राग व द्वेष के जीतने वाला है वीतराग : मुनि भूपेंद्र
वीतराग वह होता है जो अपने राग और द्वेष को जीत लेता है। जब तक राग और द्वेष हमारे भीतर रहते हैं तब तक हम अपने ज्ञान को प्राप्त नहीं कर पाते हैं। ज्ञान की प्राप्ति तभी होती है जब राग और द्वेष पर हम विजय प्राप्त करना प्रारंभ कर देते हैं। उसके पश्चात वीतराग भगवान के जो देशना होती है वही देशना जन कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाली बन जाती है।
संस, लुधियाना : वीतराग वह होता है जो अपने राग और द्वेष को जीत लेता है। जब तक राग और द्वेष हमारे भीतर रहते हैं, तब तक हम अपने ज्ञान को प्राप्त नहीं कर पाते हैं। ज्ञान की प्राप्ति तभी होती है, जब राग और द्वेष पर हम विजय प्राप्त करना प्रारंभ कर देते हैं। उसके पश्चात वीतराग भगवान के जो देशना होती है वही देशना जन कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने वाली बन जाती है। भगवान महावीर वीतराग बनने के पश्चात जन कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना प्रारंभ कर देते हैं। ये बातें तुलसी कल्याण केंद्र प्रांगण में धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि भूपेंद्र कुमार ने अभिव्यक्त किए।
उन्होंने आगे कहा कि जब तक संयम की चेतना का जागरण नहीं होता है, तब तक हम कल्याण के पत्ते और अपने आप को अग्रसर नहीं कर पाते हैं। यदि हमारे को अपना आत्म कल्याण का पथ प्रशस्त करना है तो वीतराग भगवान की जो पानी है, उस वाणी का रसास्वादन है। वह हमेशा हमारे को करते रहना चाहिए। एक बार भीतर आग भगवान की वाणी हमारे अंत: करण को छू जाती है तो हमारे अज्ञान की चेतना है वह पलायन करना शुरू कर देती है। मुनि पदम कुमार ने संगीत के माध्यम से भगवान महावीर के जीवन चरित्र को प्रस्तुत करने का प्रयास किया।