दूरदर्शिता अपनाएं: स्वच्छ पर्यावरण ही नहीं, राजस्व भी देते हैं पौधे

पेड़ पौधे जहा हमें स्वच्छ पर्यावरण प्रदान करते हैं। वहीं अगर उन्हें लगाते समय थोड़ी सी दूरदर्शिता अपनाई जाए तो वो अच्छा खासा राजस्व भी देते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 01:59 AM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2020 01:59 AM (IST)
दूरदर्शिता अपनाएं: स्वच्छ पर्यावरण ही नहीं, राजस्व भी देते हैं पौधे
दूरदर्शिता अपनाएं: स्वच्छ पर्यावरण ही नहीं, राजस्व भी देते हैं पौधे

राजन कैंथ, लुधियाना

पेड़ पौधे जहा हमें स्वच्छ पर्यावरण प्रदान करते हैं। वहीं, अगर उन्हें लगाते समय थोड़ी सी दूरदर्शिता अपनाई जाए तो वो अच्छा खासा राजस्व भी देते हैं। अगर इस मानसून में आप अपने इर्द-गिर्द कोई पौधा लगाने पर विचार कर रहे हैं, तो फिर यह खबर आप ही के लिए है।

पर्यावरण विशेषज्ञ जीत कुमार गुप्ता बताते हैं कि हमें वो पौधे लगाने चाहिए, जो स्थानीय नस्ल के हों। उन्हें बड़े होने के लिए किसी की मदद की जरूरत न पड़े। इनमें शीशम, नीम और डेक के पौधे ऐसे हैं, जिन्हें ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं पड़ती। शीशम और डेक की लकड़ी टिंबर के काम आती है जबकि नीम का पेड़ लकड़ी के साथ हमें दवा भी देता है। उस पेड़ के आसपास की इन्फेक्शन खुद ब खुद खत्म हो जाती है। पुराने समय में बुखार होने पर नीम के पत्ते चबा लिए जाते थे।

फलों के लिए भी स्थानीय पौधों का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इनमें अमरूद, बेर, जामुन, आम, आड़ू, पपीता, किन्नू, नींबू व शहतूत के पेड़ लगाए जा सकते हैं। घरों में अगर जगह हो तो हरड़ व आवला का पौधा लगाया जा सकता है। इसके अलावा अर्जुन और बेल के पौधे भी लगाए जा सकते हैं। अर्जुन के पौधे की छाल औषधि का काम करती है जबकि बेल के फल का जूस हृदय रोग के इलाज के लिए इस्तेमाल होता है। पंजाब में बहुत गर्मी और बहुत सर्दी पड़ती है। हमें ऐसे पौधे लगाने चाहिए जो इंसान के दोस्त बन सकें। सíदयों में पत्ते झड़ने से धूप दें और गíमयों में छाया के साथ ठंडी हवा दें। ऐसे पेड़ न लगाएं जो न फल दें और न ही छाया

पीएयू के डॉ. वरिंदर पाल सिंह कहते हैं कि हमें ऐसे पेड़ नहीं लगाने चाहिए, जो न तो फल दें और न ही छाया। पंजाब में आम और जामुन बहुत होता है। हाईवे पर हमें वो दोनों पेड़ लगाने चाहिए। किसान अपने खेतों में कोई भी पेड़ लगा सकते हैं। मगर पब्लिक लैंड पर पारंपरिक पौधे ही लगाए जाने चाहिए। ये पेड़ धीर-धीरे हो रहे खत्म

डॉ. वरिंदर पाल सिंह बताते हैं कि कुछ पेड़ ऐसे भी हैं, जो धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं। उनमें पीपल, बरगद, लसूड़ा, सरींह, सुहंजना, डेक, वण तथा महारुख के नाम मुख्य हैं। यह पेड़ बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन देने का काम तो करते ही हैं, उनकी लकड़ी भी बहुत काम में आती है। वन विभाग ने वनों में 70 फीसद शीशम के पौधे लगाए

जिला वन अधिकारी (डीएफओ) चरणजीत सिंह कूनर का कहना है कि वन विभाग ने जहा भी वन विकसित किए हैं, वहा पर 70 फीसद शीशम के पौधे लगाए हैं। उसके अलावा, बबूल, अर्जुन, डेक और सागवान के पौधे लगाए गए हैं। विभाग फलों के पौधे वन में नहीं लगाता। मगर विभाग की नर्सरी में फलों वाले पौधों की पनीरी तैयार की जाती है। जहा से लोगों को निशुल्क पौधे मुहैया कराए जाते हैं। लुधियाना रेंज में वन विभाग की 15 नर्सरिया हैं। लोग वन विभाग की हरियाली एप में जाकर अपनी मांग के अनुसार पौधों ले सकते हैं। उन्हें उनकी नजदीकी नर्सरी से पौधे उपलब्ध कराए जाते हैं। औषधीय गुणों से भरपूर है जामुन

पीएयू के फोरेस्टी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर वरिंदरपाल सिंह बताते हैं कि बरसात के मौसम में जामुन का पौधा भी लगाया जा सकता है। जामुन में कई औषधीय गुण होते हैं। इसके पत्ते, फल, गुठली और छाल बहुत उपयोगी होते हैं। इनके सेवन से कई तरह की गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है। जामुन विटामिन और खनिज से समृद्ध एक स्वादिष्ट फल है। लाभदायक है अर्जुन की छाल

प्रोफेसर वरिंदरपाल सिंह के अनुसार अर्जुन का पेड़ के कई औषधीय गुणों से भरा हुआ होता है। अर्जुन के पेड़ की छाल सेहत के लिए काफी लाभदायक होते है। इसका प्रयोग हृदय संबंधी बीमारियों, क्षय रोग, सामान्य कान दर्द, सूजन, बुखार के उपचार के लिए किया जाता है। पीएयू में यह पेड़ काफी लगे हैं। लैंड स्केपिंग के लिए भी यह पेड़ अच्छा है। यह एक सदाबहार वृक्ष है।

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