बदलते मौसम में बच्चों का रखें खास ख्याल, मादा एडिज एजिप्टी मच्छरों के निशाने पर बच्चे, डेंगू का खतरा

मौसम बदल रहा है। ऐसे में मच्छर पनपने लगते हैं। इस मौसम में बच्चों का खास ख्याल रखें क्योंकि डेंगू का मच्छर सबसे ज्यादा बच्चों को डंक मार रहा है। जिसकी वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 01:56 PM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 01:56 PM (IST)
बदलते मौसम में बच्चों का रखें खास ख्याल, मादा एडिज एजिप्टी मच्छरों के निशाने पर बच्चे, डेंगू का खतरा
डेंगू मच्छरों से बच्चों को खास खतरा। सांकेतिक फोटो

जेएनएन, लुधियाना। औद्योगिक नगरी लुधियाना में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अब तक साढ़े आठ सौ के करीब डेंगू के मरीज आ चुके हैं। इस बार बड़े बुजुर्गों के साथ साथ बच्चे डेंगू मच्छर का टारगेट बन रहे हैं। शहर के शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार इस सीजन में अब बच्चों पर डेंगू का असर ज्यादा दिख रहा है। कम इम्यूनिटी की वजह से इनके प्लेटलेट्स काउंट भी तेजी से गिर रहे हैं। जिसकी वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है।

दयानंद मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डा. कमल अरोड़ा का कहना है कि उनके पास छह साल से लेकर बारह साल तक के डेंगू पीड़ित बच्चे आ रहे हैं। ज्यादातर बच्चे तब पहुंचते हैं, जब उनकी हालत काफी बिगड़ चुकी होती है। उनके प्लेटलेटस काफी कम हो चुके होते हैं। डेंगू का ट्रीटमेंट तो नहीं है। ऐसे में हम उन्हें फ्लूड देते हैं और पैरासिटामोल दे रहे हैं, जबकि गंभीर रूप से बीमार हो चुके बच्चों को भर्ती करके इलाज कर रहे हैं।

डा. कमल अरोड़ा का कहना है कि बच्चों के डेंगू की चपेट में आने की सबसे बड़ी वजह यह है कि एक तो वह ऐसे कपड़े नहीं पहनते, जिससे कि शरीर पूरी तरह ढका रहे और वह मच्छरों से बचे रहें। डेंगू का मच्छर कहीं भी हो सकता है। घर के अंदर व बाहर। ज्यादातर बच्चे शाम के समय घर के बाहर पार्कों में खेलने के लिए निकलते हैं। जहां मच्छरों की चपेट में आने की संभावना काफी बढ़ जाती है।

नगर निगम व जिला प्रशासन को चाहिए कि वह मच्छरों से बचाव को लेकर फोगिंग करवाएं और यह देखें कि पार्कों में पानी जमा न हो। वहीं दूसरी तरफ सिविल अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. हरप्रीत सिंह का कहना है कि उनके पास डेंगू पीड़ित दो साल से लेकर पंद्रह साल तक के बच्चे आ रहे हैं। अस्पताल में आने वाले ज्यादातर बच्चे अविकिसत इलाकों से आ रहे हैं। बच्चों में प्लेटलेटस काउंट कम होने की शिकायत काफी आ रही है। ऐसे में बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है।

डेंगू के मामले में फ्लयूड मैनेजमेंट जरूरी

डा. कमल अरोड़ा का कहना है कि डेंगू के मामले में फ्लयूड मैनेजमेंट जरूरी है। डेंगू पीड़ित बच्चों को ज्यादा से ज्यादा आराम करवाएं और खूब सारा फ्लूड दें। जैसे नारियल पानी, इलेक्ट्राल, जूस, दाल का पानी, शिकंजवी, जूस, ज्यादा से ज्यादा देना चाहिए। इसके अलावा सीजनल फल दिए जा सकते हैं। खाना बिलकुल हल्का देना चाहिए।

अभिभावक सतर्क रहेंं

सिविल अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डा. हरप्रीत सिंह का कहना है कि डेंगू मच्छर साफ पानी में पैदा होता है। यह मच्छर घर के अंदर भी पैदा हो सकता है और बाहर भी। घर के अंदर फ्रिज की ट्रे, पक्षियों के लिए पानी रखने वाले मिट्टी् के बर्तन, छतों पर पड़े वेस्ट सामान, कूलर, गमले डेंगू मच्छर के ब्रीडिंग प्वाइंट हैं।

इन बातों का रखें ध्यान अभिभावकों को चाहिए कि वह घर के अंदर लगे कूलर का पानी हर सप्ताह बदलते रहें। फ्रिज की ट्रे की भी जांच करते रहें कि उसमें पानी तो नहीं जमा। अगर पानी जमा हो, तो उसे खाली करें। घर की छतों पर कोई भी ऐसा सामान न रखें, जिसमें जरा सा भी पानी जमा होने की संभावना हो। घर के बाहर अगर कहीं पानी जमा हो, तो उसमें मच्छरनाशक दवा का छिड़काव करें। घर की खिड़कियों पर जालियां लगाएं। मच्छरदानी का प्रयोग करें। बच्चों को पूरी बाजू वाले कपड़े पहनाकर रखें, जिससे मच्छर उन्हें काट न सके। 

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