विदेशी कोयला मिलाने से बिजली की लागत में 30 फीसद तक बढ़ोतरी संभव, इंजीनियर्स फेडरेशन ने जताई चिंता

भारतीय कोयले की उतरा लागत 5500 रुपये प्रति टन है। दूसरी ओर आयातित कोयले की लागत लगभग 22 हजार रुपये प्रति टन है। 15 प्रतिशत आयातित कोयले के मिश्रण से प्रति यूनिट लागत 3.22 रुपये से बढ़कर 437 रुपये जाएगी।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 08:47 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 08:47 PM (IST)
विदेशी कोयला मिलाने से बिजली की लागत में 30 फीसद तक बढ़ोतरी संभव, इंजीनियर्स फेडरेशन ने जताई चिंता
केंद्र सरकार ने विद्युत ताप घरों को 15 प्रतिशत आयतित कोयला मिलाने की छूट दी है। सांकेतिक चित्र।

जागरण संवाददाता, पटियाला। आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन (एआइपीईएफ) ने चिंता जताई है कि घरेलू कोयले के साथ आयातित कोयला मिलाए जाने से बिजली की लागत में 30 फीसद की वृद्धि हो सकती है। यह जानकारी महासंघ के प्रवक्ता वीके गुप्ता ने दी। गुप्ता ने कहा कि केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने सभी कोयला आधारित थर्मल उत्पादन केंद्रों को अपने दायित्वों के अनुसार पर्याप्त कोयला स्टाक बनाए रखने की सलाह दी है। घरेलू कोयले की कमी के मामले में, पावर जेनरेटर देश में बिजली की बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए घरेलू कोयले के साथ 15 फीसद तक आयातित कोयले का मिश्रण कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि पंजाब में भारतीय कोयले की उतरा लागत 5500 रुपये प्रति टन है। दूसरी ओर आयातित कोयले की लागत लगभग 22 हजार रुपये प्रति टन है। 15 प्रतिशत आयातित कोयले के मिश्रण से प्रति यूनिट लागत 3.22 रुपये से बढ़कर 4,37 रुपये जाएगी। गुप्ता ने कहा कि पहले से ही वित्तीय संकट से जूझ रहा राज्य इस मूल्य वृद्धि को वहन नहीं कर पाएगा। उन्होंने आगे कहा कि निजी जनरेटर कैग आडिट के दायरे में नहीं आते हैं। वे फर्जी दस्तावेजों से टैरिफ में बढ़ोतरी में हेरफेर कर सकते हैं।

इसके अलावा कोयले की वैश्विक कीमतों में वृद्धि हुई है, जिससे आयात एक महंगा विकल्प बन जाएगा। वहीं, पिछले तीन साल में भारत में कोयला उत्पादन ठहर गया है जबकि मांग हर साल बढ़ रही है। पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि वह कोयला उत्पादन बढ़ाने के लिए कदम उठाएं ताकि अगले साल संकट की स्थिति दोबारा ने पनपे। ऐसे उदाहरण हैं जब कुछ स्टेशनों ने मानसून की शुरुआत से पहले आवश्यक कोयला स्टाक रखने के लिए काम नहीं किया था। उन्होंने कहा कि जिन प्राइवेट पावर प्रोजेक्टों में प्रत्येक वर्ष के लिए निर्धारित दरों पर 25 वर्ष के अनुबंध हैं, उन्हें पीपीए में बोली दर के अनुसार बिजली की आपूर्ति के लिए कोयले के स्टाक की पर्याप्त सप्लाई सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाना चाहिए।

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