आरटीई एक्ट को नौ साल, स्कूल संचालकों को गाइडलाइंस ही पता नहीं

एक्ट के मुताबिक प्राइवेट स्कूलों में 25 फीसद सीटें आर्थिक तौर पर कमजोर विद्यार्थियों के लिए रखी जानी चाहिए लेकिन लुधियाना के किसी स्कूल में ऐसा नहीं है।

By Vikas_KumarEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 08:56 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 08:56 AM (IST)
आरटीई एक्ट को नौ साल, स्कूल संचालकों को गाइडलाइंस ही पता नहीं
आरटीई एक्ट को नौ साल, स्कूल संचालकों को गाइडलाइंस ही पता नहीं

लुधियाना, [राजेश भट्ट]। पंजाब सरकार ने वर्ष 2011 में राइट टू एजुकेशन (आरटीई) एक्ट को लागू किया। इसके मुताबिक प्राइवेट स्कूलों में 25 फीसद सीटों पर आर्थिक तौर पर कमजोर विद्यार्थियों को दाखिल करवाना था। इसकी एवज में शिक्षा विभाग को निजी स्कूलों को प्रति विद्यार्थी खर्च देना था। प्रदेश में यह एक्ट लागू हुए नौ साल हो गए लेकिन शिक्षा विभाग ने अभी तक निजी स्कूलों में एक भी विद्यार्थी इस एक्ट के तहत दाखिल नहीं करवाया। यही नहीं विभाग तो अभी तक स्कूल संचालकों को स्पष्ट आदेश तक जारी नहीं करवा पाया। शहर के आरटीआइ एक्टिविस्ट रोहित सभ्रवाल की शिकायत पर विभाग के उच्च अधिकारियों ने जिला शिक्षा अधिकारियों को आदेश देकर निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने को कह दिया।

रोहित ने शिकायत की है कि लुधियाना के किसी भी निजी स्कूल ने गरीब विद्यार्थियों को 25 फीसद कोटे के तहत दाखिला नहीं दिया है। उन्होंने जानकारी मांगी है कि अगर विभाग ने निजी स्कूलों में बच्चे दाखिल करवाए हैं तो उसकी गिनती बताई जाए। यह शिकायत मिलने के बाद डीपीआइ एलिमेंट्री के दफ्तर से सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि वह अपने जिलों की रिपोर्ट तैयार करके भेजें। जिन निजी स्कूलों ने इस एक्ट के तहत विद्यार्थियों को दाखिला नहीं दिया है, उनके खिलाफ आरटीई के तहत कार्रवाई की जाए। वहीं जिला शिक्षा अधिकारियों को तो अभी तक इस बात का पता तक नहीं है कि निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को दाखिला दिलाने के लिए सरकार ने क्या मापदंड तय किए हैं। रोहित सभ्रवाल का कहना है कि विभाग की तरफ से जानकारी नहीं दी जा रही। उन्होंने दावा करते हुए बताया कि लुधियाना में एक भी प्राइवेट स्कूल में इस एक्ट के तहत गरीब बच्चों को फ्री नहीं पढ़ाया जा रहा है।

पूरे प्रदेश में एक भी बच्चे को नहीं दिलाया निजी स्कूल में दाखिला

शिक्षा विभाग के पूर्व डीपीआइ एलिमेंट्री इंद्रजीत ङ्क्षसह ने बताया कि आरटीई के तहत यह तय किया गया था कि सबसे पहले आर्थिक तौर पर कमजोर बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिल किया जाएगा। उसके बाद सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में दाखिला दिया जाएगा। यदि उसके बाद भी बच्चे रह जाते हैं तो ही उन्हें प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि ऐसी नौबत ही नहीं आई कि बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में भेजना पड़े।

आर्थिक तौर पर कमजोर विद्यार्थियों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलाने और उनका खर्च क्या होगा, इस बारे में अभी तक स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं हैं। अगर आर्थिक तौर पर कमजोर विद्यार्थी दाखिले के लिए आते हैं तो उन्हें सरकारी स्कूलों में दाखिल करवाया जा रहा है।

-कुलदीप सिंह, डिप्टी डीईओ लुधियाना

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