Punjab Politics: दिल्ली में शिक्षकों के धरने में शामिल होकर घिरे नवजोत सिद्धू, शिक्षाविदों ने साधा निशाना
Punjab Politics औलख की पोस्ट पर बुद्धिजीवियों व शिक्षाविदों ने सिद्धू पर जमकर कटाक्ष किया। लिखा किसी भी शैक्षणिक संस्थान के केंद्र में प्रोफेसर होता है। अगर वह कम वेतन वाला और असंतुष्ट रहता है तो वह पराग अग्रवाल की क्षमता के छात्र कैसे पैदा कर सकता है।
जासं, लुधियाना। Punjab Politics: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निवास के समक्ष शिक्षकों के धरने में शामिल होकर पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू खुद ही घिर गए हैं। दिल्ली के शिक्षकों का साथ देने पर शिक्षाविदों ने सिद्धू की तीखी आलोचना की है। पीएयू के पूर्व वाइस चांसलर डा. किरपाल सिंह औलख ने फेसबुक पेज पर लिखा, 'कितनी शर्म की बात है। सिद्धू को पीएयू में सात दिनों से मरणव्रत पर बैठे हमारे अपने शिक्षक नहीं दिख रहे और वह दिल्ली में शिक्षक आंदोलन में शामिल होकर गंदी राजनीति कर रहे हैं। हमारे नेता कितने असंवेदनशील और अमानवीय हो सकते हैं जो केवल आत्म-उन्नति में रुचि रखते हैं।' उल्लेखनीय है कि पीएयू में शिक्षक सात दिनों से मरणव्रत पर बैठे हैं।
औलख की पोस्ट पर बुद्धिजीवियों व शिक्षाविदों ने सिद्धू पर जमकर कटाक्ष किया। लिखा, 'किसी भी शैक्षणिक संस्थान के केंद्र में प्रोफेसर होता है। अगर वह कम वेतन वाला और असंतुष्ट रहता है, तो वह पराग अग्रवाल की क्षमता के छात्र कैसे पैदा कर सकता है।' कामेश्वर प्रसाद शर्मा ने लिखा, 'गंदी राजनीति पंजाब को अधर में छोड़ रही है। पंजाब का भविष्य पंजाब के शिक्षकों पर निर्भर है। हम शिक्षक अतीत में इसे सही साबित करने के लिए सबसे अच्छे गवाह हैं।
हरित क्रांति आज का परिणाम है। पंजाब का कल राजनीति पर निर्भर नहीं बल्कि संवैधानिक आश्रित होना चाहिए।' इसी तरह गुरमुख सिंह गिल ने लिखा, 'आप से झगड़ने की बजाय कांग्रेस शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान करें। 'डा. औलख की पोस्ट पर लोगों ने भी खूब कटाक्ष किए। किरणदीप सिंह मुंडी ने लिखा, सिद्धू वोटों के पीछे हैं। उन्हें वास्तविक चिंताओं को हल करने में दिलचस्पी नहीं है।' सुरिंदर पाल सिंह ने तो यहां तक लिखा, 'राजनीति गंदा खेल है लेकिन यह तरीका ज्यादा ही गंदा है। यह राजनीतिक गंदगी का सबसे निचला स्तर है। यह एक ड्रामा क्वीन हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं।'