Stubble Burning In Punjab: 7 दिन में दोगुनी रफ्तार से बढ़े पराली जलाने के मामले, एक्यूआइ पर भी असर

Stubble Burning In Punjab पराली जलाने के मामले बढ़ने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि चुनाव नजदीक होने के कारण अधिकारी किसानों के खिलाफ कार्रवाई में ढील बरत रहे हैं। जबकि अधिकारियों का दावा है कि पराली जलाने वालों खिलाफ सख्ती बरती जा रही है।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Fri, 12 Nov 2021 09:22 AM (IST) Updated:Fri, 12 Nov 2021 09:22 AM (IST)
Stubble Burning In Punjab: 7 दिन में दोगुनी रफ्तार से बढ़े पराली जलाने के मामले, एक्यूआइ पर भी असर
दीवाली के बाद पंजाब में पराली जलाने के मामलों में दोगुनी दर से बढ़ोतरी। (सांकेतिक तस्वीर)

पटियाला, [गौरव सूद]। Stubble Burning In Punjab: दीवाली के बाद पंजाब में पराली जलाने के मामलों में दोगुनी दर से बढ़ोतरी हुई है। पराली से जहां प्रदूषण बढ़ा है, वहीं स्माग छाने लगी है। मालवा के किसान सबसे ज्यादा पराली जला रहे हैं। जिला संगरूर, फिरोजपुर, मोगा, लुधियाना और तरनतारन पंजाब में सबसे ज्यादा पराली जलाने वाले जिलों में शामिल हैं। यहां पंजाब के कुल मामलों में से 44 फीसद पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। राज्य में अब तक पराली जलाने की 51,417 घटनाएं हो चुकी हैं। 15 सितंबर से तीन नवंबर तक जहां 20,433 जगह पराली जलाई गई वहीं चार से 10 नवंबर तक पराली जलाने की संख्या 30,984 रही। इस कारण पंजाब में वायु की गुणवत्ता का स्तर बिगड़ रहा है।

पराली जलाने के मामले बढ़ने के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि राज्य में चुनाव नजदीक होने के कारण अधिकारी किसानों के खिलाफ कार्रवाई में ढील बरत रहे हैं। जबकि पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का दावा है कि पराली जलाने वालों खिलाफ सख्ती बरती जा रही है। बोर्ड के चेयरमैन डा, आदर्शपाल विग ने कहा कि पराली जलाने वाले किसानों को करीब 45 लाख रुपये जुर्माना किया जा चुका है। साथ ही पराली न जलाने के लिए जागरूक भी किया जा रहा है। पराली जलाने के बढ़े मामलों के साथ राज्य का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) भी बिगड़कर समान्य से खराब श्रेणी में पहुंच गया है।

पराली जलाने में मालवा के किसान सबसे आगे

राज्य में पराली जलाने के मामलों में मालवा के किसान सबसे आगे हैं। संगरूर में राज्य के सभी जिलों के मुकाबले सबसे ज्यादा 5387 जग पराली जलाई गई। वहीं फिरोजपुर में 4807, मोगा में 4487 और लुधियाना में 4125 जगह पराली जली। अगर इनमें माझा के जिला तरनतारन के 3819 मामले जोड़ दिए जाएं तो इन पांच जिलों में पराली जलाने मामले राज्य के कुल मामलों का 44 प्रतिशत हिस्सा हैं।

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