ICAR की रैंकिंग में लुधियाना की PAU पांचवें स्थान पर लुढ़की, गडवासू भी Top-10 से बाहर

रैंकिंग में आइसीएआर नेशनल डेयरी रिसर्च पहले इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट न्यू दिल्ली दूसरे और इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट इज्जतनगर तीसरे जीबी पंत यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलाजी चौथे स्थान पर रहे हैं। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) पांचवें स्थान पर रही है।

By Pankaj DwivediEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 11:58 AM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 12:02 PM (IST)
ICAR की रैंकिंग में लुधियाना की PAU पांचवें स्थान पर लुढ़की, गडवासू भी Top-10 से बाहर
रैंकिंग गिरने से दोनों यूनिवर्सिटी को फंड लेने में परेशानी हो सकती है।

जासं, लुधियाना: भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर- इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च) ने कृषि विश्वविद्यालयों की वर्ष 2020 की रैंकिंग जारी कर दी है। इसमें आइसीएआर नेशनल डेयरी रिसर्च पहले, इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट नई दिल्ली दूसरे और इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट, इज्जतनगर तीसरे और जीबी पंत यूनिवर्सिटी आफ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलाजी चौथे स्थान पर रहे हैं। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएयू) पांचवें स्थान पर रही है। वहीं, गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासू) पहले दस स्थान में जगह नहीं बना पाई है। गडवासू इस बार 18वें स्थान पर रही है।

रैंकिंग गिरने से दोनों यूनिवर्सिटी को फंड मिलने में हो सकती है परेशानी

वर्ष 2019 में पीएयू दूसरे और गडवासू सातवें स्थान पर रही थीं। एक साल में पीएयू तीन और गडवासू ग्यारह पायदान नीचे खिसक गईं। विशेषज्ञों के अनुसार रैंकिंग गिरने से दोनों यूनिवर्सिटी को फंड लेने में परेशानी हो सकती है। गौरतलब है कि आइसीएआर संस्थानों के अलग-अलग पहलुओं पर विचार कर रैंकिंग जारी करती है। इसमें कृषि अनुसंधान, नई किस्म, शैक्षणिक सतर, यूनिवर्सिटी परिसर का माहौल, पेटेंट, विद्यार्थियों को रोजगार, अध्यापकों की कार्यशैली और प्रसार सेवाओं आदि को देखा जाता है। इस बार दोनों यूनिवर्सिटी को नुकसान हुआ है।

इस बार बदला रैंकिंग का तरीका

गडवासू के वीसी डा. इंद्रजीत सिंह का कहना है कि इस बार रैंकिंग का सिस्टम बदल दिया है। इस कारण हमारी रैंकिंग में अंतर आया है। पहले आइसीएआर एक साल में संस्थान ने क्या किया, उसकी उपलब्धियां क्या रहीं से संबंधित जानकारी मांगती थी। इस बार रैंकिंग के लिए इंटरनेट मीडिया से जानकारी ले रहे हैं। पीछे रहने की दूसरी वजह यह है कि हमारे विद्यार्थी छात्रवृति लेकर पढ़ने या नौकरी के लिए देश के दूसरे हिस्सों में नहीं जाते हैं। वह विदेश का रुख करते हैं। इसमें हमारे नंबर कम आते हैं। इस बार इस श्रेणी में दस में से हमें कोई नंबर नहीं मिला है। जब पूरी जानकारी आ जाएगी उसके बाद सही पता चलेगा कि हम कहां-कहां पीछे रहे हैं।

विद्यार्थियों की संख्या व शोध पत्र में रहे पीछे

पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के निदेशक प्रसार शिक्षा डा. जसकरण माहल का कहना है कि स्टेट एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की रैकिंग में हम दूसरे और एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की रैंकिंग में पांचवें स्थान पर हैं। इस बार हम दो श्रेणियों में पीछे रहे हैं। एक विद्यार्थियों की कुल संख्या और दूसरा शोध पत्र में। हमारे पास करीब साढ़े चार हजार विद्यार्थी हैं जबकि पहले चार स्थानों में रहने वाली यूनिवर्सिटी के पास हमारे से दो से तीन गुणा विद्यार्थी हैं। हमारे पास एक्सटेंशन वाली फैकल्टी ज्यादा है। उनके शोध पत्रों को रैंकिंग में शामिल नहीं किया जाता है। इस कारण हमारे शोध पत्र कम रह जाते हैं और रैंकिंग में कमी होती है।

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