धन का होना कोई बुरी बात नहीं है: रमेश मुनि

चातुर्मास के प्रथम दिन अपने संबोधन में रमेश मुनि म. ने कहा कि कभी-कभी गरीब व गरीबी का साक्षात्कार भी कीजिए। जीवन में धन का होना भी जरूरी है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 01:53 AM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 01:53 AM (IST)
धन का होना कोई बुरी बात नहीं है: रमेश मुनि
धन का होना कोई बुरी बात नहीं है: रमेश मुनि

संस, लुधियाना : एस एस जैन स्थानक 39 सेक्टर में मुनि माया राम परंपरा के संघशास्ता शासन सूर्य श्री रामकृष्ण जी म. की मंगल कृपा से राष्ट्र संत आचार्य प्रवर श्री सुभद्र मुनि म. के आज्ञानुवर्ति रमेश मुनि म., मुकेश जैन, श्री मुद्रित म. आदि मुनि संघ का चातुर्मास के लिए विराजमान हो गए हैं। चातुर्मास के प्रथम दिन अपने संबोधन में रमेश मुनि म. ने कहा कि कभी-कभी गरीब व गरीबी का साक्षात्कार भी कीजिए। जीवन में धन का होना भी जरूरी है। आप सभी धनी हैं, क्योंकि आपके पास धन है। धन का होना कोई बुरी बात नहीं है, किंतु धन के साथ-साथ जब इस धन का नशा भी दिमाग पर चढ़ने लगे, तो वह नशा बुरी बात है। गरीबों के भगवान ज्यादा निकट होते हैं। इसी कारण भगवान को दीनानाथ कहते हैं। अरे धन के नशे में व्यक्ति को कुछ नहीं दिखता। कुछ सूझता नहीं, धनी किसी को कुछ समझता नहीं है। अमीर व्यक्ति सही गलत को भूल जाता है। न्याय नैतिकता सब को पीछे छोड़ देता है। बस धन में यही खराबी है। इसी खराबी से हमें बचना है। धन को पाकर भी व्यक्ति को अपना गरीबी के पुराने दिनों को याद रखना चाहिए। गरीबी के समय की दुख और दिक्कतों को सदा याद रखना चाहिए। इस सूत्र के कई लाभ है। आपके अंदर कभी अहंकार का नशा नहीं छाएगा। मन में सदा करुणा और दया के भाव बने रहेंगे। संसार की दुख रुपता और कर्मों की विचित्रता का अहसास होता रहेगा।

जगह बदलने से कुछ नहीं होता, अपना स्वभाव बदलो : अरुण मुनि

संघशास्ता शासन प्रभावक गुरुदेव सुदर्शन लाल महाराज के सुशिष्य आगमज्ञाता गुरुदेव अरुण मुनि महाराज अपनी मंडल सहित एस एस जैन स्थानक सिविल लाइंस में सुखसाता विराजमान हो गए हैं। चातुर्मास की प्रथम वेला पर क्रमश: अनुसार श्रावक-श्राविकाएं गुरु दर्शनों का लाभ ले रहे है। इस अवसर पर गुरुदेव अरुण मुनि ने कहा कि बीमारी तो कई आई और चली गई, लेकिन इस बार जो बीमारी आई है वो ताकतवर है, लेकिन यह भी चली जाएगी। इसके लिए सभी को अपने आप को ताकतवार बनाना होगा, तभी इस महामारी को भगाया जा सके। उन्होंने कहा कि सुंदर स्वभाव की परीक्षा में आपके कितने अंक हैं? याद रखो, कम से कम ऐसा व्यवहार किसी के साथ न करें जैसा आप दूसरे किसी व्यक्ति को पसंद नहीं करते हैं। जगह बदलने से कुछ नहीं होता, अपना स्वभाव बदलो। उन्होंने कहा कि शांत जीवन के चार सूत्र है। पहला वस्तु का आग्रह मत करो, जो मिला है उसे प्रसाद समझ कर स्वीकार कर लो। दूसरा जुबां से विग्रह मत करो। तीसरा संयति के लिए परिग्रह मत करो। चौथा किसी भी व्यक्ति के प्रति पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर व्यवहार मत करो। ध्यान रहे मन की शांति ही स्वर्ग है, स्वर्ग नरक मरने के बाद ही मिलते हो। ऐसा नहीं है कि जीते जी भी उन्हें भोगा व देखा जा सकता है। तुम्हें कोई गाली भी देता है, तो तुम प्रत्युत्तर क्यों नहीं देते? इसपर मित्र ने पूछा, देने वाले की चीज, मैं लूंगा तभी तो वो चीज मेरी होगी। इस अवसर पर सभाध्यक्ष अरिदमन जैन व महामंत्री प्रमोद जैन ने कहा कि चातुर्मास की शुरुआत हो गई। जैन स्थानक में गुरु दर्शन के लिए सामाजिक दूरी सहित, मास्क और सैनिटाइजर का पुख्ता प्रबंध किया गया है।

जीवन में कुछ करने के लिए अच्छा बोलना जरूरी : साध्वी संचिता

संस, लुधियाना : तप चंद्रिका श्रमणी गौरव समता विभूति सरलमना महासाध्वी वीणा महाराज, नवकार साधिका महासाध्वी सुन्नैया जी महाराज, कोकिल कंठी प्रवचन भास्कर महासाध्वी संचिता महाराज, महासाध्वी अरणवी महाराज, महासाध्वी अर्षीया महाराज ठाणे-पांच बिरादरी एस एस जैन स्थानक रूपा मिस्त्री गली में विराजमान है। इस अवसर पर महासाध्वी संचिता ने कहा कि जीवन में अच्छे कार्य करने के लिए अच्छा बोलना भी जरूरी है। संसार में सारा खेल बोलने का ही है। परिवार, समाज, रिश्तेदारों मे अगर किसी भी कारण से बिगड़ती है तो उसका कारण जिह्वा ही है। उन्होंने कहा कि आज परिवारों में बड़ों का सम्मान नहीं और छोटे को प्रेम नहीं। कारण यह है कि हम अपनी वाणी को कंट्रोल नहीं कर पाते हैं। इसके लिए तीन सूत्र है पहला काम खाना, दूसरा गमखाना व तीसरा नमजाना- इतने पवित्र सूत्र हैं। बस इनको अपनी जिदगी में लागू करने की जरूरत है, जिसने यह कर लिया उसके जीवन में अपने आप निखार आ जाएगा। लोग सम्मान सत्कार एवं आदर की नजरों से देखा करेंगे। इस अवसर पर श्रावक-श्राविकाओं ने शारीरिक दूरी के साथ संतजनों के दर्शन करते रहे।

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