World Bicycle Day : समय के साथ बदलता गया पंजाब में साइकिल का स्‍टाइल और स्वरूप

World Bicycle Day पंजाब खासकर लुधियाना देश के साइकिल उद्योग का केंद्र माना जाता है। यहां से अन्‍य देशों में भी भारी संख्‍या में साइकिलें भेजी जाती हैं। पंजाब के साइकिल उद्याेग में समय के साथ बदलाव आता गया। साइकिल के स्‍वरूप व स्‍टाइल में भी बदलाव आया।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Thu, 03 Jun 2021 05:05 PM (IST) Updated:Thu, 03 Jun 2021 05:05 PM (IST)
World Bicycle Day : समय के साथ बदलता गया पंजाब में साइकिल का स्‍टाइल और स्वरूप
समय के साथ साइकिल का स्‍वरूप और स्‍टाइल बदलता गया। (सांकेतिक फोटो)

लुधियाना, [मुनीष शर्मा]। World Bicycle Day 2021: साइकिल का स्‍वरूप और स्‍टाइल समय के साथ बदलता गया, लेकिन लोगों का इससे जुड़ाव समाप्‍त नहीं हुआ। देश में साइकिल उद्योग के केंद्र माने जाने वाले पंजाब के लुधियाना में भी लोगों की पसंद और नए अंदाज के अनुरूप इस उद्योग में भी परिवर्तन होता गया। पंजाब के साइकिल उद्योग ने एक के बाद एक साइकिल की नई रेंज देकर इसकी सवारी का अंदाज ही बदल दिया।

दरअसल, देश की आजादी के बाद जब पंजाब बंटवारे का दंश झेल रहा था, उस वक्त कुछ लोगों ने लुधियाना में छोटे साइकिल उद्योग लगाए थे, ताकि पाकिस्तान से पलायन करके हिंदुस्तान आए लोगों को रोजगार मुहैया करवाया जा सके। संकट के समय खड़े किया गया यह उद्योग न सिर्फ देश, बल्कि विदेश में भी अपनी धमक छोड़़ने में कामयाब रहा।

लुधियाना की एक साइकिल फैक्‍टरी में काम करे कर्मी।

बदलते समय के साथ काली साइकिल (पुराना माडल) के स्वरूप में परिवर्तन आया। पहले फैंसी साइकिल, गियर साइकिल और फिर हाईटेक व बैटरी वाली साइकिलों ने इसका स्थान ले लिया। पिछले साल आई कोरोना महामारी के बाद साइकिल को एकबार फिर लोगों ने अपने स्वास्थ के लिए अपना लिया।

ऐसा बदला साइकिलों का स्‍वरूप

विदेश से आयात होकर आने वाले साइकिलों को रोडस्टर (काले) साइकिल ने रिप्लेस किया। इसके पश्चात 1990 के दौर में काले साइकिल से हटकर रंग बिरंगे फैंसी साइकिल बनने लगे, वर्ष 2010 में गियर वाले साइकिल का निर्माण हुआ और अब 2019 में इलेक्ट्रिक साइकिल लुधियाना की जमी पर बनने लगा। इसके पीछे पंजाबियों की मेहनत और लग्न ने अहम भूमिका अदा की। किसी समय भारत को दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता था, आज बहुत आगे है। पंजाब से न केवल भारत बल्कि विश्व के सभी देशों को हाईएंड साइकिलों का निर्माण किया जा रहा है। अब लक्ष्य अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी चीन को पछाड़ने का है। इसके लिए साइकिल इंडस्ट्री का वर्ष 2030 तक कारोबार तीन गुणा करने का है।

लुधियाना में दस यूनिट सरकार के लाइसेंस से हुए थे आरंभ

देश की आजादी के बाद साइकिल भारतीय साइकिल उद्योग अस्तित्व में आया। इससे पूर्व साइकिल का इंपोर्ट विदेश से किया जाता था। जब लाइसेंस प्रक्रिया आरंभ हुई, तो हर्कुलस साइकिल, रैले साइकिल कलकत्ता, हिन्‍द साइकिल मुंबई, एटलस साइकिल को लाइसेंस दिए गए। इस दौरान पंजाब में भी कुछ कंपनियों ने लाइसेंस अप्लाई किए और अमृतसर से साइकिल का निर्माण आरंभ किया। लेकिन, बार्डर एरिया होने के चलते कई लोगों ने लुधियाना में पलायन कर लिया।

