लुधियाना में श्री राम शरणम् प्रार्थना में बोले नरेश- मानव जीवन है अनमोल, सच्चे गुरु की शरण में ही पता चलेगी इसकी महत्ता

लुधियाना में श्री राम शरणम् में नरेश सोनी (भाई साहिब) ने प्रार्थना करते हुए कहा कि गुरुजनों की कृपा से हम सब को इस महामारी से छुटकारा मिले और सब को सुखी स्वस्थ एवं सम्मानित जीवन मिले। महाराज आप बहुत दयालु हैं कृपालु हैं।

By Vinay KumarEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 03:32 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 03:32 PM (IST)
लुधियाना में श्री राम शरणम् प्रार्थना में बोले नरेश- मानव जीवन है अनमोल, सच्चे गुरु की शरण में ही पता चलेगी इसकी महत्ता
लुधियाना में श्री राम शरणम् प्रार्थना का आयोजन किया गया।

लुधियाना, जेएनएन। लुधियाना में श्री राम शरणम् में नरेश सोनी (भाई साहिब) ने प्रार्थना करते हुए कहा कि गुरुजनों की कृपा से हम सब को इस महामारी से छुटकारा मिले और सब को सुखी, स्वस्थ एवं सम्मानित जीवन मिले। महाराज आप बहुत दयालु हैं, कृपालु हैं। हम इस आशा और विश्वास के साथ आप के दरबार मे आये हैं कि आप हमारे भूलों पापों को क्षमा कर देंगे और हमें अपनी कृपा का पात्र बनाएंगे। भाई साहिब जी ने कहा कि यह मानव जीवन अनमोल है। हम इस का मूल्य नहीं जानते। हम इस अमूल्य जन्म को विषय वासना, भोग विलास, मद मान, निंदा चुगली तथा वाद विवाद में गवां देते हैं। जबकि एक अच्छा साधक इस जन्म को जप सिमरन, सेवा उपकार, तथा ज्ञान ध्यान में लगता है। किसी सच्चे सन्त और सतगुरु की शरण में जा कर ही हम इस जन्म की महत्ता को समझ सकते हैं।

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जीवन में सुसमय भी आता है और कुसमय भी आता है। इस महामारी के समय में हमें इस जीवन का मूल्य समझते हुए सजग रहना है। होनी तो हो कर रहती है पर फिर भी हमें सजगता दिखानी है। सरकार के नियमों का पालन करना है। भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचना है। अपनी इन्द्रियों को वश में रखना है। बाहर खाने से परहेज करना है। बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलना है। जब भी बाहर निकले मास्क अवश्य पहनना है।  स्वास्थ में थोड़ी सी गिरावट महसूस होने पर शीघ्र डॉक्टर के पास जाना है। हमें हर समय सावधान रहना है। इन सावधानियों का पालन करके ही इस महामारी से बच सकते हैं। क्योंकि जहां सावधानी हटी वहां दुर्घटना घटी। जिन का कोई अपना चला जाता है उन को इन जीवन का मूल्य समझ में आ जाता है।

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इस संकट के समय से तो केवल श्री राम ही हमें निकाल सकते हैं। हमें हर समय इस महामारी के निवारण के लिए उन से प्रार्थना करनी है। उन्होंने कहा कि नवरात्रों का शुभ समय चल रहा है। हम निराकार मां की स्तुति तो कर रहें है, पर यह भी देखना है कि साकार मां के साथ हमारा व्यवहार कैसा है। हमें वह कर्म करने है जिस से निराकार और साकार मां हम पर रीझै। जब तक हम अपनी जन्म देने वाली मां को प्रसन्न न कर ले तब तक वह निराकार जगत जननी हम पर प्रसन्न नहीं होगी। आज हमें यह प्रण लेना है कि जिस मां ने हमें जन्म दिया, जो स्वयं गीले में सोई हमें सूखे में सुलाया, उस का हम कभी निरादर नहीं करेंगे।

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