पंजाब में अनोखा प्रयास, स्‍वर्ण मिश्रित स्याही से लिख रहे श्री गुरु ग्रंथ साहिब, पांच साल में होगा पूरा

Unique Sri Guru Granth Sahib पंजाब में एक पूर्व शिक्षक स्‍वर्ण मिश्रित स्‍याही से अनोखा श्री गुरु ग्रंथ साहिब लिख रहे हैं। वह सोने की स्‍याही से श्री गुरु ग्रंथ साहिब लिख रहे हैं। य श्री गुुरुग्रंथ साहिब पांच साल मेें पूरा हो जाएगा।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Mon, 07 Jun 2021 02:57 PM (IST) Updated:Tue, 08 Jun 2021 08:18 AM (IST)
पंजाब में अनोखा प्रयास, स्‍वर्ण मिश्रित स्याही से लिख रहे श्री गुरु ग्रंथ साहिब, पांच साल में होगा पूरा
श्री गुरु ग्रंथ साहिब का लेखन करते मनकीरत सिंह। (मनकीरत सिंह द्वारा उपलब्‍ध कराया गया)

नवजोत बजाज, भगता भाईका (बठिंडा)। मनकीरत का अर्थ है- मन लगाकर कीरत यानी काम करने वाला। भगता भाईका के गुरसिख मनकीरत सिंह अपने नाम को गुरु की सेवा से सार्थक कर रहे हैं। वह स्‍वर्ण मिश्रित स्याही से अनोखा श्री गुरु ग्रंथ साहिब लिख रहे हैं। उन्होंने वर्ष 2018 में यह पावन कार्य शुरू किया था। उस समय वह प्राइवेट स्कूल में शिक्षक थे। वह अपना वेतन इसी सेवा पर लगा रहे थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण वेतन मिलना बंद हुआ तो नौकरी छोडऩी पड़ी, लेकिन उनकी लगन पर कोई असर नहीं पड़ा। अभी मनकीरत आढ़त का काम करते हैं। कमाई का बड़ा हिस्सा इसी काम में लगा देते हैं।

अब तक 250 पन्ने लिख चुके हैं बठिंडा के मनकीरत, पांच साल लगेंगे पूरा होने में

इस काम के लिए उन्हें कुछ लोगों का सहयोग भी मिलता रहा, लेकिन कोरोना काल में यह सहायता भी बंद हो गई। दूसरी बड़ी दिक्कत लेखन में इस्तेमाल होने वाले सामान को लेकर रही। यह सामान उन्हें लखनऊ, दिल्ली, राजस्थान व कश्मीर से मंगवाना पड़ता है, लेकिन कोरोना की पाबंदियों के कारण बाजार बंद रहे। इसलिए सामान मंगवाने में परेशानी आई। हालांकि, कुछ सामान स्थानीय स्तर पर भी जुटा लेते हैं।

पंजाब के बठिंडा के भगता भाईका निवासी मनकीरत सिंह।(जागरण)

1430 पन्ने लिखने का लक्ष्य, करीब 35 लाख रुपये तक का खर्च आएगा

मनकीरत के मुताबिक इस पवित्र कार्य को पूरा करने में करीब 30 से 35 लाख रुपये का खर्च होगा। अभी पांच साल और लगेंगे। वह कहते हैं, 'यह तो समय ही बताएगा कि इतने बड़े खर्च का इंतजाम कैसे होगा, लेकिन मैं यह सेवा हर हाल में पूरा करूंगा। जब तक वाहेगुरु का हाथ मेरे सिर पर रहेगा, मुझे घबराने की जरूरत नहीं है।'

संगीत विषय में मास्टर डिग्री हासिल करने वाले मनकीरत सिंह से जब पूछा गया कि आपको इसके लिए प्रेरणा कहां से मिली तो उन्होंने कहा, 'बहुत लोगों नेे प्रेरित किया। खासकर मेरे उस्ताद कुलविंदर सिंह। इस काम से बड़ा सुकून मिलता है। गुरु साहिब के चरणों में बैठने जैसा एहसास होता है।'

मनकीरत सिंह द्वारा लिखा गया श्री गुरु ग्रंथ साहिब का अंग (पन्ना)।

रोज छह-सात घंटे में लिखते हैं एक पन्ना

मनकीरत अब तक 250 अंग (पन्ने) लिख चुके हैं। रोज छह से सात घंटे वे इसी काम में लगाते हैं, तब जाकर दिन में एक पन्ना लिख पाते हैं। लिखावट के लिए भी उन्होंने गुरुद्वारा साहिब में कड़ा अभ्यास किया है। इसके लिए खास किस्म की कलम इस्तेमाल होती है, जिसकी लकड़ी विजयसार नाम के औषधीय गुणों वाले पौधे से मिलती है। कुल 1430 पन्ने लिखने का लक्ष्य है। इसके अलावा 30 पन्ने अलग से लिखेंगे। एक पेज पर करीब 700 से एक हजार रुपये तक का खर्च आता है। वहीं यह काम पूरा हो जाने के बाद जिल्द (कवर) सोने की बनवाई जाएगी। जिसमें करीब चार से पांच सौ ग्राम सोने का इस्तेमाल होगा।

कैसे तैयार होती है स्‍वर्ण स्याही

मनकीरत ने बताया कि लेखन में खास किस्म की स्याही इस्तेमाल होती है। इसके लिए सोना व लाजवर्द (मूल्यवान नीले रंग का पत्थर) बराबर मात्रा में मिलाते हैं। इसके बाद कीकर (बबूल) की गोंद व विजयसार की लकड़ी के पानी के मिश्रण से तांबे के बर्तन में डाल कर नीम की लकड़ी से स्याही तैयार की जाती है। भृंगराज समेत अन्य सामान डालकर इसकी करीब 20 दिन तक रगड़ाई करनी पड़ती है। स्याही का रंग काला ही रहता है, लेकिन सोना मिक्स होने से कम रोशनी में भी अक्षर चमकने लगते हैं।

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