लुधियाना का चांद सिनेमा पुल दस साल पहले हुआ था अनसेफ, निगम अभी तक नहीं बना पाया एस्टीमेट

पुल निर्माण की फाइल निगम की एक ब्रांच से दूसरी ब्रांच में ट्रांसफर पर ट्रांसफर हो रही है लेकिन किसी भी ब्रांच ने अभी तक पुल निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की नहीं सोची। शायद निगम अफसरों को अब किसी बड़े हादसे का इंतजार है।

By Vipin KumarEdited By: Publish:Tue, 22 Sep 2020 02:18 PM (IST) Updated:Tue, 22 Sep 2020 02:18 PM (IST)
लुधियाना का चांद सिनेमा पुल दस साल पहले हुआ था अनसेफ, निगम अभी तक नहीं बना पाया एस्टीमेट
लुधियाना के ओल्ड जीटी राेड चांद सिनेमा के पास बुड्ढा दरिया के ऊपर बना पुल। (जेएनएन)

लुधियाना, [राजेश भट्ट]। ओल्ड जीटी राेड चांद सिनेमा के पास बुड्ढा दरिया के ऊपर बना पुल जर्जर हालात में है। लोक निर्माण विभाग दस साल पहले पुल को अनेसफ घोषित कर चुका है और ढाई साल पहले पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही बंद है। अनसेफ घोषित हुए दस साल बीत जाने के बाद भी नगर निगम अभी तक इस पुल के निर्माण के लिए एस्टीमेट तक नहीं बनवा सका।

पुल निर्माण की फाइल निगम की एक ब्रांच से दूसरी ब्रांच में ट्रांसफर पर ट्रांसफर हो रही है लेकिन किसी भी ब्रांच ने अभी तक पुल निर्माण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की नहीं सोची। निगम अफसरों को अब किसी बड़े हादसे का इंतजार है क्योंकि इस पुल के ऊपर भी काफी संख्या में वाहन निकलते हैं और पुल के नीचे से भी वाहनों की आवाजाही रहती है।

चांद सिनेमा पुल का घंटाघर से जालंधर बाईपास की तरफ जाने वाला हिस्सा तो नया है लेकिन जालंधर बाईपास से घंटाघर की तरफ आने वाला हिस्सा अंग्रेजों के जमाने का है। पुल के नीचे लगी ईंटें गिरने लगी हैं और पुल के पिलर कमजोर हो चुके हैं। दस साल पहले लोक निर्माण विभाग ने पुल का सर्वे किया और इसे अनसेफ घोषित कर गिराने की सिफारिश की थी। नगर निगम ने तब पुल गिराने से पहले विकल्प के तौर पर कुछ दूरी पर एक नया पुल बनाया ताकि ट्रैफिक उस पुल से निकल सके। उस पुल के निर्माण को पांच साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है लेकिन निगम ने अनसेफ पुल को नहीं गिराया।

गिल फ्लाई ओवर की रिटेनिंग वॉल टूटने के बाद तात्कालिक डिप्टी कमिश्नर ने चांद सिनेमा पुल को भी वाहनों की आवाजाही बंद कर उसके गिराने के आदेश दिए थे। कुछ दिन पुल को पूरी तरह से बंद कर दिया गया लेकिन बाद में इसे फिर से खोल दिया गया। अब कुछ माह पहले फिर से इस पुल पर भारी वाहनों की एंट्री रोक दी गई है। लेकिन नगर निगम ने इस पुल को गिराने और नया पुल बनाने के लिए सिर्फ एक फाइल तैयार की जो कि अब एक अफसर से दूसरे अफसर की टेबल पर खिसक रही है।

फाइल कभी जोन ए बिल्डिंग ब्रांच के सुपरिंटेंडेंट के पास आती है तो कभी नगर निगम के एसई प्रोजेक्ट के पास जाती है। लेकिन किसी ने भी इन दस सालों में इस का एस्टीमेट तक तैयार नहीं किया । एसई प्रोजेक्ट राहुल गगनेजा का कहना है कि यह पुल जोन ए में पड़ता है इसलिए इसका एस्टीमेट तैयार करने की जिम्मेदारी उनकी ही है। वहीं जोन ए के एसई तीरथ बांसल का कहना है कि फाइल लंबे समय से एसई प्रोजेक्ट के पास थी। उन्होंने बिना एस्टीमेट तैयार किए ही फाइल जोन ए भेज दी। अब उन्हें दोबारा से फाइल भेजी गई है।

ईंटें गिर रही हैं पुल के पिलरों पर जम चुके हैं पेड़

यह पुल सौ साल से भी पुराना है। पुल ईंटों से बनाया गया है और अब पुल पर लगी ईंटें गिरने लगी हैं। यही नहीं पिलरों पर भी दरारें आ रही हैं और पुल की रेलिंग भी टूट चुकी है। इसके अलावा पुल के पिलरों पर पेड़ जम चुके हैं जिससे पुल के लिए खतरा और भी बढ़ गया है। पुल के ऊपर कंक्रीट के ब्लॉक रखे गए हैं ताकि भारी वाहन न निकले। इसके बावजूद एक किनारे से भारी वाहन भी निकल जाते हैं।

जीएनई से करवा चुके हैं सर्वे

नगर निगम इस पुल के लिए सर्वे पर सर्वे करवाता रहा। निगम ने गुरुनानक इंजीनियरिंग कॉलेज के विशेषज्ञों से भी इस पुल का सर्वे करवाया था। विशेषज्ञों ने भी कहा था कि यह पुल कभी भी गिर सकता है और इस पर वाहनों की आवाजाही रोकी जानी चाहिए।

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