एनआरआइ बोले, पंख होते तो उड़ जाते..

सात समुंदर पार से अपने वतन की मिट्टी सजदा होने आए लाखों एनआरआइ पंजाबी कोरोना के मकड़जाल में ऐसे उलझे के सवा साल से अधिक समय बीतने के बाद भी विदेश नहीं जा पा रहे। ऐसे हालात में डालर वाले रईस कहलाने वाले आज आर्थिक रूप से भी कमजोर हो चुके हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 07:22 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 07:22 AM (IST)
एनआरआइ बोले, पंख होते तो उड़ जाते..
एनआरआइ बोले, पंख होते तो उड़ जाते..

संजीव गुप्ता, जगराओं : सात समुंदर पार से अपने वतन की मिट्टी सजदा होने आए लाखों एनआरआइ पंजाबी कोरोना के मकड़जाल में ऐसे उलझे के सवा साल से अधिक समय बीतने के बाद भी विदेश नहीं जा पा रहे। ऐसे हालात में डालर वाले रईस कहलाने वाले आज आर्थिक रूप से भी कमजोर हो चुके हैं। उनका कहना है कि काश उनके पंख होते तो वे उड़कर विदेश पहुंच जाते

मार्च 2020 में कोरोना ने कहर बरपाना शुरू किया था। वायरस के डर से 22 मार्च को लगभग सभी देशों ने फ्लाइट बंद कर दी। ऐसे में विदेशों से हमवतन पहुंचे पंजाबी यहीं के होकर रह गए। खास तौर पर आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के लोग यहां फंसे हुए हैं। कुछ फ्लाइट खोली भी गई तो उसमें सीट की उपलब्धता न के बराबर थी और टिकट के रेट आसमान को छूने वाले थे। इतनी महंगी टिकट खरीदना हर किसी के बस की नहीं है। इसके अलावा कनाडा सरकार द्वारा भी कभी फ्लाइट खोल देने तो कभी बंद कर देने से भी प्रवासी पंजाबियों के लिए सिरदर्दी बनी हुई है। इतना ही नहीं, नौकरीपेशा लोगों को जाब जाने का संकट भी बना हुआ है। एक ओर प्रवासी पंजाबी यहां फंसे हुए हैं और वहीं उनकी कंपनी से संदेश आ रहा है कि किसी भी तरह पहुंचे, नहीं तो आपकी नौकरी जा सकती है।

कनाडा से आए रिप्पन यहां फंसे

कनाडा से आए रिप्पन झांजी का कहना है कि उनका बिजनेस कनाडा और जगराओं दोनों जगह है। इसके कारण हर तीन चार महीने बाद आना-जाना पड़ता है। कनाडा जाना जरूरी है, लेकिन फ्लाइट बंद होने के कारण वह यहीं फंसे हुए हैं। व्यापारिक तौर पर बात करें तो पंजाब का एक बहुत बड़ा बिजनेस चीन से जुड़ा हुआ है। चीन की फ्लाइट में बंद होने कारण इस देश से व्यापार करने वाले व्यापारी हाथ पर हाथ धरे बैठने को मजबूर हैं।

फ्लाइट में लंबी वेटिंग से भी परेशानी

सवा साल से देश में ही रह रहे आस्ट्रेलियाई सिटीजन बलवंत कौर, उनकी पुत्री दलविदर कौर और उनकी नौ वर्षीय पुत्री एकनूर इस समय बेहद परेशान हैं, क्योंकि फ्लाइट्स बंद होने कारण यहीं के होकर रह गए हैं। उनका कहना है कि ऑस्ट्रेलियन हाई कमिशन द्वारा फ्लाइट बुक करवाना भी चाहें तो बहुत लंबी वेटिंग होने के कारण उनका नंबर नहीं आता। ऐसे में वह क्या करें कुछ समझ नहीं आ रहा। अन्य देशों के जरिए यात्रा कर रहे एनआरआइ

जगराओं के गोयल ट्रेवल्स और इमीग्रेशन के ऋषि पुरी का कहना है कि फ्लाइट्स बंद होने के कारण एनआरआइ अन्य देशों के मार्फत यात्रा कर रहे हैं। सामान्य दिनों के मुकाबले उन्हें दस गुणा महंगी टिकट खरीदनी पड़ रही है। दिल्ली से सर्विया पहुंच वहां तीन दिन का स्टे करने के बाद टोरंटो पहुंच रहे हैं। सर्विया में तीन दिन के स्टे के लिए लगभग 70 हजार रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। इसी तरह दिल्ली से मस्कट पहुंच वहां 12 घंटे की स्टे के साथ कोरोना टेस्ट करवाने के बाद जर्मनी या इंग्लैंड होकर कनाडा पहुंच रहे हैं। इस दौरान यदि वह कोरोना पाजिटिव होते हैं तो उन्हें वहीं रुक कर इलाज करवाना पड़ रहा है। नौकरी खत्म होने के डर से दुबई जाने के लिए दिल्ली से मस्कट होते हुए लोग दुबई पहुंच रहे हैं। सीधा दुबई जाने के लिए 10-12 हजार रुपये खर्च होते हैं, जबकि अन्य रास्तों से जाने के लिए उन्हें डेढ़ लाख तक खर्चा आ रहा है।

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