कोरोना के कारण अकेला ही रह गया 'रावण', इस बार नहीं जलेंगे कुंभकरन व मेघनाथ के पुतले
प्रशासन ने कमेटी को सख्त आदेश दिए हैं कि दशहरे के मौके पर केवल रावण का पुतला ही जलाएं और वहां पर ज्यादा भीड़ एकत्रित न करने को भी कहा है। मुस्लिम कारीगर सलीम खान रावण मेघनाद व कुंभकरण के पुतले बनाता है।
श्री माछीवाड़ा साहिब, जेएनएनः कोरोना महामारी का कहर देश के प्रत्येक वर्ग पर पड़ा। कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं तो कई अपनी रोजी रोटी। कोरोना का असर अब धार्मिक परंपराआें पर भी दिखने लग गया। माछीवाड़ा में मनाए जा रहे दशहरे में हर साल रावण के साथ कुंभकरण व मेघनाद का पुतला भी जलाया जाता रहा। लेकिन इस बार काेरोना ने रावण को भी आखिरी वक्त पर अकेला कर दिया। माछीवाड़ा दशाहरा मैदान में सर्वहित्तकारी श्री रामलीला कमेटी ने इस बार सिर्फ रावण का पुतला बनाया है और दशहरे के मौके पर सिर्फ रावण के पुतले को जलाने का फैसला किया है। दरअसल प्रशासन ने कमेटी को सख्त आदेश दिए हैं कि दशहरे के मौके पर केवल रावण का पुतला ही जलाएं और वहां पर ज्यादा भीड़ एकत्रित न करने को भी कहा है। कमेटी सदस्यों का कहना है कि कई सालों से यहां पर दशहरे का आयोजन किया जा रहा है और पहली बार है कि रावण का पुतला अकेले जलया जाएगा।
मुस्लिम परिवार बनाता है रावण के पुतले
माछीवाड़ा में पिछले कई वर्षों से मुस्लिम कारीगर सलीम खान रावण, मेघनाद व कुंभकरण के पुतले बनाता रहा है। सलीम को भी हिंदुओं के त्योहार दशहरे का इंतजार होता है ताकि वह पुतले बनाकर पैसे कमा सके। सलीम खान ने बताया कि वह खन्ना का रहने वाला है और हिंदू धम्र से संबंधित पुतले बनाता है। यह काम उसकी कई पीढ़ियां करती आ रही हैं। उसने बताया कि कोरोना के कारण उसका दशाहरा त्योहार भी फीका रहा क्योंकि कई स्थानों पर रामलीला कमेटियां दशहरा नहीं बना रही हैं।