लुधियाना के डा. हरभजन का अनूठा पर्यावरण प्रेम, घर में बनाया कैक्टस गार्डन; 20 साल से कर रहे देखरेख

डा. हरभजन ने 20 सालाें से अपने घर में हर तरफ कैक्टस और सक्यूलेंट की विविध प्रजातियों के पौधे लगा रखे हैं। इनकी संख्या करीब एक हजार से अधिक है। इनमें से अकेले 600 के करीब कैक्टस के पौधे हैं जोकि अलग-अलग प्रजातियों के हैं।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 02:25 PM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 04:47 PM (IST)
लुधियाना के डा. हरभजन का अनूठा पर्यावरण प्रेम, घर में बनाया कैक्टस गार्डन; 20 साल से कर रहे देखरेख
लुधियाना में अपने घर में कैक्टस के पौधों के साथ डा. हरभजन दास। ( जागरण)

लुधियाना, [आशा मेहता]। रंग-बिरंगे खूबसूरत फूलों की बगिया तो ज्यादातर घरों में मिल जाएगी, लेकिन कैक्टस गार्डन कम ही देखने को मिलते हैं। इसका कारण यह है कि बहुत से वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ कैक्टस को अशुभ बताते हैं। इन सबसे हटकर बीआरएस नगर के रहने वाले 61 वर्षीय जनरल फिजिशियन डा. हरभजन दास ऐसे शख्स हैं, जिनकी कैक्टस के साथ गहरी यारी है।

उन्होंने 20 सालाें से अपने घर में हर तरफ कैक्टस और सक्यूलेंट की विविध प्रजातियों के पौधे लगा रखे हैं। इनकी संख्या करीब एक हजार से अधिक है। इनमें से अकेले छह सौ के करीब कैक्टस के पौधे हैं, जो कि अलग-अलग प्रजातियों के हैं। इसके अलावा फैरो, अगेव्स, सेंसेवरिया, ओपेंशिया व अडेनियम प्लांट्स की कलेक्शन भी है।

अशुभ नहीं, कुदरता का तोहफा है कैक्टस

डॉ. हरभजन दास कहते हैं कि वह कैक्टस को अशुभ नहीं, शुभ मानते हैं। यह कुदरत का तोहफा है। गुलाब में भी तो कांटे होते हैं, लेकिन उसे अशुभ नहीं माना जाता। कुदरत की बनाई कोई भी चीज अशुभ हो ही नहीं सकती। यह अंधविश्वास है और लोगों को इस अंधविश्वास से बाहर निकलना चाहिए। हालांकि कैक्टस को लेकर लोगों को जो भ्रम थे, वे अब दूर हो रहे हैं। सच तो यह है कि कैक्टस पौधों की एक ऐसी प्रजाति है, जो हर परिस्थिति में मुस्कुराना सिखाती है। कैक्टस के पौधों की खूबसूरती फूलों से कम नहीं है। कैक्टस पर लाल, नीले, पीले, हरे, भूरे, गुलाबी, सिंदूरी, सफेद, काले, जामुनी, नारंगी, सुनहरे, बादामी, बैंगनी, सुर्ख फूल खिलते हैं।

कम पानी में भी जीवित रहते हैं कैक्टस के पौधे

बताते हैं कि कैक्टस बहुत कम पानी में अपने आप को जीवित रख सकता है। यह भूजल स्तर को बनाए रखने में भी मददगार होता है। उनके पास कैक्टस की एक से बढ़कर एक कलेक्शन है, जो आम नर्सरियों में नही मिलती। वे कैक्टस के पौधे मैक्सिको, साउथ अफ्रीका व थाइलैंड आदि देशों से मंगवाते हैं। कैक्टस की ज्यादातर प्रजातियां मैक्सिको में पाई जाती हैं।

कैक्टस के साथ समय बिताकर मिलता है सुकून

डा. हरभजन दास कहते हैं कि सुबह आंख खुलने के बाद वह कैक्टस गार्डन में जाते हैं, जहां रोज करीब दो घंटे बिताते हैं। कैक्टस की ग्राफ्टिंग खुद करते हैं। खास तरह के केमिकल्स और मेडिसिन से ट्रीटमेंट करते हैं। हर प्रकार के कैक्टस की देखभाल का अलग तरीका है। इन पौधों को भी बच्चों की तरह देखरेख की जरूरत होती है। शाम को क्लीनिक से फ्री होकर फिर कैक्टस के पौधों के बीच समय गुजारते हैं। उन्हें बेहद सुकून महसूस होता है।

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