अब फेफड़ों तक पहुंचने लगा Black Fungus, लुधियाना के डीएमसीएच में मिले तीन मरीज

ब्लैक फंगस यानी म्यूकरमायकोसिस पहले नाक साइनेस त्वचा आंखों और ब्रेन में मिल रहा था लेकिन अब य फेफड़ों तक पहुंचने लगा है। लुधियाना के डीएमसीएच अस्पताल में भर्ती मरीजों के फेफड़ों में म्यूकरमायकोसिस का संक्रमण मिला है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 27 May 2021 09:43 AM (IST) Updated:Thu, 27 May 2021 02:13 PM (IST)
अब फेफड़ों तक पहुंचने लगा Black Fungus, लुधियाना के डीएमसीएच में मिले तीन मरीज
अब फेफड़ों तक पहुंचने लगा ब्लैक फंगस। सांकेतिक फोटो

जेएनएन, लुधियाना। अभी तक नाक, साइनेस, त्वचा, आंखों और ब्रेन में म्यूकरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस मिल रहा था, लेकिन अब म्यूकरमायकोसिस फेफड़ों तक पहुंचने लगा है। दयानंद मेडिकल कालेज एंड अस्पताल (डीएमसीएच) में भर्ती मरीजों के फेफड़ों में म्यूकरमायकोसिस का संक्रमण मिला है।

अस्पताल के मेडिसन विभाग के प्रोफेसर डा. राजेश महाजन ने कहा कि हमारे पास तीन मरीज ऐसे आए हैं, जिनकी सीटी और स्पूटम टेस्ट से हमें लग रहा है कि इनके फेफड़ों पर म्यूकरमायकोसिस की इनवालवमेंट है। सीटी स्कैन, स्पूटम टेस्ट सहित ब्लड टेस्ट की जांच में इनमें म्यूकरमायकोसिस देखने को मिला है। इन पेशेंट का इलाज हम इंजेक्शन और दवाओं के साथ कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि कई पेशेंट में कंफरमेशन नहीं की जा सकती है। कंफरमेशन के लिए पेशेंट के फेफड़े से सुई के साथ टिशू को लेकर जांच के लिए भेजा जाता है, लेकिन पेशेंट की हालत इतनी खराब होती है कि फेफड़े से टिशू लेकर जांच को भेजना संभव नहीं होता है। सीटी स्कैन और स्पूटम टेस्ट से काफी हद तक यह पता लग जाता है कि फंगस का असर फेफड़ों पर है या नहीं।

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सीटी स्कैन की तस्वीर में अगर कैविटी और पस के फोड़े आते हैं, तो हम कह सकते हैं कि यह फंगस की वजह से हो सकते हैं। इसके अलावा स्पूटम टेस्ट से फंगस होने का पता लग सकता है। हमारे पास कुछ ब्लड टेस्ट भी हैं। डा. महाजन ने कहा कि सांस के जरिए वातावरण में मौजूद ब्लैक फंगस (म्यूकरमायकोसिस) हमारे शरीर में प्रवेश करता है। यह नाक, साइनिस, चेहरे, आंखों व ब्रेन तक पहुंच जाता है, उसी तरह यह शरीर के अन्य हिस्सों को भी प्रभावित कर सकता है।

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उन्होंने कहा कि इसका असर उन्हीं मरीजों पर अधिक होता है, जिनके इलाज में स्टीरायड का इस्तेमाल अत्याधिक हुआ हो या जिनका शुगर लेवल काफी बढ़ा हो। इस तरह के मरीजों की इम्यूनिटी काफी कम हो जाती है। इससे म्यूकरमायकोसिस के चपेट में आने की संभावना बढ़ जाती है। वहीं, दीप अस्पताल के चेस्ट डिपार्टमेंट के हेड डा. विकेश गुप्ता ने कहा कि उनके पास भी एक मरीज आया है, जिसके फेफड़ों पर फंगस का असर दिखाई दे रहा है, लेकिन पुख्ता तौर पर कुछ कहने के लिए हम टेस्ट करवा रहे हैं।

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