी है लेकिन अभी इस बारे में विभागीय आर्डर नहीं आने से हर स्टेशन पर ड्यूटी करने वाले मुलाजिम चिंता में रहते हैं।