अब पंजाब में कुत्‍ताें का डायलिसिस, उत्‍तर भारत के पहले Dog blood bank में अति आधुनिक सुविधाएं

पंजाब के लुधियाना में स्थित गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी में स्‍थापित डाॅग ब्‍लड बैंक में अब कुत्‍तों का डायलिसिस भी होगा। इससे गंभीर रूप से बीमार कुत्‍तों काे नया जीवन मिलेगा। यहां कुत्‍तों के इलाज के लिए अन्‍य अत्‍याधुनिक सुविधाएं भी हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sat, 26 Sep 2020 10:10 AM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 01:20 PM (IST)
अब पंजाब में कुत्‍ताें का डायलिसिस, उत्‍तर भारत के पहले Dog blood bank में अति आधुनिक सुविधाएं
लुधियाना में कुत्‍तों की डायलिसिस करते डॉक्‍टर।

लुधियाना, जेएनएन। पंजाब में अब कुत्‍तों को नया जीवन मिलेगा। लुधियाना के गुरु अंगद देव वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी (गडवासू) में कुत्तों की अब डायलिसिस भी होगा। यहां उत्तर भारत का पहला ब्लड बैंक खोला गया है। वहीं अब गुर्दे की बीमारी से जूझ रहे कुत्‍तो का डायलिसिस भी हो सकेगा। यहां इसके लिए अत्‍याधुनिक मशीनें लगाई गई हैं।

लुधियाना के गडवासू में जर्मनी की अत्याधुनिक मशीन स्थापित

गडवासू में डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी गवर्नमेंंट ऑफ इंडिया की ओर से दिए गए प्रोजेक्ट के तहत डायलिसिस यूनिट खोली गई है। इसमें जर्मनी की अत्याधुनिक मशीन से अब तक करीब 50 कुत्तों का डायलिसिस हुआ है। इसके साथ ही यहां कुत्‍तों की सभी बीमारियों का इलाज होगा।   

गुर्दों की बीमारी से जूझ रहे कुत्तों को किया जाएगा ठीक

डायलिसिस के एक सेशन पर करीब चार से पांच हजार रुपये का खर्च आता है। इस यूनिट के इंचार्ज एवं असिस्टेंट प्रोफेसर वेटरनरी मेडिसिन डॉ. रणधीर सिंह के अनुसार इससे पहले चेन्नई बेस्ड तमिलनाडु वेटरनरी एंड एनिमल साइंस यूनिवर्सिटी और बॉम्बे वेटरनरी कॉलेज में ही डायलिसिस यूनिट स्थापित है। गडवासू को मिलाकर अब देश में अब तीन डायलसिस यूनिट हो गए।

यूनिट में ऐसा होता है डायलिसिस

डॉ. रणधीर कहते हैं जैसी मशीन इंसानों के डायलसिस के लिए होती है, वैसी ही यह मशीन है। डायलसिस से पहले हम कुत्ते की पूरी स्क्रीनिंग करते हैं। टेस्ट के बाद प्लान करते हैं कि डायलसिस का सेशन कितने घंटे का करना है। डायलिसिस का पहला सेशन करीब पौने घंटे से एक घंटे का, जबकि अगले सेशन दो से चार घंटे का भी हो सकता है।

इसलिए पड़ती है जरूरत

किडनी का काम ब्लड को फिल्टर करने के अलावा शरीर में मौजूद विषैले पदार्थ क्रिएटिनिन और यूरिया को बाहर निकालना है। जब किडनी सही ढंग से काम नहीं कर पाती या खराब हो जाती है तो शरीर से विषैले पदार्थ पूरी तरह निकल नहीं पाते। इसलिए डायलिसिस से रक्त को साफ किया जाता है।

चार महीने के टॉमी को डायलिसिस से मिली नई जिंदगी

कुछ दिन पहले पठानकोट के एक ऑफिसर का चार महीने का टॉमी गडवासू के स्मॉल एनिमल मल्टी स्पेशलिटी वेटरनरी अस्पताल में पहुंचा। ड्रग ओवरडोज की वजह से टॉमी को एक्यूट किडनी बीमारी हो गई थी। उसने खाना पीना बंद कर दिया। यूनिवॢसटी के अस्पताल में दवा के साथ डायलिसिस के पहले सेशन में ही क्रिएटिनिन लेवल 2.1 एमजी तक आ गया। इससे वह फिर से स्वस्थ हो गया।

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