Punjab Congress Crisis: लुधियाना से कौन बनेगा मंत्री? आशु को फिर मिलेगी कुर्सी या दिग्गज पर लगेगा दांव

Punjab Congress Crisis कैप्टन के करीबी माने जाने वाले निवर्तमान मंत्री भारत भूषण आशु को क्या नए मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी या नहीं। सरकार के लिए मंत्रिमंडल में सूबे के सबसे बड़े शहर को प्रतिनिधित्व देना भी जरूरी है। अब बाजी पलट चुकी है।

By Edited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 06:33 AM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 12:39 PM (IST)
Punjab Congress Crisis: लुधियाना से कौन बनेगा मंत्री? आशु को फिर मिलेगी कुर्सी या दिग्गज पर लगेगा दांव
लुधियाना में सियासी समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। (फाइल फाेटाे)

लुधियाना, [भूपेंदर सिंह भाटिया]। Punjab Congress Crisisः कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद और सभी कैबिनेट मंत्रियों के अपने पद से इस्तीफा देने के बाद लुधियाना में सियासी समीकरण पूरी तरह से बदल गए हैं। लुधियाना जिले में कांग्रेस के सियासी गलियारों में अचानक सन्नाटा छा गया है। नया मुख्यमंत्री बनने और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के बढ़ते कद को देखकर चर्चा और कयासबाजी का दौर शुरू हो गया है। सबसे ज्यादा चर्चा सरकार में रहे लुधियाना के एक मात्र मंत्री की हो रही है।

सवाल एक ही है कि कैप्टन के करीबी माने जाने वाले निवर्तमान मंत्री भारत भूषण आशु को क्या नए मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी या नहीं। सरकार के लिए मंत्रिमंडल में सूबे के सबसे बड़े शहर को प्रतिनिधित्व देना भी जरूरी है। अब बाजी पलट चुकी है। सत्ता के केंद्र में चेहरे बदल चुके हैं। तो ऐसे हालात में मंत्री पद आशु के पास रहेगा या फिर औद्योगिक नगरी से किसी नए चेहरे को आगे लाया जाएगा। अब अगर बात करें बदले सियासी समीकरणों के दूसरे पहलू की तो पंजाब का नया मंत्रिमंडल मात्र चार से पांच महीने के लिए बनेगा।

लुधियाना से कई अनुभवी विधायक मंत्री की कुर्सी का इंतजार कर रहे हैं। इनमें छह बार के विधायक राकेश पांडे सबसे अनुभवी हैं। वह पहले राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। विधायक सुरिंदर डावर और समराला के विधायक अमरीक सिंह ढिल्लों भी चार-चार बार विधानसभा पहुंच चुके हैं। खन्ना के विधायक गुरकीरत सिंह कोटली हालांकि दो बार विधायक बने हैं लेकिन सिद्धू के करीबियों में माने जाते हैं। इनमें से भी किसी की लाटरी निकल सकती है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार सिद्धू के प्रदेश कांग्रेस प्रधान बनने के पहले दोनों के बीच नजदीकी नहीं थी लेकिन सिद्धू के पद संभालने के बाद वह खुद आशु के घर चल कर आए थे। अब देखना यह है कि सिद्धू के उस दौरे से दोनों के संबंधों में क्या बदलाव आया है उसकी झलक नए मंत्रिमंडल में देखने को मिल जाएगी।

कैप्टन के प्रति रहा है विधायकों का झुकाव

छह महीने में सूबे में विधानसभा चुनाव होने हैं। लुधियाना शहर की छह में से चार सीटों पर कांग्रेस के विधायक हैं। इनका निवर्तमान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर पहले से झुकाव था। यही कारण था कि कांग्रेस प्रदेश प्रधान बनने से पहले सिद्धू अन्य जिलों में विधायकों के घर जाकर मिल रहे थे लेकिन लुधियाना नहीं आए थे। प्रधान पद संभालने के बाद वह लुधियाना में विधायकों से औपचारिक मुलाकात करने आए थे। एक-दो विधायकों को छोड़ किसी भी विधायक के घर 8-10 मिनट से ज्यादा नहीं रुके थे। कुछ के घर तो चाय तक नहीं पी थी। शायद उन्हें इस बात का अहसास था कि इन विधायकों का झुकाव शुरू से कैप्टन की ओर रहा है। सिद्धू-कैप्टन विवाद में जिले के विधायक सामने नहीं आए थे। अब कैप्टन के इस्तीफे के बाद यह विधायक भी असहज स्थिति में हैं। यही कारण है कि शनिवार को लुधियाना के कांग्रेस के गलियारों में सन्नाटा छाया रहा। कोई भी कांग्रेस नेता ताजा घटनाक्रम पर कुछ भी बोलने से कतराता रहा।

दाखा में दरकिनार कांग्रेसियों को बंधेगी उम्मीद

हलका दाखा में कई कांग्रेसियों को अगले विस चुनाव के लिए टिकट की उम्मीद बंधी है। दो साल पहले उप चुनाव में कांग्रेस ने निवर्तमान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के सलाहकार कैप्टन संदीप संधू को पैराशूटी उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा था। उपचुनाव में संधू शिअद प्रत्याशी से हार गए थे। हार के बाद संधू ने दाखा में अपने लिए सियासी जमीन तलाशना शुरू कर दिया। अपना दफ्तर भी खोल दिया। कैप्टन के करीबी होने के कारण माना जा रहा था कि विस चुनाव के लिए इस बार भी टिकट उन्हें ही मिलेगी। ऐसे में क्षेत्र से टिकट के कई दावेदार एवं वरिष्ठ कांग्रेसी दरकिनार हो गए थे। अब इस बदलाव से हाशिये पर गए कांग्रेस नेताओं में टिकट की आस बंध जाएगी।

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