Stubble Burning: पंजाब में इस साल कम क्षेत्र में जली पराली, पठानकाेट में सबसे कम मामले रिपाेर्ट

Stubble Burning In Punjab पीपीसीबी से मिले आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष कुल 6.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही पराली जलाई गई जबकि वर्ष 2020 यह 10.20 लाख हेक्टेयर था। पीपीसीबी अधिकारी इसे बड़ी जीत मान रहे हैं।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 02:15 PM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 02:15 PM (IST)
Stubble Burning: पंजाब में इस साल कम क्षेत्र में जली पराली, पठानकाेट में सबसे कम मामले रिपाेर्ट
पंजाब में इस साल कम जलाई गई पराली। (सांकेतिक तस्वीर)

पटियाला, [गौरव सूद]। प्रदेश में पिछले वर्ष के मुकाबले इस साल कम रकबे में पराली जलाई गई है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) के अनुसार 2020 में कुल रकबे के 46.09 प्रतिशत में पराली जलाई गई थी, जबकि इस साल केवल 26.28 प्रतिशत क्षेत्र में पराली जलाई गई है। पीपीसीबी से मिले आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष कुल 6.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पराली जलाई गई, जबकि वर्ष 2020 यह 10.20 लाख हेक्टेयर था। पीपीसीबी अधिकारी इसे बड़ी जीत मान रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि चाहे पराली जलाने के मामलों में पिछले वर्ष के मुकाबले कुछ खास अंतर नहीं, लेकिन अगर क्षेत्र की बात करें तो स्पष्ट है कि राज्य में पराली कम जलाई गई है।

पराली जलाने के अब तक 5,375 मामले कम

राज्य में 2020 में पराली जलाने के कुल मामले 76,590 थे, जबकि इस साल अब तक 71,215 मामले सामने आ चुके हैं। पिछले साल के मुकाबले 5,375 मामले कम हैं। इस वर्ष पराली जलाने के सबसे ज्यादा 8002 मामले संगरूर में सामने आ चुके हैं, जबकि 6,515 मामलों के साथ मोगा दूसरे और 6,284 मामलों के साथ फिरोजपुर तीसरे स्थान पर है। सबसे कम छह मामले पठानकोट में सामने आए हैं।

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जागरूकता व सुविधाओं से कम जली पराली : चेयरमैन

पीपीसीबी के चेयरमैन डा. आदर्शपाल विग ने कहा कि इस वर्ष किसानों को पराली के सही निस्तारण के लिए सुविधाएं मुहैया करवाने के साथ-साथ जागरूकता अभियान चलाया गया, जो रंग लाया और इसके फलस्वरूप राज्य में पराली कम जली। अगले वर्ष तक सुविधाएं बढ़ाने के उद्देश्य से पीपीसीबी ने अभी से प्रयास शुरू कर दिए हैं। उम्मीद है कि अगले वर्ष पराली जलाने के मामलों में बड़ी कमी आएगी।

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