निस्वार्थ सेवा में मिलता है यश : अचल मुनि
एस एस जैन सभा शिवपुरी में मधुर वक्ता अचल मुनि महाराज भरत मुनि मुनि महाराज सुखसाता विराजमान हैं।
संस, लुधियाना : एस एस जैन सभा शिवपुरी में मधुर वक्ता अचल मुनि महाराज, भरत मुनि मुनि महाराज सुखसाता विराजमान हैं। वीरवार की सभा में संदेश दिया गया कि कभी-कभी निष्काम सेवा भावना का आदर्श निभाना चाहिए। सेवा से यश भी फैलता है। तथा बुरे कर्म भी खत्म होते है। दो तरह की सेवा का जिक्र शास्त्रों में आता है। सकाम सेवा व निष्काम सेवा। सकाम सेवा में मतलब अर्थात अपना स्वार्थ छिपा होता है। निष्काम सेवा में कोई स्वार्थ नहीं होता। सेवा के लिए कभी निमंत्रण या इंतजार नहीं करना। एक कहावत जगत में प्रसिद्ध है कि सेवा से मेवा मिलता है। अरे मेवा सा शरीर पुष्ट होता है। और सेवा से आत्मा पुष्ट होती है। भरत मुनि महाराज ने कहा कि जिदगी में मां, महात्मा और परमात्मा से बढ़कर और कुछ भी नहीं है। जीवन में तीन आशीर्वाद जरूरी हैं। बचपन में मां का, जवानी में नीयत बिगड़े तो उपदेश देकर महात्मा सुधार देता है। और बुढ़ापे में मौत बिगड़े तो परमात्मा संभाल लेता है। मां, महात्मा और परमात्मा ही जिदगी है।