कोरोना काल के बाद खुले स्कूल प्रबंधकों के लिए चुनौती : प्रिं. नाज
कोरोना महामारी के बाद खोले गए स्कूलों संबंधी ब्लासम कान्वेंट स्कूल की प्रिसिपल डॉ. अमरजीत कौर नाज ने कहा कि विद्यार्थियों के मन के अंदर डर और फिक्र के बीज को दूर करके करते हुए उन्हें आत्मविश्वास के साथ भरना चाहिए ताकि वे अपने रास्ते में आने वाले प्रत्येक मुश्किल को आसानी से पार कर जाए।
संवाद सहयोगी, जगराओं : कोरोना महामारी के बाद खोले गए स्कूलों संबंधी ब्लासम कान्वेंट स्कूल की प्रिसिपल डॉ. अमरजीत कौर नाज ने कहा कि विद्यार्थियों के मन के अंदर डर और फिक्र के बीज को दूर करके करते हुए उन्हें आत्मविश्वास के साथ भरना चाहिए ताकि वे अपने रास्ते में आने वाले प्रत्येक मुश्किल को आसानी से पार कर जाए। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि मन के हारने से जो हार होती है वह असल हार से कहीं घातक सिद्ध होती है। जो मुश्किल आई थी वह चली जाएगी। जिस तरह से हमने घरों के अंदर इसके साथ जीवन व्यतीत करना सीखा है उसी तरह से एहतियात रखते हुए स्कूलों में भी अपना बचाव करेंगे।
डा. नाज ने कहा कि विद्यार्थी के लिए उसका अध्यापक ही उसका भगवान होता है और अध्यापक का दिखाया हुआ रास्ता ही विद्यार्थी को आगे का मार्ग दिखाता है। इसलिए मौजूदा समय के अंदर अध्यापक ही है सभी के लिए अंधेरे में रोशनी की किरण है और वह बच्चों की योग अगुआई करके उन्हें सिर्फ मुश्किल से बचने का ढंग ही नहीं समझाएंगे, बल्कि उन्हें उनके ज्ञान में बढ़ावा करके विद्यार्थियों को संभालेंगे। प्रिसिपल डा. नाज ने कहा कि स्कूल में विद्यार्थियों के मानसिक स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम तैयार किए गए हैं। इसमें हम बच्चों की सुरक्षा के साथ साथ उनकी मानसिक तंदरुस्ती का भी ध्यान रखेंगे।