लुधियाना के खन्ना में गुग्गा माड़ी मंदिर में धूमधाम से किया तुलसी-शालिग्राम विवाह, कीर्तन मंडली ने किया माता के भजनों का गुणगान

लुधियान में गुग्गा माड़ी मंदिर में तुलसी-शालिग्राम विवाह धूमधाम से किया गया। पंडित देशराज शास्त्री ने बताया कि मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति तुलसी विवाह का अनुष्ठान करता है उसे कन्यादान के बराबर पुण्य फल मिलता है।शालिग्राम भगवान विष्णु का ही अवतार माने जाते हैं।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 02:03 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 02:03 PM (IST)
लुधियाना के खन्ना में गुग्गा माड़ी मंदिर में धूमधाम से किया तुलसी-शालिग्राम विवाह, कीर्तन मंडली ने किया माता के भजनों का गुणगान
लुधियाना में माता के भजनों पर झूमते हुए श्रद्धालु। (जागरण)

खन्ना, जेएनएन। शुक्रवार को श्री प्राचीन शिव मंदिर गुग्गा माड़ी समराला रोड खन्ना में माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ धूमधाम के साथ किया गया। पंडित देशराज शास्त्री ने बताया कि मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति तुलसी विवाह का अनुष्ठान करता है उसे कन्यादान के बराबर पुण्य फल मिलता है। तुलसी विवाह भारत के कई सारे हिस्सों में मनाया जाता है। शालिग्राम भगवान विष्णु का ही अवतार माने जाते हैं। उन्होंने बताया कि एक बार तुलसी ने गुस्से में भगवान विष्णु को श्राप से पत्थर बना दिया था। तुलसी के इस श्राप से मुक्ति के लिए भगवान विष्णु ने शालिग्राम का अवतार लिया और तुलसी से विवाह किया। तुलसी मैया को मां लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। कुछ स्थानों पर तुलसी विवाह द्वादशी के दिन भी किया जाता है।

विवाह की पूजन विधि

शास्त्री के अनुसार तुलसी के पौधे के चारों ओर मंडप बनाएं और तुलसी के पौधे पर लाल चुनरी चढ़ाएं। इसके बाद तुलसी के पौधे को शृंगार की चीजें अर्पित करें। भगवान गणेश और भगवान शालिग्राम की पूजा करें। भगवान शालिग्राम की मूर्ति का सिंहासन हाथ में लेकर तुलसी जी की सात परिक्रमा कराएं। आरती के बाद विवाह में गाए जाने वाले मंगलगीत के साथ विवाहोत्सव पूर्ण किया जाता है। तुलसी विवाह में मुख्य भूमिका मधु गुप्ता परिवार की तरफ से की गई इस अवसर पर मंडल कीर्तन मंडली तुलसी माता के भजनों का गुणगान किया।

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