ढंडारी स्टेशन पर पार्किग वालों की 'दादागिरी'

ढंडारी रेलवे स्टेशन पार्किंग में का¨रदों की ओर से जमकर दादागिरी की जा रही है। यहां कार पार्क करने वालों से जबरन पांच गुणा अधिक फीस वसूली जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 Dec 2018 06:15 AM (IST) Updated:Mon, 17 Dec 2018 06:15 AM (IST)
ढंडारी स्टेशन पर पार्किग वालों की 'दादागिरी'
ढंडारी स्टेशन पर पार्किग वालों की 'दादागिरी'

डीएल डॉन, लुधियाना

ढंडारी रेलवे स्टेशन पार्किंग में का¨रदों की ओर से जमकर दादागिरी की जा रही है। यहां कार पार्क करने वालों से जबरन पांच गुणा अधिक फीस वसूली जा रही है। लोग लगातार स्टेशन अधीक्षक और जीआरपी से शिकायत कर रहे हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। अफसरों से बात करो तो बस यही कह दिया जाता है कि जांच हो रही है।

ग्यासपुरा निवासी नित्यानंद सिंह का आरोप है कि स्टेशन पार्किंग में कार पार्क करने के तीन घंटे के बाद वह आए तो पार्किग के का¨रदे ने उनसे 100 रुपये देने को कहा। उन्होंने इसका विरोध किया। फिर शिकायत जीआरपी को दी तो उनसे जवाब मिला कि यह रेल प्रबंधन का मामला है। फिर शिकायत स्टेशन अधीक्षक को दी गई। उन्होंने कहा कि मामले की जांच करवाकर आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई होगी। आप जाएं और मोबाइल फोन पर सूचित कर दिया जाएगा। करीब चार दिन बीतने के बाद भी कोई सूचना नहीं मिली। नित्यानंद का आरोप है कि यहां लोगों से जबरन वसूली में रेल अधिकारी की भी मिलीभगत है। उन्होंने टेंडर धारक पर कार्रवाई करने की मांग की है। वहीं स्टेशन अधीक्षक दीपक कुमार से बात करने पर उन्होंने कहा कि शिकायत मिली है। जांच चल रहा है। आरोपितों के खिलाफ अवश्य कार्रवाई होगी। रेलवे के लिए ये हैं रेट निर्धारित

साइकिल 4 घंटे के लिए 5 रुपये

स्कूटर 4 घंटे के लिए 10 रुपये

कार 4 घंटे के लिए 20 रुपये पार्किग से वाहन निकालते समय ऑटो वाले लगाते हैं जाम

ट्रेन आने पर जब यात्री बाहर निकलते हैं तो वक्त ऑटो वाले स्टेशन के गेट पर खड़े होकर जाम लगा देते हैं। इससे पब्लिक को काफी परेशानी होती है। पर्किंग में खड़ी कार वापस लाने के लिए घंटों लग जाते हैं। अरविंद यादव ने बताया कि काफी समय तक कार नहीं निकलने पर पार्किंग कर्मियों ने ऑटो वालों को रास्ता देने को कहा तो वे गालियां देने लगे जिससे दोनों पक्षों में मारपीट हो गई। 3 साल का है ठेका, देने होते हैं 17,31,444 रुपये

ढंडारी रेलवे स्टेशन के रेल सूत्र बताते हैं कि पहले आरक्षण केंद्र पर पब्लिक का आवागमन ज्यादा होने से टेंडर धारक को कमाई हो जाती थी। इन दिनों इंटरनेट या आइआरसीटीसी एप के जरिए से टिकट निकल जाने से अब यहां लोग कम आते हैं। इससे टेंडर धारक की वसूली कम हो रही है। वहीं रेल अधिकारी बताते हैं कि टेंडर धारक को तीन माह में 1,44,287 रुपये जमा करने होते हैं। जो एक वर्ष में 5,77,148 रुपये हैं। यह ठेका तीन वर्ष का है जिससे कांट्रेक्टर को तीन वर्ष में कुल 17,31,444 रुपये जमा करने हैं। अब कांट्रेक्टर को घाटा लग रहा है तो वह लोगों से जबरन वसूली पर उतर जाता है। रेल के रेट के मुताबिक ही करते हैं वसूली : कांट्रेक्टर

इस संबंध में कांट्रेक्टर सुरेश साहनी का कहना है कि उनके कर्मी रेलवे के रेट के मुताबिक पार्किंग फीस वसूल करते हैं। जब उनसे कहा गया कि कई वाहन चालकों ने जीआरपी और स्टेशन अधीक्षक को अधिक वसूली की शिकायत की है तो उन्होंने कहा कि लोग दस-बीस रुपये पार्किंग देने की बजाय रौब जमाते हैं और लड़ने पर उतारू हो जाते हैं। इसी कारण ही वे शिकायत करने चले जाते हैं।

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