Coronavirus Effect: कोविड व महंगाई की मार से प्लाईवुड कारोबार में 30 फीसद गिरावट; फ्रेट सब्सिडी का इंतजार

उद्यमी मानते हैं कि पिछले डेढ़ साल से इंडस्ट्री में विस्तार रुक गया है। इसके अलावा दोहरे किराये की मार भी यहां के उद्योगों को प्रतिस्पर्धा से बाहर कर रही है। यदि सरकार फ्रेट सब्सिडी मुहैया कराए तो यहां से प्लाईवुड का निर्यात तक किया जा सकता है।

By Edited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 07:44 AM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 07:44 AM (IST)
Coronavirus Effect: कोविड व महंगाई की मार से प्लाईवुड कारोबार में 30 फीसद गिरावट; फ्रेट सब्सिडी का इंतजार
कोविड एवं महंगाई की मार ने प्लाईवुड उद्योग पर पड़ रही। (सांकेतिक तस्वीर)

लुधियाना, [राजीव शर्मा]। कोविड एवं महंगाई की मार ने सूबे के प्लाईवुड उद्योग को भी पस्त कर दिया है। कोविड की दूसरी लहर के बाद हालांकि अनलाक की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है, लेकिन प्लाईवुड की मांग सिर्फ 50 फीसद के आसपास ही निकल पाई है। उधर इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की कीमतों में भी 50 फीसद तक की वृद्धि हो चुकी है। इसका उत्पादन पर असर 30 फीसद तक आ रहा है, लेकिन बाजार में मांग कमजोर होने के कारण बढ़ी उत्पादन लागत को उपभोक्ता पर डालना असंभव हो रहा है। ऐसे में इंडस्ट्री के मार्जिन पर प्रभाव पड़ रहा है।

उद्यमी मानते हैं कि पिछले डेढ़ साल से इंडस्ट्री में विस्तार रुक गया है। इसके अलावा दोहरे किराये की मार भी यहां के उद्योगों को प्रतिस्पर्धा से बाहर कर रही है। उद्यमियों की मांग है कि यदि सरकार फ्रेट सब्सिडी मुहैया कराए तो यहां से प्लाईवुड का निर्यात तक किया जा सकता है। कृषि आधारित सूबा होने के कारण यहां पर प्लाईवुड इंडस्ट्री की स्थापना हुई। सूबे में करीब 200 प्लाईवुड के यूनिट्स लगे हैं। उद्यमियों का कहना है कि उद्यमियों को एग्रो बेस्ड इंडस्ट्री की तमाम सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। पंजाब प्लाइवुड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रधान इंद्रजीत सिंह सोहल के अनुसार पिछले करीब छह माह में पेट्रोलियम एवं केमिकल उत्पादों की कीमतें करीब 50 फीसद तक उछल गई हैं।

इसके अलावा पेट्रोल-डीजल की महंगाई के कारण फ्रेट भी 25 फीसद बढ़ गया है। पंजाब पोर्ट से दूर होने के कारण यहां पर कच्चा माल भी बाहर से आता है। सूबे में सिर्फ लकड़ी उपलब्ध है। प्लाईवुड में लकड़ी का योगदान 40 फीसद तक है। बाकी साठ फीसद कच्चा माल दूसरे राज्यों से या विदेश से आता है। इसके अलावा चीन से आने वाले केमिकल्स मसलन विनियर, मेलामाइन इत्यादि भी महंगे हो गए हैं। वहां पर भी इनके रेट बढ़ गए हैं। इसके अलावा समुद्री एवं सड़क मार्ग का भाड़ा बढ़ गया है। सोहल ने कहा कि यहां से तैयार माल पोर्ट तक पहुंचाने में ही दस से पंद्रह फीसद का खर्च आता है। ऐसे में इंडस्ट्री को दिक्कत आ रही है। इसे मैनेज करने के लिए फ्रेट सब्सिडी की जरूरत है।

उत्तर प्रदेश से मिल रही प्रतिस्पर्धा, वहां काफी सुविधाएं

एसोसिएशन के प्रधान इंद्रजीत सिंह सोहल ने कहा कि कुल उत्पादन का पंद्रह फीसद प्लाईवुड ही सूबे में खपता है, बाकी 85 फीसद अन्य राज्यों में भेजा जाता है। अब सूबे के उद्यमियों की प्रतिस्पर्धा उत्तर प्रदेश से है। यूपी में भी औद्योगीकीकरण के चलते बड़ी संख्या में प्लाईवुड इकाइयां लग रही हैं। वहां पर जमीन सस्ती है, सरकार से सहायता भी है, लकड़ी भी है और उत्पादन लागत भी कम है। ऐसे में यहां के उद्यमियों की दिक्कतें बढ़ रही हैं।

सरकार की सहयोग बेहद जरूरी

एसोसिएशन के चेयरमैन अशोक जुनेजा के अनुसार सूबा सरकार को इसे सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए आर्थिक पैकेज देना होगा। तभी इस उद्योग में रौनक आएगी। कोविड व महंगाई के कारण उद्योग रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा। इसमें सरकार का सहयोग बेहद जरूरी है।

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