लुधियाना में सबसे पहली साइकिल की फैक्टरी एवन साइकिल लिमिटेड की ओर से वर्ष 1952 में लगाई गई। इसके पश्चात हीरो साइकिल की ओर से 1955 में प्लांट लगाया गया। इस दौरान दस के करीब कंपनियां सुपर साइकिल, लक्की स्टार, सन फ्लावर, आस्टन, बीएमसी, प्रभात साइकिल, आरएम साइकिल भी आई।

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क्या कहते हैं साइकिल उद्यमी

आल इंडिया साइकिल मैन्यूफेक्चरर एसोसिएशन के प्रधान एवं एवन साइकिल लिमिटेड के सीएमडी ओंकार सिंह पाहवा के मुताबिक साइकिल इंडस्ट्री का भविष्य उज्जवल है। अभी हम चीन के मुकाबले केवल दस प्रतिशत साइकिल का निर्माण कर रहे हैं। इसलिए हमारे पास बढ़ने के लिए आपार संभावनाएं हैं। लुधियाना देश का सबसे बड़ा साइकिल हब है और इस समय 98 प्रतिशत पार्टस का निर्माण लुधियाना से हो रहा है, जबकि कंपलीट साइकिल में भी 90 प्रतिशत साइकिलें लुधियाना में बन रही हैं।

एवन साइकिल के सीएमडी ओंकार पाहवा और हीरो साइकिल के वाइस चेयरमैन एसके राय। (फाइल फोटो)

हीरो साइकिल लिमिटेड के वाइस चेयरमैन एसके राय ने कहा कि हमारे लिए अभी आसमान खुला है और लुधियाना साइकिल उद्योग का सफर बहुत तेजी से ग्रोथ वाला रहा है। अब विश्व मार्केट के पायदान पर चीन को लगातार पछाड़ रहे हैं। इसके पीछे पंजाबियों की मेहनत और लग्न है।

साइकिल वैली से विश्व में हिस्सेदारी बढ़ाने की कवायद

लुधियाना के धनानसु में साइकिल वैली प्रोजेक्ट के जरिए जहां पंजाब में एक हजार करोड़ रुपये का निवेश लाने की योजना है। वहीं विश्व मार्केट की डिमांड के मुताबिक हाईएंड साइकिलों के निर्माण की योजना है। इसमें एक हजार करोड़ रुपए के देश विदेश के निवेश के साथ साथ हर साल साढे तीन करोड़ साइकिलों का निर्माण करने की योजना पर काम हो रहा है। इससे भारतीय साइकिल इंडस्ट्री दो करोड़ के मुकाबले एक करोड़ 75 लाख अतिरिक्त साइकिलों का निर्माण तो करेगी ही, साथ ही इसमें हाईएंड साइकिल बनाकर यहां के पार्टस निर्माताओं के लिए अधिक आमदनी के अवसर खुलेंगे।

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हर दशक पंजाब साइकिल उद्योग ने किए बदलाव वर्ष 1952 -- रोडस्टर (काले साइकिल का निर्माण) वर्ष 1990 -- फैंसी रंगे वाले साइकिलों का निर्माण वर्ष 2010 -- गियर और डिस्क ब्रेक वाली साइकिलों का निर्माण वर्ष 2019 -- बैंटरी से चलने वाली ई साइकिल का निर्माण

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पंजाब का साइकिल उद्योग विश्व में सबसे बड़ा साइकिल निर्माता चीन की प्रोडक्शन -- 12 करोड़ साइकिल प्रति वर्ष। भारतीय साइकिल उद्योग की प्रोडक्शन -- दो करोड़ साइकिल प्रति वर्ष। पंजाब साइकिल उद्योग की प्रोडक्शन -- डेढ़ करोड़ साइकिल प्रति वर्ष। वर्ष 2030 तक का प्रोडक्शन टार्गेट - तीन करोड़ साइकिल निर्माण। पंजाब साइकिल उद्योग की टर्नओवर -- 10 हजार करोड़ रुपये। वर्ष 2030 तक की टर्नओवर टार्गेट - 30 हजार करोड़ रुपये। पंजाब में साइकिल एवं पार्टस यूनिट्स -- 5 हजार।

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