Black Fungus: पंजाब के 80 फीसद सरकारी अस्पतालों में ब्‍लैक फंगस के इलाज की सुविधा नहीं

Black Fungus पंजाब में भी ब्‍लैक फंगस अपने पैर पसार रहा है और इसके मरीज सामने आने लगे हैं। ब्‍लैक फंगस से लोगों की मौत भी हो रही है। दूसरी ओर राज्‍य के 80 फीसदी सरकारी अस्‍पतालों में इसके इलाज की सुविधा नहीं है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Tue, 25 May 2021 07:30 AM (IST) Updated:Tue, 25 May 2021 08:52 AM (IST)
Black Fungus: पंजाब के 80 फीसद सरकारी अस्पतालों में ब्‍लैक फंगस के इलाज की सुविधा नहीं
पंजाब में ब्‍लैक फंगस लगातार अपने पैर पसार रहा है। (सांकेतिक फोटो)

लुधियाना/जालंधर, जेएनएन। Black Fungus: पंजाब में भी कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। राज्य में 111 लोग ब्लैक फंगस के संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं और उनमें से 11 लोगों की मौत हो चुकी है। लगातार बढ़ रहे मामलों के बीच राज्य की एक सच्चाई यह भी है कि पंजाब के करीब 80 फीसद सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी के इलाज की सुविधा ही नहीं है। मालवा क्षेत्र की बात करें तो लुधियाना और पटियाला के अलावा किसी भी जिले के सरकारी अस्पताल में इसका इलाज उपलब्ध नहीं है। न तो आवश्यक उपकरण है और न ही ईएनटी व न्यूरो के एक्सपर्ट। ऐसे में लोगों को अन्य बड़े शहरों के निजी अस्पतालों या बड़े सरकारी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है।

राज्य में बढ़ रहे केस, अब तक 111 मामले आए सामने, 11 की हुई मौत

राहत की बात यह है कि मालवा के ज्यादातर जिलों में अभी ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बहुत कम हैं। जो मरीज सामने आ भी रहे हैं, उन्हें पटियाला के राजिंदरा अस्पताल या पीजीआइ चंडीगढ़ रेफर कर दिया जाता है। लुधियाना सिविल अस्पताल में इस बीमारी के एक्सपर्ट हैं। यहां के लगभग सभी बड़े निजी अस्पतालों में इस बीमारी का इलाज उपलब्ध है। यही कारण है कि पंजाब के अलावा हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, जम्मू कश्मीर से भी ब्लैक फंगस के मरीज यहां पहुंच रहे हैं।

पटियाला, लुधियाना, जालंधर और अमृतसर के अलावा किसी जिले में इलाज उपलब्ध नहीं

पटियाला के सिविल सर्जन डा. सतिंदर सिंह के अनुसार जिले में ब्लैक फंगस के अब तक आठ मरीज सामने आए हैं। इसमें से दो कि कोविड से मौत हो चुकी है, जबकि छह का इलाज चल रहा है। सिर्फ राजिंदरा अस्पताल में ही इलाज की सुविधा है।

बठिंडा के सिविल सर्जन डा. तेजवंत सिंह ढिल्लों कहते हैं कि जिले में अब दो मरीज सामने आए हैं। हमारे पास इसके इलाज की सुविधा नहीं है। न ही इंजेक्शन का पर्याप्त स्टाक है। यदि कोई मरीज सामने आता है तो उसे पीजीआइ चंडीगढ़ ले जाना पड़ता है। यही हाल मोगा का भी है। सिविल सर्जन डा. अमरजीत कौर का कहना है कि मोगा में अभी तक एक केस आया है। उसे पीजीआइ चंडीगढ़ रेफर किया गया है। फरीदकोट, फाजिल्का, फिरोजपुर, फतेहगढ़ साहिब, मानसा, श्री मुक्तसर साहिब, संगरूर और तरनतारन में ब्लैक फंगस का कोई मरीज नहीं आया है। यदि कोई केस आता है तो मरीजों को भी रेफर ही करना पड़ेगा।

वहीं, माझा और दोआबा की बात करें तो जालंधर व अमृतसर के कुछ अस्पतालों को छोड़कर ज्यादातर जिलों के सरकारी अस्पतालों सहित निजी अस्पतालों में इसके इलाज की सुविधा उपलब्ध नहीं है। अमृतसर में अब तक 13 केस सामने आ चुके हैं और तीन लोगों की मौत हो चुकी है। सिविल सर्जन डा. चरणजीत सिंह का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में न्यूरो सर्जन न होने के कारण जिलों में इस बीमारी का इलाज संभव नहीं है। कई मामलों में ब्रेन सर्जरी भी होती है। अमृतसर के प्रमुख निजी अस्पतालों जैसे ईएमसी अस्पताल, फोर्टिस, आइवीवाई अस्पताल में ब्लैक फंगस का इलाज होता है।

दवाइयों और इंजेक्शनों का स्टाक भी नहीं

राज्य के अधिकतर सरकारी अस्पतालों में न तो दवाइयां हैं और न ही इंजेक्शनों का स्टाक उपलब्ध है। होशियारपुर, कपूरथला, रूपनगर व नवांशहर में अभी कोई केस नहीं आया है, लेकिन अगर कोई केस आता है तो उसे पटियाला या अमृतसर रेफर करना पड़ेगा। गुरदासपुर के सिविल सर्जन डा. हरभजन राम मांडी ने कहा कि अब तक दो केस आए हैं। उन्हें गुरुनानक देव अस्पताल अमृतसर रेफर किया गया है। पठानकोट में के एसएमओ डा. राकेश सरपाल ने बताया कि एक केस आया है, उसे रेफर करना पड़ा।

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