शहादत भूली पंजाब सरकारः Galwan Valley के शहीद गुरबिंदर सिंह के भाई को न मिली नौकरी, न घर तक पक्की सड़क बनी

चीनी सैनिकों के साथ झड़प में गलवन घाटी में गत वर्ष 15 जून को शहीद हुए गांव तोलावाल के शहीद गुरबिंदर सिंह की शहादत को पंजाब सरकार भूल गई है। एक साल बाद भी सरकार ने कोई वादा पूरा नहीं किया है।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 03:36 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 03:36 PM (IST)
शहादत भूली पंजाब सरकारः Galwan Valley के शहीद गुरबिंदर सिंह के भाई को न मिली नौकरी, न घर तक पक्की सड़क बनी
संगरूर के शहीद गुरबिंदर सिंह की फाइल फोटो।

चीमा (संगरूर), [महेंद्र पाल/मनदीप कुमार]। सरकार गलवन घाटी में गत वर्ष 15 जून को शहीद हुए चीमा के नजदीकी गांव तोलावाल के शहीद गुरबिंदर सिंह की शहादत को भूल गई है। एक साल बाद भी सरकार ने एक भी वादा पूरा नहीं किया है। गुरबिंदर सिंह की 16 जून को गांव तोलावाल में पहली बरसी मनाई जाएगी। शहीद के नाम पर किए गए वादों को पूरा न करने से शहीद के परिवार में सरकार के प्रति रोष है। गुरबिंदर के भाई गुरप्रीत सिंह को सरकारी नौकरी देने का वादा किया गया था, लेकिन उसे अभी तक नौकरी नहीं मिली। शहीद के नाम पर गांव में डेढ़ करोड़ रुपये की लागत से स्टेडियम बनाया जाना था लेकिन चार एकड़ जमीन न मिलने के कारण स्टेडियम का निर्माण नहीं हो पाया।

पंचायत ने 20 लाख रुपये की लागत से मनरेगा अधीन छोटे स्टेडियम का निर्माण अलग से शुरू किया है, लेकिन अभी पूरा नहीं हो पाया। शहीद के नाम पर गांव में लाइब्रेरी बनाई जानी थी, लेकिन अलग तौर पर लाइब्रेरी बनाने के बजाय केवल सरकारी स्कूल में एक कमरे को ही लाइब्रेरी बनाकर खानापूर्ति की गई है।

परिवार ने खुद स्थापित किया शहीद की प्रतिमा 

पंजाब सरकार ने शहीद गुरबिंदर की याद में गांव में बुत स्थापित करने, स्टेडियम बनाने, गांव की मुख्य सड़क से घर तक पक्की सड़क बनाने, शहीद के भाई को सरकारी नौकरी देने और भतीजी की आर्मी स्कूल में पढ़ाई करवाने का वादा किया था। अफसोस, एक वर्ष बाद भी ये वादे वफा नहीं हुए। पंजाब सरकार ने बुत नहीं लगवाया। शहीद के परिवार ने खुद अपने खर्च पर खेत में गुरबिंदर सिंह की प्रतिमा स्थापित की है। शहीद के परिवार ने भी दुख जताया कि सरकार शहीदों के नाम पर सियासी रोटियां सेकने में जुटी है।

गांव के खेत में स्थापित शहीद गुरबिंदर सिंह की प्रतिमा जिसे शहीद के स्वजनों ने स्वयं बनवाया है।

नहीं बन पाई शहीद के घर तक पक्की सड़क

शहीद गुरबिंदर के नाम पर गांव के मुख्य रोड से घर तक पक्की सड़क बनाने का वादा किया गया था, लेकिन अभी तक सड़क भी नहीं बन पाई, क्योंकि 11 फीट के इस मार्ग को 20 फीट किया जाना है। इसके लिए दोनों तरफ से कुल नौ फीट अतिरिक्त जगह की जरूरत है, लेकिन सड़क के दोनों तरफ से ग्रामीणों ने जगह नहीं दी है। पंचायत का दावा है कि लोग जगह के एवज में रकम की मांग कर रहे हैं।

शहीद गुरविंदर सिंह के घर को जाती सड़क आज भी कच्ची है।

सेना में भर्ती होना चाहती थी भतीजी, सपना अधूरा

शहीद के पिता लाभ सिंह, मां चरणजीत कौर का कहना है कि गुरबिंदर सिंह की भतीजी जसमीन कौर अपने चाचा की तरह ही सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहती है। सरकार ने वादा किया कि जसमीन को आर्मी स्कूल में दाखिल किया जाएगा, लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। लिहाजा जसमीन चीमा के एक प्राइवेट स्कूल में अपनी पढ़ाई कर रही है।

शहीद गुरबिंदर के नाम पर गांव गांव तोलावाल का स्कूल।

शहीद के नाम पर किए गए वादे पूरे किए जा रहे हैं। सड़क के लिए जमीन जल्द मिल जाएगी। मनरेगा के तहत स्टेडियम का निर्माण अंतिम चरण पर है।

-मेवा सिंह, सरपंच

सरकार द्वारा किए वादों को जल्द पूरा किया जाएगा। कोरोना काल के कारण कुछ समस्याएं पेश आ गई थी, जिस कारण कुछ देरी हुई है।

-दामन बाजवा, कांग्रेस पार्टी के हलका इंचार्ज

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