खादी को उत्पाद नहीं ग्रामीण क्षेत्र में वर्तमान समय में अवसर के तौर पर देखने की जरूरत
खादी को कैसे प्रमोट किया जा सकता है इसके लिए क्या-क्या मापदंड होने चाहिए। इस पर विभिन्न विभागों से आए कार्यकारियों ने पैनल के तौर पर चर्चा की।
जासं, लुधियाना : खादी को कैसे प्रमोट किया जा सकता है, इसके लिए क्या-क्या मापदंड होने चाहिए। इस पर विभिन्न विभागों से आए कार्यकारियों ने पैनल के तौर पर चर्चा की। कार्यक्रम वर्ल्ड वीवर्स फोरम ने फिक्की लेडीज आर्गनाइजेशन और आईएम खादी फाउंडेशन के सहयोग से होटल पार्क प्लाजा में कार्यक्रम करवाया गया जिसमें फैशन, टेक्सटाइल, रिटेलर्स विशेषज्ञ, मैन्यूफैक्चर्स मौजूद हुए। मुख्य मेहमान के तौर पर कार्यक्रम में आरआर ओखंडियार सीईओ और मेंबर सेक्रेटरी सेंट्रल सिल्क बोर्ड मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल भारत सरकार मौजूद हुए। मुख्य वक्ता डॉ. श्री कांत ने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम भारत में ही नहीं बल्कि ग्लोबल वाइज करवाने चाहिए। खादी कोई फिक्स उत्पाद नहीं, वह कॉटन सिल्क में भी हो सकता है। कार्यक्रम की शुरुआत में पहले पैनल ने न्यू इनोवेटिव डिजाइंस इन हैंड वूवन टेक्सटाइल फॉर ग्लोबल एक्सपोर्ट विषय पर चर्चा की। एसके नागर ने कहा कि हमारा हमेशा से ही मकसद रहा है कि खादी के साथ जुड़कर कोई नया काम किया जाए। प्रवीण भाटिया ने कहा कि खादी को उत्पाद के रूप में न देखते हुए खादी को ग्रामीण क्षेत्र में अवसर के तौर पर देखने की जरूरत है। वहीं यशपाल ने कहा कि खादी से वे लोग भी जुड़े हैं जिनके पास खाना खाने तक के पैसे नहीं हैं, ऐसे लोगों को सहयोग करने की जरूरत है।
दूसरे पैनल के विशेषज्ञों ने भी दिया खादी को प्रमोट करने पर जोर
दूसरे पैनल में मौजूद रहे फाउंडर चेयरमैन और चीफ एडवाइजरी पहल और ग्रुप एडवाइजर बोर्ड ऑफ दैनिक जागरण ग्रुप के सर्व मित्र शर्मा, लोकेश पराशर प्रेसिडेंट फेडरेशन ऑफ बाइंग एजेंट्स, श्रुति गुप्ता, असिसटेंट प्रो. एनआइएफटी कांगड़ा, मारिया गरट्रड, एसोसिएट प्रो. फैशन डिजाइन और टेक्नोलॉजी स्कूल ऑफ डिजाइन एलपीयू, आइक सिन्हा, कंट्री डायरेक्टर यूनाइट फॉर गुड्स ने एक्सपलोfरग पॉसीबिलिटीज ऑफ क्रास कंट्री आर्ट फ्यूजन फॉर एक्सपोर्ट्स विषय पर चर्चा की। सर्व मित्र शर्मा ने कहा कि खादी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहम स्थान दिलाने में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। दैनिक जागरण आज सात करोड़ पाठकों तक रोजाना पहुंचता है और खादी के बुनकरों को उनका बनता सम्मान दिलाने में अहम भूमिका अदा कर सकता है। उन्होंने कहा कि अन्य मीडिया हाउस भी इस प्रयास में शामिल हों ताकि खादी बुनकरों का स्तर ऊंचा किया जा सके।
सभी पैनलिस्ट को ग्रीन फिक्की फ्लो ने दिए ग्रीन सर्टिफिकेट्स
इससे पहले पैनलिस्ट को ग्रीन फिक्की फ्लो की ओर से ग्रीन सर्टिफिकेट्स दिए गए। दूसरे पैनल में मौजूद श्रुति गुप्ता ने कहा कि वह पीएचडी खादी विषय पर कर रही हैं, इसके लिए कई उपभोक्ताओं पर सर्वे कर चुकी हैं जिनमें सामने आया है कि खादी की कीमत बहुत अधिक है जिसे हर कोई खरीद नहीं सकता। वहीं मारिया गरट्रड ने दिनों-दिन उपभोक्ता के बदल रहे व्यवहार के बारे में बताया।