इधर-उधरः निगम के 'एंग्रीमैन' को टॉयलेट में पसंद नहीं आई इंग्लिश सीट, ठेकेदार ने फटाफट बदली

निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों में इसे लेकर में चर्चा छिड़ गई है कि फंड की कमी के कारण समय पर वेतन तो मिल नहीं मिल रहा और साहब बाथरूम में अपने शौक पूरे करने में लगे हुए हैं।

By Vikas KumarEdited By: Publish:Wed, 22 Jan 2020 07:02 PM (IST) Updated:Wed, 22 Jan 2020 08:31 PM (IST)
इधर-उधरः निगम के 'एंग्रीमैन' को टॉयलेट में पसंद नहीं आई इंग्लिश सीट, ठेकेदार ने फटाफट बदली
इधर-उधरः निगम के 'एंग्रीमैन' को टॉयलेट में पसंद नहीं आई इंग्लिश सीट, ठेकेदार ने फटाफट बदली

लुधियाना [राजेश भट्ट]। नगर निगम में एक वरिष्ठ अधिकारी हैं जो निगम मुख्यालय जोन-ए में बैठते हैं। साहब पहले ही अपने एंग्रीमैन वाले रवैये से निगम कर्मियों के बीच बेहद चर्चा में हैं यहां तक कि कुछ दिन पहले निगम कर्मी साहब के रवैये से सामूहिक छुट्टी पर चले गए थे। साहब ने जोन-ए में अपने दफ्तर के अंदर बने बाथरूम को रेनोवेट करवाया तो ठेकेदार ने टॉयलेट में नई इंग्लिश सीट लगवा दी। सीट फिट होने के बाद जब साहब ने चेक किया तो उन्हें यह पसंद नहीं आई। साहब ने फिर ठेकेदार को अपनी पसंद की सीट लाने को कह दिया। ठेकेदार भी फटाफट साहब के मन मुताबिक नई सीट लाकर लगवा दी। अब नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों में इसे लेकर में चर्चा छिड़ गई है कि फंड की कमी के कारण समय पर वेतन तो मिल नहीं मिल रहा और साहब बाथरूम में अपने शौक पूरे करने में लगे हुए हैं।

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अपने मुंह मियां मिट्ठू

विधायक कुलदीप वैद्य आइएएस की नौकरी छोड़ राजनीति में आए और पहली बार चुनाव लड़ विधायक भी बन गए। विधायक वैद्य की डिमांड हर पार्टी में है। कांग्रेस में तो वह हैं ही इसके अलावा अकाली दल भी उन्हें चुनाव लड़वाना चाहता था और भारतीय जनता पार्टी के नेता आज भी उनसे संपर्क साधने में लगे हैं, लेकिन कुलदीप वैद्य को कांग्रेस ही प्यारी है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि कुलदीप वैद्य ने बल्लोके रोड पर एक कार्यक्रम के दौरान मंच से खुद कहा। कार्यक्रम के दौरान वह भाषण दे रहे थे और राजनीति में अपनी एंट्री की दास्तां सुनाने लगे। वह लोगों पर प्रभाव डालने के लिए कह रहे कि जब वह मोगा में डीसी थे तो उन्हें कैप्टन अमरिंदर सिंह का फोन आया और कहा कि वह अफसरी छोड़कर राजनीति में आजा। उनको तब अकाली दल वाले भी टिकट दे रहे थे। भाजपा वाले तो उनके पीछे-पीछे भाग रहे थे। लेकिन वह कांग्रेस के साथ इसलिए रहे क्योंकि कांग्रेस सेक्युलर पार्टी है। विधायक के इस भाषण के बाद वहां बैठे लोग आपस में खुसर फुसर करने लगे कि 'छड्ड दे ते वड्डियां वड्डियां पए ने पर इलाके दियां सड़का हजे तक नेई बणियां'। यह खुसर-फुसर विधायक के कानों में भी पड़ गई और उन्होंने तुरंत सभी सड़कें तीन माह में बना देने का एलान कर दिया।

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मैडम के पतिदेव

नगर निगम में पचास फीसद महिला आरक्षण की व्यवस्था लागू हो चुकी है। 95 पार्षदों में से आधे वार्डों में महिला पार्षद प्रतिनिधित्व कर रही हैं, जिसकी वजह से डिप्टी मेयर के पद पर भी महिला पार्षद सर्बजीत कौर को बैठाया गया है। मैडम को पार्षद बने अब दो साल होने वाले हैं। नगर निगम हो या सार्वजनिक बैठक जहां भी डिप्टी मेयर मैडम को बुलाया जाता है उनके पति भी साथ पहुंच जाते हैं। नगर निगम एफएंडसीसी की बैठक में किसी बाहरी व्यक्ति को बैठने की इजाजत नहीं होती। यहां तक कि कोई पार्षद भी इसमें हिस्सा नहीं ले सकता है। लेकिन मैडम के पतिदेव एफएंडसीसी की बैठक में किनारे वाली सीट पर बैठे रहते हैं। अब मैडम के पति हैं तो किसी की क्या मजाल की उन्हें कोई यह कह दे कि आप बाहर बैठें। जोन सी में भी साहब रोजाना आकर बैठते हैं और डिप्टी मेयर को उनके कामकाज में सहयोग करते हैं। कई पार्षद उनका विरोध भी कर चुके हैं, लेकिन फिर भी पतिदेव मान नहीं रहे हैं।

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नेताओं के आगे सब गौण

सरकारी प्राइमरी स्कूल सुखदेव नगर के हेड टीचर सुखधीर सेखों को कांग्रेस नेताओं के साथ पंगा लेना महंगा पड़ गया। अपने निजी प्रयासों से करीब 60 लाख इकट्ठा कर स्कूल को स्मार्ट बनाने पर सूबे के शिक्षा सचिव भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं। जिला शिक्षा अधिकारी भी उन्हें अच्छे टीचर का अवार्ड दे चुकी हैं। मास्टर जी को अपने किए कार्यों पर नाज था और शायद अति आत्मविश्वास भी था कि उन्हें कोई नहीं हिला सकता। इसी वजह से वह कांग्रेस के नेताओं से उलझ गए। अब किताबी ज्ञान बांटकर देश का भविष्य बनाने वाले मास्टर जी क्या जाने कि राजनीति में पढ़े लिखों पर अनपढ़ राज करते हैं। और वह इसी का शिकार हो गए। कांग्र्रेस नेताओं ने सीधे विधायक से शिकायत की और मास्टर जी को हवा तक नहीं लगी। पहले उनका तबादला हुआ फिर सस्पेंड भी कर दिया। दरअसल हुआ यह कि मास्टर जी के ट्रांसफर के बाद अकाली व भाजपा नेता उनके समर्थन में आ गए थे। पार्षद पति गौरव भट्टी ने भी मोर्चा खोल दिया। यह सब विधायक और कांग्र्रेस के नेताओं को  नागवार गुजरा और सभी ने इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया और मास्टर जी पर गाज गिरा दी।

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