पहली स्वदेशी किट से कुत्तों में स्तनग्रंथी ट्यूमर की मिनटों में हो सकेगी जाच

देश में हर साल हजारों कुत्ते स्तनग्रंथि (मैमरी ग्लैंड) के कैंसर की वजह से दम तोड़ देते हैं। यह बीमारी मादा कुत्तों की सभी नस्लों में पाई जाती है। कुत्तों के दम तोडने की वजह ट्यूमर (रसौली) का कैंसर में परिवर्तित हो जाना और आखिरी स्टेज में बीमारी का पता लगना है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 03 Oct 2021 06:44 AM (IST) Updated:Sun, 03 Oct 2021 06:44 AM (IST)
पहली स्वदेशी किट से कुत्तों में स्तनग्रंथी ट्यूमर की मिनटों में हो सकेगी जाच
पहली स्वदेशी किट से कुत्तों में स्तनग्रंथी ट्यूमर की मिनटों में हो सकेगी जाच

आशा मेहता, लुधियाना: देश में हर साल हजारों कुत्ते स्तनग्रंथि (मैमरी ग्लैंड) के कैंसर की वजह से दम तोड़ देते हैं। यह बीमारी मादा कुत्तों की सभी नस्लों में पाई जाती है। कुत्तों के दम तोडने की वजह ट्यूमर (रसौली) का कैंसर में परिवर्तित हो जाना और आखिरी स्टेज में बीमारी का पता लगना है। इस बीमारी से ग्रस्त कुत्तों जब तक डाक्टर के पास पहुंचाया जाता है, तब तक कैंसर शरीर में फैल चुका होता है। इस कारण सर्जरी का भी कोई फायदा नही होता।

कुत्तों को ऐसी बीमारी से बचाने के लिए गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासू) के कॉलेज ऑफ एनिमल बायोटेक्नोलाजी के वैज्ञानिक पहली स्वदेशी यूजर फ्रेंडली किट तैयार कर रहे हैं। यह अंतिम पड़ाव में है। यह किट कुछ ही मिनटों में ट्यूमर का पता लगा लेगी। शोधकर्ताओं का कहना है कि अब तक हुआ शोध काफी उत्साहजनक है और जल्द ही किट तैयार हो जाएगी।

कॉलेज के बायोकेमिस्ट और शोधकर्ता डा. बीवी सुनील बताते हैं कि स्तनग्रंथि के ट्यूमर की जाच के लिए प्रोटीन आधारित टेस्ट का प्रारूप तैयार कर लिया है। अब इसे किट में परिवर्तित कर रहे हैं। देश में इस ट्यूमर का पता लगाने के लिए अभी तक कोई भी स्वदेशी किट उपलब्ध नहीं है। यह पहली किट होगी। इसके बनने से कुत्ते के खून के सैंपल से ही उसमें स्तनग्रंथि के ट्यूमर का पता लगाया जा सकेगा।

कैसे होगी जाच

कुत्ते के ब्लड सैंपल से सीरम को अलग करके उसकी जाच की जाएगी। सीरम रक्त से निकला वह तरल पदार्थ होता है, जिसमें कुछ विशिष्ट रोगों का आक्रमण रोकने की शक्ति होती है। इस टेस्ट से उस विशेष प्रोटीन की मात्रा का पता चल सकेगा, जिसकी वजह से ट्यूमर बनता है। अगर इस प्रोटीन की मात्रा बढ़ती है, तो यह सुनिश्चित हो जाएगा कि कुत्ते को स्तनग्रंथि का ट्यूमर है।

अभी कैसे होती है

डा. बीवी सुनील बताते हैं कि अभी हिस्टोपैथोलाजी (ऊत्तक विकृति विज्ञान) के आधार पर ट्यूमर का पता लगाया जाता रहा है। यह गोल्ड स्टैंडर्ड टेस्ट है। इस टेस्ट में दो या तीन दिन लग जाते हैं। साथ ही ट्यूमर का पता तब चलता है, जब यह काफी विकसित हो चुका होता है।

कुत्तों में आम है यह बीमारी

कॉलेज के डीन डा. यशपाल मलिक कहते हैं कि कुत्तों में यी बीमारी सामान्य है। यूनिवर्सिटी के अस्पताल में रोज ऐसे केस आते हैं। यह बीमारी मोटापे, बेहतर खुराक व व्यायाम की कमी, हार्मोन में असंतुलन की वजह से हो सकती है। बीमारी शुरुआत में ही कुत्ते के मैमरी ग्लैंड में आ जाती है। अगर पहली स्टेज में ही पता कर लिया जाए तो बेहतर इलाज हो सकता है। ट्यूमर के कैंसर में परिवर्तित होने पर इलाज प्रभावहीन हो जाता है। यूनिवर्सिटी के अस्पताल में ज्यादातर कुत्तों को अंतिम स्टेज पर लाया जाता है। तब सर्जरी का फायदा नहीं होता। इस किट के बनने के बाद लक्षणों के आधार पर समय पर कुत्तों की जाच होने से उन्हें मौत के मुंह में जाने से बचाया जा सकेगा।

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