वैश्विक सुस्ती और पेंडिंग रिफंड का असर, निर्यात में मामूली कमी

नवंबर के दौरान निर्यात में 0.34 फीसद की मामूली गिरावट दर्ज की गई है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 14 Dec 2019 05:00 AM (IST) Updated:Sat, 14 Dec 2019 06:12 AM (IST)
वैश्विक सुस्ती और पेंडिंग रिफंड का असर, निर्यात में मामूली कमी
वैश्विक सुस्ती और पेंडिंग रिफंड का असर, निर्यात में मामूली कमी

जासं, लुधियाना : नवंबर के दौरान निर्यात में 0.34 फीसद की मामूली गिरावट दर्ज की गई है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्टर्स आर्गेनाइजेशन के अध्यक्ष शरद कुमार सराफ का तर्क है कि घरेलू और वैश्विक कारणों से ही निर्यात में कमजोरी देखी जा रही है।

नवंबर में 25.98 अरब डॉलर का निर्यात किया गया। दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं में सुस्ती के साथ लंबे समय से चल रहे व्यापार तनाव और संरक्षणवाद ने भारत के निर्यात क्षेत्र के संकट को बढ़ा दिया है। सराफ ने कहा कि अल्पकालिक और मध्यम अवधि के लिए अर्थव्यवस्थाओं में मंदी और देशों के बीच सामान्य व्यापार संबंधों में वापसी की संभावना काफी कम है। नवंबर में 30 प्रमुख उत्पाद समूहों में से केवल 13 में सकारात्मक बढ़ोतरी रही। इनमें इलेक्ट्रॉनिक सामान, इंजीनियरिग सामान, ड्रग्स और फार्मास्यूटिकल्स, समुद्री उत्पाद, मांस, डेयरी और पोल्ट्री उत्पाद, जैविक और अकार्बनिक रसायन, लौह अयस्क क्षेत्र शामिल हैं।

कुछ अन्य निर्यात क्षेत्रों ने महीने के दौरान कुछ सकारात्मक रुझान दिखाना शुरू कर दिया है। सर्विस क्षेत्र के साथ निर्यात के अन्य सभी प्रमुख क्षेत्र अब भी नकारात्मक में है। नवंबर में 12.31 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि के साथ 38.11 अरब डॉलर का आयात एक बार फिर अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी राहत के रूप में आया है। मुश्किल में निर्यातक, बाजार में नकदी की समस्या बढ़ी

शरद सराफ ने कहा कि मर्केटाइल एक्सपोर्ट इंडिया स्कीम (एमईआइएस) पर अनिश्चितता सहित घरेलू मुद्दे चिता के प्रमुख कारण हैं, क्योंकि निर्यातकों के चार महीने से अधिक के रिफंड लंबित हैं। इस वजह से उनकी नकदी की समस्या बढ़ गई। वे नए अनुबंधों को अंतिम रूप देने में तेजी नहीं ला सके। निर्यातकों के जीएसटी एवं ड्रॉबैक के क्लेम भी फंसे हैं। फियो अध्यक्ष ने कहा कि निर्यातकों के बकाया रिफंड के भुगतान तुरंत करने से आने वाले समय में निर्यात को गति दी जा सकती है।

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