शांत स्वभाव के सांसद रवनीत बिट्टू का दिखा नया रूप, Facebook Live में गुस्से से हुए लाल-पीले

कांग्रेस सांसद रवनीत सिंह बिट्टू ने लुधियाना में फेसबुक लाइव के जरिए दिल्ली बार्डर पर डटे किसानों को उन्होंने खूब नसीहतें दीं। उन्होंने कहा कि केसरी पगड़ी पहनकर खालिस्तानी मुहिम को बढ़ावा देने का प्रयास न किया जाए।

By Rohit KumarEdited By: Publish:Sun, 06 Dec 2020 06:33 AM (IST) Updated:Sun, 06 Dec 2020 06:33 AM (IST)
शांत स्वभाव के सांसद रवनीत बिट्टू का दिखा नया रूप, Facebook Live में गुस्से से हुए लाल-पीले
शांत स्वभाव के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू का नया रूप फेसबुक लाइव के जरिए देखने को मिला।

लुधियाना, [राजेश शर्मा]। शांत स्वभाव के सांसद रवनीत सिंह बिट्टू का नया रूप फेसबुक लाइव के जरिए देखने को मिला। दिल्ली बार्डर पर डटे किसानों को उन्होंने इस लाइव में खूब नसीहतें दीं। लाल-पीले हुए सांसद ने कई आरोप आंदोलनकारियों पर जड़ दिए। कहने लगे कि केसरी पगड़ी पहनकर खालिस्तानी मुहिम को बढ़ावा देने का प्रयास न किया जाए। खबरनवीसों के प्रति किसानों के रवैये पर भी नाराजगी जताई। तर्क दिया कि यही तो केंद्र सरकार चाहती है कि आप लोग ऐसे हुड़दंग करें और उनको कार्रवाई का मौका मिले।

बिट्टू इतने गुस्से में थे कि यहां तक कह दिया कि वह चाहें तो आंदोलन के दौरान ही हुड़दंगियों को घसीटकर ला सकते हैं। फिर पंजाब में वापस आने पर अंजाम भुगतने की चेतावनी भी दी। लोग खुसरपुसर कर रहे हैं कि इतने आरोप व तर्क दिए सांसद ने, लेकिन पब्लिक अभी तक समझ नहीं पाई कि ऐसी नाराजगी का राज क्या है।

नाराज नेता कर लिए एडजस्ट

बीते कुछ वर्षों से भारतीय जनता पार्टी की जिला इकाई में गुटबाजी नजर आने लगी है। जिस ग्रुप के हाथ में सत्ता होती है, उसी के समर्थक अधिक सक्रिय नजर आते हैं। दूसरा ग्रुप या तो नदारद हो जाता है या फिर गतिविधियां सीमित कर लेता है, लेकिन अनुशासन के चलते कोई खुलकर कभी नहीं बोलता। हालांकि इस बार उल्टा हुआ। भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व जिला अध्यक्ष संदीप कपूर ने फेसबुक पर लाइव होकर वर्तमान पदाधिकारियों पर आरोप जड़ दिए।

उन्होंने कई धुरंधरों के नाम लेते हुए कह दिया कि अनदेखा करने पर कुछ लोग पार्टी छोड़कर चले गए और कुछ घरों में बैठ गए। इस पर खूब हो-हल्ला मचा। इसके बाद सक्रिय हुई पार्टी ने संदीप कपूर की तरफ से गिनवाए नामों में से अधिकतर को कार्यकारिणी विस्तार सूची में कुछ को जिला और कुछ को प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल करके उनकी नाराजगी दूर कर ही दी।

कसौली में पासे जोड़ने की जुगत

क्लब कल्चर का चस्का भी अजीब है। जिसे लगे छूट न पाए। पदाधिकारी बनना तो उससे भी अहम। शहर के दो प्रमुख सतलुज व लोधी क्लब की कार्यकारिणी में शामिल होना अपने आप में एक रुतबा है। इसके लिए जोर-आजमाइश विधायक के चुनाव से भी अधिक होती है। लाखों रुपये खर्च करके मेंबर बने तीन हजार रसूखदारों से संपर्क ही अपने आप में एक चुनौती है। क्लब में कई ग्रुप बने हैं। इनको साधना तो जैसे नाकों चने चबाने जैसा है। तीन महीने बाद लोधी क्लब के चुनाव हैं।

इसके लिए पासे जोडऩे का काम शुरू है। शह और मात के लिए मीटिंगें हो रही हैं। बीते दिनों कसौली में हुई एक अहम मीटिंग की खूब चर्चा है। कहा जा रहा है कि वहां क्लब के दो धुरंधर गुटों में सहमति बनाने का प्रयास हुआ। प्रयोग कितना सफल होता है, इसकी तस्वीर तो आने वाले दो महीनों में साफ होगी। 

भाजी इस बार तां 14 सीटां ने

जिले में कुल 14 विधानसभा सीटें हैं। इसमें से भारतीय जनता पार्टी के हिस्से में सिर्फ तीन सीटें आती थी। नार्थ, वेस्ट और सेंट्रल विधानसभा हलके को छोड़कर बाकी की 11 सीटों पर शिरोमणि अकाली दल काबिज रहा। सीट बढ़ाने के लिए कई बार भाजपा ने दबाव बनाने का प्रयास किया लेकिन हर बार नाकाम रही। ऐसे में इन तीन सीटों पर एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति रहती थी। मगर इस बार मामला अलग है। गठबंधन टूटने पर अब सभी सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार खड़े होने हैं।

ऐसे में नाउम्मीद हो चुके नेताओं के चेहरों पर चमक बढऩे लगी है। इन दिनों ये लोग सीटों के बंटवारे की भी बात कर रहे हैं। ऐसी ही एक महफिल में नेता जी ने दावेदारी जताई तो दूसरे ने कह दिया, कोई नईं भाजी, इस बार तां जिले विच्च तिन्न नहीं, 14 सीटां ने, किते ना किते सीट मिल ही जाऊ।

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