Tokyo Olympic: हाकी में न्यूजीलैंड के बाद स्पेन को हराने में पंजाब के रूपिंदर का योगदान अहम

Tokyo Olympic भारत ने टोक्यो ओलंपिक में स्पेन को 3-0 हराकर अपनी दूसरी जीत दर्ज की है। इससे पहले भारत ने न्यूजीलैंड को हराया था। इन दोनों जीतों में पंजाब के खिलाड़ी रूपिंदर पाल सिंह की अहम भूमिका रही।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 03:47 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 03:47 PM (IST)
Tokyo Olympic: हाकी में न्यूजीलैंड के बाद स्पेन को हराने में पंजाब के रूपिंदर का योगदान अहम
टोक्यो ओलंपिक में पंजाब के रूपिंदर पाल सिंह।

प्रदीप कुमार सिंह, फरीदकोट। Tokyo Olympic: 32वें ओलंपिक टूर्नामेंट में मंगलवार को स्पेन के साथ खेले गए तीसरे हाकी मुकाबले में भारत ने स्पेन को 3-0 से हराकर टूर्नामेंट में अपनी दूसरी जीत दर्ज की। भारतीय टीम की जीत में पंजाब के दो व हरियाणा के एक खिलाड़ी द्वारा यह तीनों गोल किए गए। फरीदकोट के हाकी खिलाड़ी रूपिंदर पाल सिंह ने भी एक गोल किया।

भारतीय टीम द्वारा अब तक अपने तीनों मैंचों में कुल सात गोल किए गए है, जिसमें रूपिंदर पाल सिंह के दो गोल शामिल हैं। पहला गोल रूपिंदर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ किया था, जिसमें भारतीय टीम 3-2 से विजयी रही, जबकि दूसरा गोल रूपिंदर पाल सिंह ने स्पेन के विरूद्ध किया, जिसमें भी भारत विजयी रहा। टोक्यो ओलंपिक में तीन में से दो मैच जीतकर भारतीय टीम अब पूल ए में दूसरे स्थान पर आ गई है। भारतीय टीम अब वीरवार को आर्जेंटिना के खिलाफ पूल का चौथा मैच खेलेगी।

रूपिंदर सिंह की यह दूसरी ओलंपिक प्रतियोगिता है, इससे पहले वह अगस्त 2016 में 31वें रियो ओलंपिक का हिस्सा रह चुके हैं। रूपिंदर पाल सिंह के सबसे बड़े मार्गदर्शक व प्रेरणास्रोत रहे फरीदकोट के बाबा फरीद एवेन्यू निवासी पिता हरिंदर सिंह ने बताया कि स्कूल व कालेज के समय से वह भी हाकी खेलते थे। इसके अलावा फिरोजपुर निवासी ओलंपियन परिवार के सदस्य हरमीत सिंह, अजीत सिंह व गगन अजीत सिंह के साथ भी उनकी नजदीकी रिश्तेदारी है, उनका भी सपना था कि उनके परिवार का कोई सदस्य इन रिश्तेदारों के नक्शे कदम पर चलते हुए तरक्की कर उनके परिवार का नाम रोशन करे।

एक बच्चे की साथ सेल्फी लेते रूपिंदर पाल सिंह। 

उनके हाकी के साथ प्रेम ने बेटे रूपिंदर पाल सिंह को हाकी की ऊंचाइयों पर देखने का सपना दिखाया व बेटे ने सच कर दिखाया। रूपिंदर को बचपन से ही था और छह वर्ष की आयु में उन्होंने उसे इस हाकी एकेडमी में प्रशिक्षण दिलवाना शुरू कर दिया। करीब छह वर्ष तक यहां मिले प्रशिक्षण ने उसमें हाकी के किसी मंजे हुए खिलाड़ी के गुण पैदा किए। वर्ष 2002 में उसका चयन चंडीगढ़ स्थित राज्य हाकी अकेडमी में हो गया।

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रूपिंदर पाल सिंह द्वारा न्यूजीलैंड के बाद स्पेन के विरूद्ध भी शानदार खेल का प्रदर्शन करते हुए भारतीय टीम को जीत दिलाने पर मां सुखविंदर कौर ने कहा कि पिछले ओलंपिक में पदक न लाने का उन्हें मलाल है, लेकिन इस बार उन्हें पूरा यकीन है कि रूपिंदर व उनके टीम के साथी सर्वश्रेष्ठ खेल का प्रदर्शन करते मेडल लाएंगे। 

उन्होंने बताया कि रूपिंदर ने 2010 में सीनियर भारतीय हाकी टीम का हिस्सा बनने के बाद मई 2010 में भारतीय हाकी टीम ने मलेशिया के शहर इपोह में हुए 19वें सुल्तान अजलान शाह कप में हिस्सा लिया व इस टूर्नामेंट में भारतीय हाकी टीम स्वर्ण पदक हासिल किया। वर्ष 2011 में चीन के शहर ओरदोस में हुई एशियन चैंपियंस ट्राफी हाकी टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक, दिसंबर 2012 में दोहा कतर में हुई दूसरी एशियन चैम्पियन ट्राफी में रजत पदक, अगस्त 2013 में मलेशिया में हुए एशियन कप में रजत पदक, 2014 में ग्लासगो स्काटलैंड में हुई 20वें कामनवेल्थ खेलों में रजत पदक, अक्टूबर 2014 में कोरिया में हुई 17वें एशियन खेलों में स्वर्ण पदक भारतीय हाकी टीम ने जीते।

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