लुधियाना में कूड़ा प्रबंधन में आरडीएफ का अड़ंगा, तोड़ ढूंढ़ने में जुटा नगर निगम

लुधियाना में नगर निगम कूड़ा प्रबंधन के लिए नई कंपनी की तलाश में जुट गया है। कंपनियां कूड़ा प्रोसेस करने को तैयार हैं लेकिन आरडीएफ की व्यवस्था निगम को करनी होगी। ऐसे में कूड़ा प्रबंधन के लिए कंपनी हायर करना निगम के लिए बड़ी चुनौती बन गई है।

By Vinay kumarEdited By: Publish:Mon, 22 Feb 2021 08:32 AM (IST) Updated:Mon, 22 Feb 2021 08:32 AM (IST)
लुधियाना में कूड़ा प्रबंधन में आरडीएफ का अड़ंगा, तोड़ ढूंढ़ने में जुटा नगर निगम
लुधियाना में नगर निगम कूड़ा प्रबंधन के लिए नई कंपनी की तलाश में जुट गया है।

लुधियाना, जेएनएन। लुधियाना में नगर निगम कूड़ा प्रबंधन के लिए नई कंपनी की तलाश में जुट गया है। कुछ कंपनियां निगम के पास आ भी गई हैं, लेकिन रिफ्यूज्ड डिराइव्ड फ्यूल (आरडीएफ) का अडंगा फिर से सामने आ रहा है। कंपनियां कूड़ा प्रोसेस करने को तैयार हैं, लेकिन आरडीएफ की व्यवस्था निगम को करनी होगी। ऐसे में कूड़ा प्रबंधन के लिए कंपनी हायर करना निगम के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। चेन्नई की एक कंपनी ने निगम को आरडीएफ से बाल्टियां व गमले बनाने की पेशकश की, पर कंपनी यह शर्त रख रही है कि जो भी बाल्टियां व गमले बनेंगे वह निगम को बेचने होंगे, जो कि संभव नहीं है।

दूसरी तरफ विपक्षी पार्षद निगम पर कूड़ा प्रबंधन के लिए इंदौर माडल अपनाने का दबाव डाल रहे हैं, जिसे मेयर ने शहर के लिए अनफिट बता दिया। विशेषज्ञों के मुताबिक पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) अगर अनुमति दे तो डाइंगों की भट्टियों को अपग्रेड करके आरडीएफ का इस्तेमाल ईंधन के तौर पर किया जा सकता है। खास बात यह है कि डाइंग उद्यमी ऐसा करने को भी तैयार हैं।

दरअसल लुधियाना के नजदीक न तो कोई ऐसा बिजली प्लांट है, जहां पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है और न ही कोई सीमेंट फैक्ट्री है। इसलिए इंदौर माडल लुधियाना में फिट नहीं बैठता। इंदौर में सीमेंट फैक्ट्री कूड़ा डंप के पास है, लुधियाना की नजदीकी सीमेंट फैक्ट्री बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश) में है। ऐसे में लुधियाना से बिलासपुर तक आरडीएफ पहुंचाने के लिए ही प्रति टन 350 रुपये से ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे। लुधियाना में डाइंग फैक्ट्रियों को अगर आरडीएफ इस्तेमाल करने की छूट मिले तो समस्या का हल हो सकती है, क्योंकि लुधियाना की डाइंग फैक्ट्रियों में रोजाना सैकड़ों टन ईंधन की खपत होती है।


उद्यमी बोले, डेवलप करनी होगी टेक्नोलाजी
डाइंग उद्यमी रजत सूद का कहना है कि आरडीएफ का इस्तेमाल डाइंग यूनिटों में भी किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए सरकार को एक टेक्नोलाजी डेवलप करनी पड़ेगी ताकि कूड़ा जलने के बाद निकलने वाली गैस को वहीं रोका जा सके। पीपीसीबी एक ऐसा माडल तैयार करे, जिसमें गैसों का उत्सर्जन बाहर बिलकुल भी न हो। आरडीएफ को ईंधन के रूप में 800 डिग्र्री सेल्सियस तापमान पर इस्तेमाल करने की अनुमति होती है। डाइंगों की भट्ठियों में भी इतना तापमान होता है। ऐसे में अगर पीपीसीबी कोई माडल भट्ठी का डिजाइन तैयार करवाए तो उद्यमियों को भी सस्ता ईंधन मिल जाएगा और आरडीएफ की समस्या भी खत्म हो जाएगी।


इंडस्ट्री पहले करती रही है सूखे कूड़े का इस्तेमाल
ताजपुर डंप में जो कूड़ा सूख जाता था तो कुछ डाइंग उद्यमी सूखे कूड़े को ईंधन के तौर पर भट्ठियों में प्रयोग करते रहे हैं। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इसकी अनुमति नहीं देता था। इसलिए छापेमारी में कई डाइंग उद्यमियों को पकड़ा था और उनके खिलाफ एफआइआर भी दर्ज की गई थी। अब अगर इसे व्यवस्थित तरीके से जलाने के लिए रिसर्च करके भट्ठी डिजाइन की जाए तो समस्या का समाधान हो सकता है।


आरडीएफ का इस्तेमाल न होने से बिगड़े हालात
एटूजेड पहले आरडीएफ नकोदर स्थित पावर प्लांट को सप्लाई करती थी। जैसे ही नकोदर पावर प्लांट बंद हुआ तो एटूजेड को आरडीएफ से आमदनी बंद हो गई। इसकी वजह से ताजपुर कूड़ा डंप में आरडीएफ के अंबार लगने लगे और कंपनी घाटे में आ गई। इसके बाद कंपनी ने करार तोड़ दिया।


क्या है आरडीएफ
कूड़ा प्रोसेसिंग के दौरान मिट्टी आदि को अलग करके जो ज्वलनशील पदार्थ उसमें से शेष बचते हैं। उन्हें रिफ्यूज्ड डिराइव्ड फ्यूल (आरडीएफ) कहा जाता है। हालांकि इसे अपनी मर्जी से कहीं भी इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। इसे पावर प्लांट व सीमेंट फैक्ट्रियों में ही ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति है, क्योंकि वहां की भट्ठियां इसके अनुरूप डिजाइन की गई हैं। लुधियाना में ऐसा कोई प्लांट नहीं है, जहां इसे इस्तेमाल किया जा सके।

हम कंपनियों से लगातार बात कर रहे हैं। पांच कंपनियां मेरे पास आ चुकी हैं। मेरा फोकस इस समय आरडीएफ के इस्तेमाल पर है। जो कंपनी हमें आरडीएफ के इस्तेमाल का आप्शन देगी, उसकी प्रपोजल पर विचार किया जाएगा। डाइंग यूनिटों में इसका इस्तेमाल हो सकता है। इस बारे में सरकार व पीपीसीबी से बात की जाएगी कि इस पर कुछ रिसर्च जरूर हो।
- बलकार सिंह संधू, मेयर लुधियाना।

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