यादों के झरोखे से: लुधियाना के दिल काे सुकून देती थी राहत की शायरी, 20 बार आए, फिर था इंतजार

मशहूर शायर राहत इंदौरी काे साहिर लुधियानवी के शहर लुधियाना से खास लगाव था। वह 20 बार यहां आए और फिर से उनका इंतजार था। उनकी शायरी लुधियाना के लोगों के दिल को सुकून देती थी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 12:12 PM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 12:12 PM (IST)
यादों के झरोखे से: लुधियाना के दिल काे सुकून देती थी राहत की शायरी, 20 बार आए, फिर था इंतजार
यादों के झरोखे से: लुधियाना के दिल काे सुकून देती थी राहत की शायरी, 20 बार आए, फिर था इंतजार

लुधियाना, [राजीव शर्मा]। मशहूर शायर राहत इंदाैरी को साहिर लुधियानवी के शहर लुधियाना से खास लगाव था। वह यहां 20 बार कार्यक्रमों में आ चुके थे और अपनी शायरी से लोगों को सराबोर कर चुके थे। राहत की शायरी लुधियाना के लोगों के दिल को सुकून देती थी। उनको फिर इंतजार था, लेकिन वह तो नहीं आए, आई उनके गुजर जाने की मनहूस खबर। इससे यहां के शायरी पसंद लोगों का दिल टूट गया।

राहत इंदौरी अकसर कहते थे, 'लुधियानवियों का दिल और जुबान एक जैसी है, तभी मैं बार-बार लुधियाना आता हूं। दूसरा, यह साहिर लुधियानवी का शहर है, इस वजह से भी मैं इस शहर से और यहां के लोगों से प्यार और उनका सत्कार करता हूं।' राहत इंदौरी ने करीब 20 बार लुधियाना में विभिन्न मंचों पर अपनी शायरी की खुशबू बिखेरी। इतना ही नहीं लुधियाना के लोगों को भी राहत का इंतजार रहता था। उनके चाहने वाले कहते हैं, राहत की शायरी दिल को चैन देती थी।

अदीब इंटरनेशनल के मुशायरा में गुलजार के साथ राहत इंदौरी।

राहत कहते थे- लुधियानवियों का दिल व जुबान एक जैसी, तभी बार-बार आता हूं

अदीब इंटरनेशनल की ओर से हर साल कराए जाने वाले जश्न-ए-साहिर इंटरनेशनल इंडो पाक मुशायरे के आयोजन से पहले ही लोग पूछने लगते थे कि इस बार राहत आ रहे हैं? राहत के आने की खबर में ही लोगों का उत्साह चरम पर रहता था। वह अदीब इंटरनेशनल के जश्न-ए-साहिर मुशायरे में 17 बार आए और इसके अलावा तीन बार लुधियाना सांस्कृतिक समागम एलएसएस के कार्यक्रम में शिरकत की।

लुधियाना को रहता था राहत का इंतजार, निधन की खबर से प्रशंसक गमगीन

उनका लुधियानवियों के साथ खासा लगाव था। वे जब भी आते लोगों से मिलते थे, उनके साथ बातें करते थे और अपनी शायरी से सभी को मुग्ध करते थे। मुशायरे में भी जब राहत उठते थे, लोग वाह-वाह करना शुरू कर देते थे।

उनके निधन पर लुधियानवी भी गमगीन हैं। लुधियाना सांस्कृतिक समागम-एलएसएस के जनरल सेक्रेटरी एवं हीरो साइकिल्स लिमिटेड के को-चेयरमैन एसके राय मानते हैं कि डॉ. राहत इंदौरी ङ्क्षजदा दिल इंसान थे, उनकी संगत से सीखने को मिलता था।

2005 में साहिर लुधियानवी अवॉर्ड

जश्न-ए-साहिर इंटरनेशनल इंडो पाक मुशायरे के आयोजक अदीब इंटरनेशनल के चेयरमैन केवल धीर को भी राहत इंदौरी के निधन से सदमा लगा है। धीर ने कहा कि वे जश्न-ए-साहिर में 17 बार आए। अंतिम बार वे करीब चार साल पहले आए थे। संस्था की ओर से राहत इंदौरी को वर्ष 2005 में साहिर लुधियानवी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उसी मंच पर गुलजार एवं शर्मिला टैगोर को भी सम्मानित किया गया था।

धीर ने कहा कि राहत अच्छे दोस्त थे और वे मेरे साथ वल्र्ड उर्दू कांफ्रेंस में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान भी गए थे। उनका साथ काफी सुकून भरा रहता था। जनवरी में फोन पर बातचीत करके उनकी सेहत का हाल जाना था। धीर ने कहा कि राहत की कमी को पूरा नहीं किया जा सकेगा।

उनकी शायरी में मोहब्बत थी

एलएसएस के जनरल सेक्रेटरी एसके राय ने कहा कि राहत का हीरो ग्रुप के साथ करीबी नाता था। उनके निधन की खबर सुन का स्तब्ध हूं। स्वर्गीय ओपी मुंजाल के साथ भी उनकी दोस्ती थी और अकसर मुलाकातों में लंबी लंबी बातें होती थी। राहत ने हमेशा ही दूसरों को अपनी तरफ आकर्षित किया। वे एलएसएस के कार्यक्रम में तीन बार आए। राय ने कहा कि राहत की शायरी में दम था। राहत की शायरी में मोहब्बत थी। वे शायरी की दुनियां के चमकते सितारे थे। 

राह के पत्थर तो हटाते जाते...

पंजाब के नायब शाही इमाम मौलाना मोहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी भी राहत इंदौरी के निधन से गमगीन हैं। उस्मान लंबे अर्से से राहत इंदौरी के संपर्क में रहे। जब भी वे लुधियाना आते थे तो उस्मान उनसे मुलाकात करते थे।

उस्मान का कहना है कि राहत से काफी लंबी बातचीत होती थी। वे बेबाक एवं सटीक बातें करते थे। उस्मान ने कहा कि उनको लुधियाना और यहां के लोगों से काफी प्यार था। उस्मान को राहत का शेर- हम से पहले भी मुसाफिर कई गुजरे होंगे, कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते, काफी प्रभावित करता है। उस्मान ने कहा कि राहत जैसा यार कम ही मिलता है।

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