पंजाब में ऑक्सीजन संकट बना चुनौती, खाली सिलेंडरों की कमी Oxygen उत्पादन में बनीं बाधा
पंजाब में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़े हैं। इसके कारण में ऑक्सीजन की डिमांड भी बढ़ रही है। आने वाले दिनों में राज्य को ऑक्सीजन संकट का सामना करना पड़ सकता है। दरअसल खाली सिलेंडर न मिलना भी चुनौती है।
जेएनएन, चंडीगढ़/फतेहगढ़ साहिब। कोरोना महामारी के बीच देश में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मची हुई है। पंजाब में भी ऑक्सीजन को लेकर स्थिति किसी भी समय बिगड़ सकती है। स्टोरेज की क्षमता और सिलेंडरों की कमी इसकी बड़ी वजह बनकर उभरी है। पिछले वर्ष कोरोना महामारी की पहली लहर के बाद ऑक्सीजन की स्टोरेज, टैंकरों और सिलेंडरों की व्यवस्था करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त समय था, लेकिन सरकार ऐसी व्यवस्था बनाने में पूरी तरह से नाकाम रही।
वर्तमान में पंजाब को रोज केवल इतनी ऑक्सीजन ही मिल पा रही है कि जरूरत पूरी हो सके। देश में लंबे समय से इस बात को लेकर चर्चा होती रही कि देश में किसी भी समय कोरोना की दूसरी लहर आ सकती है, परंतु सरकार ने ऑक्सीजन उत्पादन बढ़ाने और इसकी स्टोरेज पर ध्यान नहीं दिया। इस कारण पंजाब में अब स्थिति बिगड़ती जा रही है। यहां तक कि सिलेंडर न होने की कारण पंजाब में ऑक्सीजन का घरेलू उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है।
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इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि खाली सिलेंडर न मिलने के कारण जिले में लोहा नगरी मंडी गोबिंदगढ़ के पांच प्लांट अपनी पूरी क्षमता पर उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। यहां से अभी हर रोज 25 से 28 टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा सकता है लेकिन अभी केवल 21 19 टन उत्पादन ही हो रहा है, जबकि उद्योगपतियों का कहना है कि अगर स्टोरेज के लिए सिलेंडर मिलें तो वह रोजाना आठ से नौ टन और ऑक्सीजन का उत्पादन कर सकते हैं।
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इस मामले को लेकर सेहत मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने खुद राज्य में ऑक्सीजन की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि हमने केंद्र से रिजर्व कोटा बढ़ाने की मांग की है ताकि अगर किसी दिन बाहर से आने वाली ऑक्सीजन तकनीकी कारणों से पंजाब न पहुंच पाए तो इससे कोई बड़ा नुकसान न हो। इस समय पंजाब में ऑक्सीजन की मांग 300 टन पार हो चुकी है।
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समय रहते पंजाब में अपना उत्पादन न बढ़ाने के सवाल पर सिद्धू ने कहा कि केंद्र ने छह महीने से हमें अमृतसर और पटियाला में ऑक्सीजन उत्पादन प्लांट लगाने की अनुमति नहीं दी है। पहली लहर में रोजाना तीन हजार तक मरीज सामने आ रहे थे लेकिन अब यह संख्या छह से सात हजार प्रतिदिन है। ऑक्सीजन सपोर्ट पर मरीजों की संख्या बढ़ने से ऑक्सीजन की मांग में बढ़ोतरी हुई है।
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