ताकि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे

पेशे से बिजनेस वूमेन समाज को बदलने की सोच लेकर चल रही है। झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को यह समाज हमेशा से नजरअंदाज करता आ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 06:00 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 06:00 AM (IST)
ताकि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे
ताकि कोई बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे

राधिका कपूर, लुधियाना : पेशे से बिजनेस वूमेन समाज को बदलने की सोच लेकर चल रही है। झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को यह समाज हमेशा से नजरअंदाज करता आ रहा है। उन्होंने इन बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है, ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। हम बात कर रहे हैं इंटीरियर लाइन के बिजनेस से जुड़ी नलिनी अरोड़ा की। नलिनी उड़ान संस्था को लीड कर रही है जिसे पिछले साल अक्टूबर में ही खोला गया है। संस्था की ओर से झुग्गी झोपड़ी के 30 बच्चों को पढ़ाया जा रहा है।

नलिनी ने बताया कि कोरोना काल ने यहां हर वर्ग को प्रभावित किया है, बड़े स्कूल-कालेजों में आनलाइन शिक्षा शुरू हो चुकी है तो समाज के ऐसे वर्ग के बच्चों की ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा। तभी उनके मन में विचार आया कि क्यों न ऐसे बच्चों के लिए स्कूल खोला जाए। अब हैबोवाल के रघुवीर पार्क के एक जंजघर में झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। इन बच्चों को रोजाना तीन घंटे पढ़ाया जाता है। वह खुद सप्ताह में तीन से चार दिन स्कूल में विजिट कर बच्चों से फीडबैक लेती हैं कि इस सप्ताह क्या पढ़ा है। उड़ान संस्था के सभी सदस्य बच्चों के लिए किताबें व स्टेशनरी का खर्चा उठा रहे हैं।

कहां से आया बच्चों को पढ़ाने का विचार नलिनी बता रहीं हैं कि उसका खुद का भाई दिव्यांग है। समाज हमेशा इस वर्ग को नजरअंदाज करता है। इसलिए मन में विचार आया कि इस वर्ग के लिए कुछ किया जाए। बात 2015 की है जब घर में काम करने वाली नौकरानी के बच्चों को घर के ही बरामदे में पढ़ाना शुरू किया। एक-दो सप्ताह बाद आसपास के झुग्गी-झोपड़ी के बच्चे भी आकर पढ़ने लगे। जब ठाना ही था कि झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को पढ़ाना है तो कुछ समय बाद बीआरएस नगर पड़ते एक गुरुद्वारे में बच्चों की कक्षाएं शुरू कर दी और एक अध्यापक का प्रबंध किया। खैर अब कोविड-19 चल रहा है तो यह लक्ष्य रहा कि दोबारा इस वर्ग के बच्चों के लिए स्कूल खोलकर शिक्षा दी जाए। नए साल में संस्था ने प्रण लिया है कि झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों को पढ़ाने का लक्ष्य बरकरार रखेंगी, क्योंकि संस्था नहीं चाहती कि समाज का कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित रहे।

टीम करती बच्चों की तलाश उड़ान संस्था के सभी सदस्य पहले स्लम एरिया में ऐसे बच्चों की तलाश करते हैं जो पढ़ना चाहते हैं, लेकिन परिवार के आर्थिक हालात और साधन पूरा न होने के कारण पढ़ नहीं पाते। समय-समय पर पढ़ाई के साथ-साथ संस्था इन बच्चों के साथ सभी त्योहार व खुशियां भी सांझी करती है।

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