लुधियाना की रबड़ इंडस्ट्री कच्चे माल की महंगाई से बेहाल, कीमतों में हाेगा 10 से 15 फीसद तक इजाफा
उद्यमियों ने सरकार से आग्रह किया है कि कच्चे माल के आयात पर ड्यटी जीरो की जाए और तैयार माल के आयात पर ड्यूटी अधिक की जाए। इससे घरेलू उद्योगों का मैन्युफैक्चरिंग बेस मजबूत होगा और वे बेहतर ढंग से परफार्म कर पाएंगे।
लुधियाना, [राजीव शर्मा]। कच्चे माल की महंगाई ने रबड़ उद्योग का ताना बाना बिगाड़ कर रख दिया है। हालत यह है कि पिछले छह माह में कच्चे माल के दाम दोगुना से अधिक तक उछल गए हैं, जबकि मार्केट में सुस्ती के कारण तैयार माल के रेट उस अनुपात में नहीं बढ़ पाए हैं। ऐसे में उद्योग का मार्जिन खत्म हो रहा है। उद्यमियों ने साफ किया है कि यदि कच्चे माल की कीमतें इसी तरह बढ़ती गईं तो रबड़ उत्पादों की कीमतों में 10 से 15 फीसद तक का और इजाफा हो सकता है। उद्यमियों ने सरकार से आग्रह किया है कि कच्चे माल के आयात पर ड्यटी जीरो की जाए और तैयार माल के आयात पर ड्यूटी अधिक की जाए। इससे घरेलू उद्योगों का मैन्युफैक्चरिंग बेस मजबूत होगा और वे बेहतर ढंग से परफार्म कर पाएंगे।
उद्यमियों के अनुसार सिटरिन बूटाडिन रबड़ (एसबीआर) के रेट अस्सी रुपये किलो से बढ़ कर 181 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गए। इसी तरह नेचुरल रबड़ के दाम 130 से बढ़ कर 180 रुपये हो गए। नाईट्राइड बूटाडिन रबड़ (एनबीआर )के रेट 180 रुपये से उछल कर 270 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं। कार्बन ब्लैक के रेट 58 रुपये से बढ़ कर 103 रुपये प्रति किलो हो गए हैं। इसी तरह रबड़ में उपयोग होने वाले कैमिकल्स के दाम भी पचास से अस्सी फीसद तक बढ़ गए हैं।
आयल के रेट में भी 50 फीसद तक उछाल आया है। इस तरह से रबड़ उत्पादों की लागत में औसतन 35 फीसद की वृद्धि हो गई है। कोविड के कारण पहले लाकडाउन में काम लगभग बंद रहा। अब बाजार खुला है, लेकिन सुस्ती बरकरार रहने के कारण अभी तक दस फीसद तक ही रेट मुश्किल से बढ़ पाए हैं। उद्यमियों के अनुसार देश में रबड़ का उत्पादन करीब आठ लाख टन है। जबकि खपत बारह लाख टन है। ऐसे में चार लाख टन रबड़ का आयात किया जा रहा है।
कच्चे माल के आयात पर ड्यूटी हो जीरो
आल इंडिया रबड़ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मो¨हद्र गुप्ता कहते हैं कि रबड़ आयात पर सरकार ने 25 फीसद कस्टम ड्यूटी लगा रखी है। अब स्टार कंपनियों को अथोराइजेशन के तहत रबड़ आयात करने में ड्यूटी नहीं लगती, जबकि छोटे निर्माताओं को ड्यूटी लगने से वे आयात नहीं कर पा रहे हैं। सरकार को कच्चे माल के आयात पर ड्यूटी जीरो करनी चाहिए।
फ्रेट में मिले छूट
आल इंडिया रबड़ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के चेयरमैन अनय गुप्ता का कहना है कि रबड़ इंडस्ट्री के लिए आयात के बदले निर्यात के लिए रबड़ उद्योग को छह माह का वक्त मिल रहा है। अन्य उत्पादों के लिए यह 18 माह है। ऐसे में रबड़ उद्योग को भी अन्य उद्योगों की तर्ज पर राहत दी जाए। पंजाब से पोर्ट तक माल पहुंचाने के लिए लगने वाले फ्रेट में राहत दी जाए।