महंगाई पर लगेगा अंकुश, PAU के वैज्ञानिकों ने तैयार की प्याज की नई वैरायटी, बिना फूल ज्यादा उत्पादन
पंजाब के लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों ने प्याज की नई किस्म तैयार की है। इसकी खासियत यह है कि इसमें फूल नहीं होते साथ ही उसकी उत्पादन क्षमता भी अधिक है। इसका भंडारण भी अधिक समय तक किया जा सकता है।
लुधियाना [आशा मेहता]। वैसे तो किसी भी वस्तु की महंगाई आमजन को परेशान करती है, लेकिन प्याज की कीमतों के बढ़ने से सरकारें तक हिल जाती हैं। मगर अब इस समस्या पर काफी हद तक काबू पाया जा सकेगा। लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (Punjab Agricultural University PAU) के विज्ञानियों ने दस साल के प्रयासों से प्याज की नई वैरायटी पंजाब ओनियन हाइब्रिड वन (Punjab Onion Hybrid 1 POH1) तैयार की है। अधिक समय तक भंडारण के बावजूद यह जल्द खराब नहीं होगा और उपलब्धता बनी रहेगी।
विज्ञानियों का दावा है कि इस किस्म का प्याज चार माह तक सुरक्षित रहेगा। उत्पादन भी अधिक होगा। इसमें बोल्टिंग (फूल आना या निसरना) की समस्या नहीं आती। ये तीनों खूबियां इसे दूसरे प्याज से अलग करती हैं। पीएयू के सब्जी विज्ञान विभाग के प्रमुख डा. तरसेम सिंह ढिल्लों बताते हैं कि पीओएच वन को डा. अजमेर सिंह ढट ने तैयार किया है।
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पीओएच वन नार्मल रूम टेंपरेचर या नार्मल कंडीशन में चार महीने तक रखा जा सकता है। यह खराब नहीं होता। प्राइवेट सेक्टर के हाइब्रिड और प्याज की अन्य वैरायटी की भंडारण अवधि करीब एक से दो महीने ही होती है। ये बोल्टिंग टालरेंट हैं। बोल्टिंग की समस्या प्याज की रोपाई के बाद आती है। इसमें प्याज के पौधे पर फूल खिल जाते हैं, जिससे इसका आकार छोटा हो जाता है। इससे प्याज का वजन कम हो जाता है और किसानों को नुकसान होता है। वहीं, पीओएच वन में फूल नहीं आते। इससे जमीन के नीचे प्लांट की ताकत बढ़ जाती है। इससे मिट्टी के अंदर प्याज का आकार बढ़ता है, जिससे उत्पादन अधिक होता है।
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डा. तरसेम सिंह ढिल्लों ने बताया कि पंजाब में इस समय संगरूर, बरनाला, पटियाला व एसएएस नगर में सबसे अधिक प्याज की खेती हो रही है। करीब 10,340 हेक्टेयर रकबा प्याज के अंतर्गत आता है। ऐसे में मांग के अनुरूप प्याज की पैदावार नहीं हो रही है। इसके चलते महाराष्ट्र व जम्मू सहित अन्य राज्यों से प्याज मंगवाना पड़ रहा है। दूसरे राज्यों से यहां आने में परिवहन खर्च के कारण प्याज की कीमत बढ़ जाती है। पीओएच वन लगाने से प्याज की पैदावार बढ़ जाएगी।
तीन किस्मों से बनाई यह किस्म
डा. अजमेर सिंह को यह हाइब्रिड प्याज तैयार करने में दस साल लग गए। वह बताते हैं कि हाइब्रिड की तकनीक सीखने के लिए 2008-2009 में अमेरिका गए। वहां इसकी एडवांस टेक्नोलाजी को जाना। वापस आकर 2010 में पीएयू में बायोटेक्नोलाजी का प्रयोग करके हाइब्रिड प्रोग्राम को आगे बढ़ाया। उन्होंने बताया कि हाइब्रिड किस्म दो या दो से अधिक पेरेंट्स (अलग-अलग किस्मोंं) के क्रास पोलिनेशन से पैदा होते हैं। हाइब्रिड प्याज तैयार करने के लिए साइटोप्लाज्मिकमेल स्टेरेलिटी सिस्टम का प्रयोग किया। इसे थ्री लाइन सिस्टम भी कहते हैं।
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इस सिस्टम में तीन पेरेंट्स होते हैं, जिनमें एक मेल स्टेराइल (ए लाइन), दूसरा मेंटेनर (बी लाइन) और तीसरा पोलिनाइजर (सी लाइन) होता है। ए पेरेंट्स को बी पेरेंट्स से क्रास पोलिनेशन करवा कर सीड पैदा किया जाता है। इसमें फूल आते हैंं। जब एबी लाइन बन जाती है फिर उसका सी लाइन के क्रास से हाइब्रिड बनता है। यह पीओएच वन किस्म होती है। इसमें फूल नहीं आते। एबी किस्म का इस्तेमाल केवल बीज के लिए किया जाता है, जबकि सी से क्रास करके बनी नई किस्म पीओएच का इस्तेमाल केवल व्यावसायिक यानी खाने के लिए किया जाता है।
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दस साल के गहन शोध के बाद इस प्याज को तैयार करने में सफलता हासिल की है। यह उत्तर भारत का पहला और देश का चौथा हाइब्रिड प्याज है। अक्टूबर में लगेगी पनीरी, दिसंबर में होगी रोपाई और मई में होगा तैयार: डा. तरसेम सिंह ढिल्लों ने बताया कि अक्टूबर में पीओएच वन की पनीरी बीजी जाती है। दिसंबर में इसकी रोपाई होती है और मई में यह प्याज तैयार हो जाता है।